नयी दिल्ली : केंद्रीय सूचना आयोग (सीआइसी) ने आरटीआइ अधिनियम के तहत सूचना मांगने वाले आवेदकों से शुल्क के रुप में साधारण डाक टिकट लेने की सिफारिश केंद्र सरकार से की है.केंद्र सरकार अगर इस सिफारिश को स्वीकार कर लेती है तो इससे आरटीआइ आवेदकों को शुल्क जमा करने में काफी आसानी हो सकती है. दो सूचना आयुक्तों ने दो अलग-अलग मामलों आरके जैन और रघुबीर सिंह से सबंधित कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग से आरटीआइ शुल्क के रुप में डाक टिकट व्यवस्था कार्यान्वित करने की सिफारिश की है.
आरटीआइ आवेदकों को फिलहाल 10 रुपये की राशि या तो नकद, या बैंक के डिमांड ड्राफ्ट या भारतीय पोस्टल ऑर्डर के जरिए जमा करनी होती है. सेना और भारतीय वायु सेना जैसे कुछ अभिकरण कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग के निर्देशों के बावजूद एकाउंट्स अफसर के नाम से देय राशि पर आवेदन स्वीकार करने से इनकार कर देते हैं. जिससे आवेदकों को दिक्कत पेश आती है.
सूचना आयुक्त बसंत सेठ ने कार्यकर्ता आरके जैन के मामले में कहा ‘अपीलकर्ता ने आरटीआइ शुल्क के रुप में साधारण डाक टिकटों के इस्तेमाल की डाक विभाग की सिफारिश जमा की है. जो व्यावहारिक और प्रयोगकर्ता के अनुकूल दोनों है.
उन्होंने कहा ‘इस संबंध में यह उल्लेख किया जाता है कि तमिलनाडु सरकार पहले ही कोर्ट फी स्टाम्प के रुप में आरटीआइ शुल्क का भुगतान करने की अनुमति दे चुकी है.’ सेठ से सहमत होते हुए सूचना आयुक्त श्रीधर आचार्युलू ने भी आरटीआइ शुल्क के भुगतान के संबंध में कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग को सिफारिश करते हुए मुद्दे पर विस्तृत आदेश जारी किया.
उन्होंने कहा कि आरटीआइ शुल्क के रुप में डाक टिकटों को स्वीकार किए जाने से भुगतान में आने वाली बहुत सी समस्याओं का समाधान हो जाएगा. इससे पोस्टल ऑर्डर लौटाने या इसे स्वीकार नहीं करने के कारण र्सावजनिक धन के बेकार जाने पर रोक लगेगी. इससे अपीलकर्ता को 10 रुपये से ज्यादा राशि खर्च नहीं करनी पडेगी. मामला आवेदक रघुबीर सिंह से जुड़ा है जिनका आवेदन एक साल पहले इस आधार पर खारिज कर दिया गया था कि यह शिक्षा निदेशालय, दिल्ली सरकार द्वारा नियुक्त अधिकारी के पक्ष में देय नहीं है.