मुंबई: शिवसेना और भाजपा के गंठबंधन की गांठ एक बार फिर कमजोर होती नजर आ रही है. 25 साल पुराने इस गंठबंधन में विधानसभा की सीट को लेकर जारी खींचतान कम होने का नाम नहीं ले रहा. दो बड़ी पार्टियों के बीच अब छोटी सहयोगी पार्टियों ने अपने कड़े तेवर दिखाने शुरु कर दिये है. महाराष्ट्र में 15 अक्तूबर को होने वाले विधानसभा चुनाव के पहले भरोसे में कमी आने का संकेत देते हुए कोई भी पार्टी अपनी सीटें छोडने के लिए तैयार नहीं दिख रही है.
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कमजोर पड़ रही है शिवसेना और भाजपा के गंठबंधन की गांठ
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मुंबई: शिवसेना और भाजपा के गंठबंधन की गांठ एक बार फिर कमजोर होती नजर आ रही है. 25 साल पुराने इस गंठबंधन में विधानसभा की सीट को लेकर जारी खींचतान कम होने का नाम नहीं ले रहा. दो बड़ी पार्टियों के बीच अब छोटी सहयोगी पार्टियों ने अपने कड़े तेवर दिखाने शुरु कर दिये है. […]
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दिन भर चले विचार विमर्श के बाद प्रदेश भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने आज शाम यहां कहा, ‘‘ शिवसेना नेताओं ने महायुति (महागठबंधन) के छोटे दलों को हमारे खिलाफ उकसाने का प्रयास किया.’’ नाम नहीं बताने के अनुरोध के साथ भाजपा नेता ने कहा कि भाजपा के लिए 130 और अन्य दलों के लिए सात सीटें छोडते हुए शिवसेना 150 से कम सीटों पर लडने के लिए तैयार नहीं है. ‘‘ इतनी कम सीटों पर सहयोगी कैसे सहमत होंगे.’’ उन्होंने कहा, ‘‘ शिव सेना के नेताओं ने कल हमें इस फार्मूले का प्रस्ताव किया था लेकिन बाद में शिवसेना के लोगों ने हमारे अन्य सहयोगियों को यह समझाने का प्रयास किया कि भाजपा ने यह फॉर्मूला दिया था.’’ उन्होंने कहा कि इस प्रकार के आचरण से हमारी चिंताएं बढ गयी हैं.
भाजपा नेता ने कहा कि 150 सीटों की संख्या से कम पर तैयार नहीं होकर शिवसेना दूसरों को असुरक्षित कर रही है और संकेत दे रही है कि वह महायुति के शेष सहयोगियों पर भरोसा नहीं करती.उन्होंने कहा कि अगर भाजपा के लिए 125 और अन्य सहयोगियों के लिए 18 सीटें छोडते हुए शिवसेना 145 सीटों पर लडने के लिए सहमत हो जाती है तो भाजपा को कोई परेशानी नहीं होगी.
शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे कल तुलजापुर में तुलजा भवानी मंदिर जा रहे हैं. यह पूछे जाने पर कि भाजपा की ओर से भी कोई मौजूद रहेगा, भाजपा नेता ने कहा, ‘‘ आप अपनी पत्नी को मंदिर ले जाइए, गठबंधन के किसी सहयोगी को नहीं.’’महायुति के छोटे सहयोगी दलों ने आज दिन में गठबंधन से हटने की धमकी देते हुए भाजपा.शिवसेना पर ‘‘पीठ में छुरा घोंपने’’ का आरोप लगाया था. बाद में दोनों दलों के नेताओं के साथ अलग अलग बातचीत के बाद उनके सुर नरम हो गए.
यह पूछे जाने पर कि मतभेद दूर करने के लिए शिवसेना और भाजपा नेताओं के बीच एक और बैठक होगी, भाजपा नेता ने कहा, ‘‘ कुछ भी तय नहीं है, लेकिन बैठक की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता.’’चुनावों के लिए नामाकंन दाखिल करने की आखिरी तारीख 27 सितंबर है. आज दिन में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष देवेंद्र फडणवीस ने पार्टी नेताओं के साथ बैठक करने के बाद कहा, ‘‘हमारी पार्टी ने हमारे सभी गठबंधन सहयोगियों के साथ चुनाव लडने का फैसला किया है.’’
उन्होंने कहा, ‘‘ हम उन्हें कैसे छोड सकते हैं जिन्होंने हम पर भरोसा करते हुए लोकसभा चुनावों से पहले हमसे हाथ मिलाया था. हम चाहते हैं कि वे हमारे साथ रहें और हम इस दिशा में प्रयासरत हैं.’’ कुल मिलाकर अभी भी भाजपा और शिवेसना के गंठबंधन पर संकट के बादल छाए हुए है. एक तरफ छोटे दल कम सीटों पर मानने को तैयार नहीं तो शिवसेना अपने मिशन 150 पर अड़ी है.
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