13.1 C
Ranchi
Saturday, February 8, 2025 | 03:54 am
13.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

मोदी का जादू उतार पर!

Advertisement

हालांकि झारखंड में भाजपा अपने सहयोगी दल के साथ मिलकर सरकार बनाने और जम्मू-कश्मीर में दूसरा सबसे बड़ा विजेता राजनीतिक दल बनने में कामयाब रही है, इसके बावजूद विधानसभा चुनाव परिणाम को देखकर राजनीतिक हलके में यह चर्चा होने लगी है कि मोदी के जादू का असर कम होता दिख रहा है. पढ़िए देश के […]

Audio Book

ऑडियो सुनें

हालांकि झारखंड में भाजपा अपने सहयोगी दल के साथ मिलकर सरकार बनाने और जम्मू-कश्मीर में दूसरा सबसे बड़ा विजेता राजनीतिक दल बनने में कामयाब रही है, इसके बावजूद विधानसभा चुनाव परिणाम को देखकर राजनीतिक हलके में यह चर्चा होने लगी है कि मोदी के जादू का असर कम होता दिख रहा है. पढ़िए देश के चर्चित राजनीतिक विश्लेषकों की टिप्पणी का सार.

- Advertisement -

सेंट्रल डेस्क

झारखंड में भाजपा ने आजसू के साथ गंठबंधन में बहुमत पा लिया है, जबकि जम्मू-कश्मीर में वह सबसे बड़ी पार्टी बनने से थोड़ा पीछे रह गयी है. भाजपा ने झारखंड में अकेले 37 सीटें जीती हैं, यह उसके पूर्व के सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन से कुछ ही बेहतर है. भाजपा राज्य गठन से ठीक पहले हुए चुनाव में झारखंड के इलाके में 32 सीटें लायी थी. 2005 के विधानसभा चुनाव में भी उसने 30 सीटें जीती थीं. इस बार कई मतदान-पूर्व व मतदान-बाद सर्वेक्षण मोदी की लहर बता रहे थे और दावा कर रहे थे कि भाजपा 50-60 सीटें लायेगी. लेकिन जब इवीएम से नतीजे निकले, तो मोदी का जादू फीका पड़ता नजर आया. जम्मू-कश्मीर में भी भाजपा 44 से ऊपर सीटें लाने की बातें कर रही थी, लेकिन सिर्फ 25 पर सिमट गयी.

यह सफलता छोटी नहीं है, पर लोग मोदी से चमत्कार की उम्मीद लगाये बैठे थे. एक और पहलू जम्मू-कश्मीर में भाजपा की सफलता को छोटा करता है. उसे जो सफलता मिली है, वह सिर्फ जम्मू के इलाके तक सीमित है. घाटी की 34 सीटों में से उसे एक भी नहीं मिली है. यहां तक कि घाटी की सिर्फ एक सीट ऐसी है जहां उसकी जमानत बची है. लद्दाख की चार सीटों में से भाजपा कोई सीट नहीं जीत सकी. इसने मोदी की ‘सर्व-स्वीकार्य’ बनने की कोशिशों को झटका दिया है.

कांग्रेस की कमजोरी से बढ़त : प्रो. संजय कुमार

सीएसडीएस के प्रोफेसर संजय कुमार ने बीबीसी हिंदी की वेबसाइट पर लिखा है : झारखंड के हालिया चुनाव में मोदी के राष्ट्रीय नेतृत्व के कारण भाजपा को अतिरिक्त वोट मिले, पर मैं यह कहने से बचना चाहूंगा कि इसमें ‘मोदी लहर’ का कोई हाथ है. भाजपा ने 2009 के मुकाबले अपना प्रदर्शन सुधारा है. लेकिन बीते लोस चुनाव में उसे राज्य के 56 विधानसभा क्षेत्रों में बढ़त हासिल थी. लोकसभा चुनाव में पार्टी का जैसा प्रदर्शन था, भाजपा वैसा प्रदर्शन नहीं कर पायी. तब भाजपा के पक्ष में 39.9 प्रतिशत वोट पड़े थे, इस बार उसे 31.3 प्रतिशत वोट मिले. भाजपा को यह बढ़त कांग्रेस की गिरावट के कारण हासिल हुई है.

