13.1 C
Ranchi
Saturday, February 8, 2025 | 04:29 am
13.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

मानसिक बीमारी है बड़े काम की चीज

Advertisement

एक अध्ययन के अनुसार, सारे जहां से अच्छे अपने हिंदुस्तान में सन 2030 तक मानसिक रोग से 4.58 खरब रुपये का नुकसान होगा. अखबार में इस बारे में खबर पढ़ कर मैं चौंका. खबर इस तरह से पेश की गयी है, मानो यह नुकसान बहुत बड़ा नुकसान हो. भला साढ़े चार खरब का नुकसान भी […]

Audio Book

ऑडियो सुनें

एक अध्ययन के अनुसार, सारे जहां से अच्छे अपने हिंदुस्तान में सन 2030 तक मानसिक रोग से 4.58 खरब रुपये का नुकसान होगा. अखबार में इस बारे में खबर पढ़ कर मैं चौंका. खबर इस तरह से पेश की गयी है, मानो यह नुकसान बहुत बड़ा नुकसान हो. भला साढ़े चार खरब का नुकसान भी कोई नुकसान है? हमारे यहां तो इससे ज्यादा रकम सिर्फ एक घोटाले में निकल जाती है. और, रिपोर्ट ने मानसिक रोगों से नुकसान के बारे में तो बता दिया, पर इससे होनेवाले फायदों के बारे में रिपोर्ट चुप है. हकीकत यह है कि मानसिक रोग के लक्षणों वाले लोगों से फायदा भी कम नहीं है.

- Advertisement -

अगर वो न हों, तो देश में शासन-सत्ता कौन चलायेगा? ‘‘ज्योतिष, विज्ञान नंबर एक है. यह दुनिया के हर विज्ञान से बड़ा है.’’-क्या आपको लगता है कि ऐसा बयान कोई ऐसा इनसान दे सकता है जिसकी मानसिक स्थिति दुरुस्त हो? लेकिन ऐसा बयान दिया संसद में, सत्ता पक्ष के एक बड़े नेता ने. अब आप ही बताइए, अगर सत्ता संभालने के लिए कुछ लोगों का मानसिक रोगी होना जरूरी है, तो उस पर होने वाले थोड़े से खर्च की परवाह क्यों की जाये? काफी समय पहले, मेरा एक मनोचिकित्सा केंद्र (जिसे आम लोग आम भाषा में पागलखाना कहते हैं) में जाना हुआ था. वहां के मनोरोगी भारतीय इतिहास के बारे में ऐसे-ऐसे दावे कर रहे थे कि मुङो हैरत हो रही थी, साथ में हंसी भी आ रही थी.

हंस इसलिए नहीं सकता था, क्योंकि यह बीमारों के प्रति संवेदनहीनता जाहिर करना होता. अब ऐसी ही कैफियत महसूस कर रहा हूं, दिल्ली में सत्ता में बैठी पार्टी के उत्तर प्रदेश के एक बड़े नेता का बयान सुन कर. जनाब फरमा रहे हैं- ‘‘ताजमहल कभी तेजोमहालया मंदिर हुआ करता था.’’ हिंदुओं के एक स्वयंभू महानेता ने कुछ दिन पहले हुंकार भरी कि आठ सौ सालों के बाद देश में हिंदू सरकार बनी है. यानी, ‘हिंदुस्तान’ अब ‘हिंदुस्थान’ बन गया है. जिस दिन यह बयान आया, उसी दिन से कुएं में भांग पड़ गयी मालूम दे रही है. जब मनोवांछित सत्ता कायम हो गयी है, तो उसके मंत्री अपनी स्वाभाविक भाषा में बात क्यों न करें? सो, साध्वी बाने में एक मंत्री ने ‘रामजादे’ के साथ ‘हरामजादे’ की जुगलबंदी कर देश को एक नयी काव्य-भाषा समझायी है.

मंत्री के बारे में कहना ही क्या, सभा के दौरान जो इस तुकबंदी पर ताली पीट रहे थे, यकीनन वे भी मानसिक रूप से स्वस्थ नहीं कहे जा सकते. वाकई, ये मानसिक बीमार न हों, तो देश की राजनीति कैसे चल पाये? प्रधानमंत्री जी को अफसोस हो रहा होगा कि वह ‘शहजादे’ से आगे नहीं बढ़ पाये. साध्वी जी का यह कह कर बचाव किया जा रहा है कि ‘‘जाने दीजिए, बैकवर्ड क्लास की हैं.’’ लेकिन उनके इस सांस्कृतिक और साहित्यिक योगदान ने उन्हें अपने कुनबे का फारवर्ड खिलाड़ी बना दिया है. कौन कहता है कि मानसिक बीमारी चिंता का सबब होना चाहिए?

जावेद इस्लाम

प्रभात खबर, रांची

javedislam361@gmail.com

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें