राज्य की अर्थव्यवस्था को दीमक की तरह चाट रहे भ्रष्टाचार को दूर करने के लिए राज्य की रघुवर सरकार ने एक अच्छी घोषणा की है. मुख्यमंत्री ने सदन में कहा है कि भ्रष्टाचारियों को किसी भी कीमत पर सरकार नहीं छोड़ेगी. चाहे नेता हो या अफसर.
भ्रष्ट लोगों की संपत्ति जब्त की जायेगी. इसके लिए कानून बनाया जायेगा. साथ ही इस पर रोक लगे इसके लिए निगरानी तंत्र को मजबूत किया जायेगा. निश्चित तौर पर मुख्यमंत्री की यह घोषणा राज्य के लिए आज की तारीख में काफी अहम है.
14 वर्ष पूर्व जब झारखंड का गठन हुआ था, उस समय इसके साथ दो और नये राज्य छत्तीसगढ़ और उतरांचल भी अस्तित्व में आया था. साथ बने इन दोनों राज्यों की तुलना झारखंड से की जाये, तो फर्क साफ दिखाई देता है.
विकास के मामलें में ये दोनों राज्य झारखंड से काफी आगे निकल चुके हैं. कारण सर्वविदित है. भ्रष्टाचार. राज्य बनते ही विकास कम घपले-घोटाले ज्यादा हुए. नतीजा सामने है. खनिज संपदा से संपन्न होने के बावजूद आज राज्य विकास के मामले में पिछड़ा है. केंद्र में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा की सरकार है और राज्य में भी रघुवर के नेतृत्व में भाजपा की ही सरकार है.
मोदी सरकार ने भी चुनाव के दौरान भ्रष्टाचार को ही मुद्दा बनाया था. केंद्र के बाद राज्यों में भी इसी मुद्दे को लेकर भाजपा लोगों तक गयी और सरकार बनाने में सफल रही. ऐसे में राज्य सरकार के सामने यह बड़ी चुनौती है कि वह सूबे में भ्रष्टाचारमुक्त शासन दे. लेकिन यह काम आसान नहीं है. आज प्रखंड से लेकर जिला मुख्यालयों में ऐसे तमाम लोग भड़े परे हैं, जो बिना घूस के काम करने में अपनी बेइज्जती समझते हैं. काम के एवज में सरकार की ओर से उन्हें तनख्वाह दी जाती है, लेकिन यह नाकाफी है. तुच्छ कामों के लिए भी पैसे देने पड़ते हैं.
शायद मुख्यमंत्री की इस घोषणा के बाद ऐसे लोगों में भय पैदा हो और वे ऐसा करने से परहेज करें. लेकिन इसकी कोई गारंटी नहीं है. अगर मुख्यमंत्री की इस घोषणा को अमल में लाया जाये, तो अवश्य ही यहां की जनता को राहत मिलेगी. भ्रष्टाचारमुक्त शासन सबके हित में होगा. इसके लिए शासन के साथ-साथ जनता को भी जागरूक और सचेत रहने की आवश्यकता है.