ध्रुवीकरण और जवाबी-ध्रुवीकरण : नीरजा चौधरी

टाइम्स ऑफ इंडिया ने अपने संपादकीय में लिखा है कि कमल पीरपंजाल के पहाड़ों को लांघ नहीं पाया. यह बताता है कि मुसलिम बहुल घाटी में अब भी भाजपा के प्रति भरोसे का अभाव है. भाजपा की जम्मू में बड़ी सफलता ने ‘हिंदू जम्मू’ और ‘मुसलिम कश्मीर’ के बीच खाई और चौड़ी कर दी है. टाइम्स ऑफ इंडिया में ही, राजनीतिक टिप्पणीकार नीरजा चौधरी ने लिखा है कि मोदी के रथ का आगे बढ़ना जारी है, पर उस रफ्तार से नहीं जितनी कि उम्मीद थी. भाजपा को दोनों ही राज्यों में जो बढ़त मिली है, उसमें ध्रुवीकरण की मुख्य भूमिका है. झारखंड में उसने ‘आदिवासियों’ और ‘गैर-आदिवासियों’ के बीच ध्रुवीकरण किया, जिससे भाजपा को लाभ हुआ. लेकिन इसी के साथ आदिवासियों की जवाबी गोलबंदी हुई जिसका फायदा झामुमो को मिला और वह 19 सीटें जीतने में कामयाब रहा. जम्मू-कश्मीर में, जम्मू में हुए हिंदू ध्रुवीकरण के जवाब में घाटी में ध्रुवीकरण हुआ और वहां भाजपा को कुछ नहीं मिला. भाजपा के नेताओं ने धारा 370 हटाने और जम्मू से हिंदू मुख्यमंत्री बनाने की बात की थी, जिसने घाटी में संकट की घंटी बजा दी. इस जवाबी ध्रुवीकरण का सबसे ज्यादा फायदा पीडीपी को हुआ.

हकीकत से परे उम्मीदें : सुहास पलशिकर

इंडियन एक्सप्रेस में राजनीतिक विश्लेषक सुहास पलशिकर लिखते हैं : दोनों राज्यों में भाजपा ने सीटों के लिहाज से बड़ा उलट-फेर किया है, इसके बावजूद सभी बड़ी पार्टियों की अपनी-अपनी वोट हिस्सेदारी कमोबेश बरकरार रही. भाजपा ने ज्यादातर छोटी पार्टियों और निर्दलीयों का वोट छीना है. पिछले विधानसभा चुनावों के मुकाबले दोनों राज्यों में भाजपा ने वोट हिस्सेदारी बढ़ायी है, लेकिन बीते लोकसभा चुनाव के मुकाबले वोट में काफी कमी आयी है. झारखंड में उसे जो जीत मिली है, वैसी जीत वह पहले भी हासिल कर चुकी है. वहीं जम्मू-कश्मीर में जो हाइप बनाया गया, वह हाइप ही रह गया. दरअसल, भाजपा लोकसभा चुनाव में जीत के बाद से ही, हकीकत से परे उम्मीदें पालती रह रही है. अपने लिए भी और मोदी जो कर सकते हैं उसके बारे में भी. इसकी वजह से एक ऐसा माहौल बन गया कि स्थानीय पहलू या समीकरण चाहे जो हों, मोदी अपने जादू से जीत दिला देंगे. कांग्रेस के लगातार खराब प्रदर्शन की वजह से भाजपा को अन्य राजनीतिक खिलाड़ियों को छोटा समझने की आदत पड़ गयी है.

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें