11.1 C
Ranchi
Monday, February 10, 2025 | 05:22 am
11.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

अध्यात्म कायरों के लिए नहीं

Advertisement

अध्यात्म कायरों और निकम्मों के लिए नहीं है. आप अपने जीवन में कुछ और नहीं कर सकते और सोचते हैं कि मैं आध्यात्मिक हो सकता हूं, तो यह संभव नहीं है. अगर आपके पास इस संसार के किसी भी काम को बेहतर ढंग से करने की शक्ति और साहस है, तभी शायद आप आध्यात्मिक हो […]

Audio Book

ऑडियो सुनें

अध्यात्म कायरों और निकम्मों के लिए नहीं है. आप अपने जीवन में कुछ और नहीं कर सकते और सोचते हैं कि मैं आध्यात्मिक हो सकता हूं, तो यह संभव नहीं है. अगर आपके पास इस संसार के किसी भी काम को बेहतर ढंग से करने की शक्ति और साहस है, तभी शायद आप आध्यात्मिक हो सकते हैं.

- Advertisement -

आजकल पूरे समाज के मन में यही धारणा है कि सिर्फ निकम्मे और नालायक लोग ही अध्यात्म की तरफ जाते हैं. इसकी वजह है कि आज समाज में तथाकथित आध्यात्मिक लोग ऐसे ही हैं. ये लोग कुछ भी करने लायक नहीं हैं और ये बस एक गेरुआ वस्त्र पहन कर किसी भी मंदिर के सामने बैठ जाते हैं और उनका जीवन संवर जाता है. यह अध्यात्म नहीं है. यह वर्दी पहन कर भीख मांगना है. अगर आपको अपनी चेतना पर विजय पानी है, चेतना के शिखर पर पहुंचना है, तो वहां एक भिखारी कभी नहीं पहुंच सकता.

आध्यात्मिक होने का अर्थ है अपने भीतर का सम्राट होना. होने या जीने का यही एकमात्र तरीका है. क्या होने या जीने का कोई दूसरा तरीका भी है? कोई व्यक्ति अपनी पूरी चेतना में क्या किसी ऐसे जीवन का चुनाव करेगा, जहां उसे कोई चीज किसी और से मांगनी पड़े? हो सकता है कि लाचारी में उसे कुछ मांगना पड़े. क्या हर आदमी उस तरह से नहीं होना चाहेगा, जहां वह पूरी तरह सक्षम हो? इसका यह कतई मतलब नहीं कि आपको पूरी तरह से आत्मनिर्भर बनना है. पारस्परिक-निर्भरता हमेशा होती है, लेकिन आपके भीतर जो चीजें मौजूद हैं, उन्हें बाहर नहीं खोजना है.

सद्गुरु जग्गी वासुदेव

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें