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मैं भगवान की शपथ लेकर कहता हूं, अल्पसंख्यकों की रक्षा के लिए कुछ भी करूंगा : राजनाथ सिंह

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नयी दिल्ली : गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने अल्पसंख्यकों की पूर्ण रक्षा का आज संकल्प लेते हुए धर्मांतरण पर सवाल उठाया और धर्मांतरण विरोधी कानून की आवश्यकता पर बहस की वकालत की. उन्होंने पूछा कि क्या धर्मांतरण में संलिप्त हुए बिना लोगों की सेवा नहीं की जा सकती? सिंह ने कहा, ‘‘ ‘घर वापसी’ और […]

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नयी दिल्ली : गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने अल्पसंख्यकों की पूर्ण रक्षा का आज संकल्प लेते हुए धर्मांतरण पर सवाल उठाया और धर्मांतरण विरोधी कानून की आवश्यकता पर बहस की वकालत की. उन्होंने पूछा कि क्या धर्मांतरण में संलिप्त हुए बिना लोगों की सेवा नहीं की जा सकती? सिंह ने कहा, ‘‘ ‘घर वापसी’ और धर्मांतरण के बारे में कभी- कभी अफवाहें फैलती हैं और विवाद होते हैं. किसी भी प्रकार का धर्मांतरण होना ही क्यों चाहिए?’’ उन्होंने कहा, ‘‘ अन्य देशों में अल्पसंख्यक समुदाय धर्मांतरण विरोधी कानून की मांग करते हैं. यहां, हम केवल यह कह रहे हैं कि धर्मांतरण विरोधी कानून होना चाहिए. इस मुद्दे पर बहस होनी चाहिए.

हमें धर्मांतरण विरोधी कानून लाने पर विचार करना चाहिए. मैं आप सब से विनम्र निवेदन करता हूं कि आप इस विषय पर सोचें .’’ राजनाथ सिंह ने राज्य अल्पसंख्यक आयोगों के एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए यह बात कही. इस सम्मेलन में विभिन्न अल्पसंख्यक समुदायों के प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं.गृह मंत्री ने ऐसे समय पर यह बयान दिया है जब हिंदुत्ववादी संगठनों द्वारा शुरू की गय धर्मांतरण विरोधी मुहिम और मदर टेरेसा के बारे में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत के बयानों को लेकर विवाद छिडा हुआ है. भारत में अल्पसंख्यक समुदाय के बारे में उन्होंने कहा कि मुस्लिमों में 72 वर्ग हैं और सभी हिंदुस्तान में हैं और सभी यहां सुरक्षित महसूस करते हैं. भारत सभी अल्पसंख्यकों के लिए सबसे सुरक्षित स्थान है.

राजनाथ सिंह ने कहा, ‘‘ हम धर्मांतरण किए बिना लोगों की सेवा क्यों नहीं कर सकते? जो लोगों की सेवा करना चाहते हैं, उन्हें यह काम धर्मांतरण में संलिप्त हुए बिना करना चाहिए. क्या हम इस समस्या का समाधान नहीं खोज सकते? ’’ उन्होंने कहा, ‘‘ यह मुद्दा संसद में भी उठाया गया था. कई लोगों ने कहा कि सरकार को इस बारे में कुछ करना चाहिए लेकिन मुझे लगता है कि इस मामले में समाज की भी भूमिका है.

समाज की भी जिम्मेदारी है. क्या हम एक दूसरे की आस्था का सम्मान करते हुए नहीं जी सकते? धर्मांतरण की क्या आवश्यकता है? क्या कोई धर्म धर्मांतरण में संलिप्त हुए बिना जीवित नहीं रह सकता?’’ गृह मंत्री ने कहा कि वह सभी राज्य सरकारों से अल्पसंख्यकों की रक्षा के लिए हर संभव और ठोस कदम उठाने का अनुरोध करते हैं. उन्होंने कहा,‘‘ मैं पूरे देश को बताना चाहता हूं कि मैं अल्पसंख्यकों की रक्षा के लिए कुछ भी करुंगा. मैं इसके लिए किसी भी हद तक जाउंगा. मैं भगवान की शपथ लेकर यह कहता हूं.’’

गृहमंत्री ने देश में संभावित जनसांख्यिकीय बदलाव के संदर्भ में कुछ वर्गों में व्याप्त डर का मुद्दा भी उठाया और कहा कि देश के मूल चरित्र को बदलने नहीं दिया जाना चाहिए. उन्होंने कहा, ‘‘अगर हम अमेरिका जाकर उस देश की पहचान को चोट पहुंचाने की कोशिश करें, तो क्या वे इसे स्वीकार करेंगे? हम उनकी पहचान को क्यों बदलना चाहेंगे? ऐसा कोई प्रयास नहीं होना चाहिए. भारत जैसा देश अपनी जनसांख्यिकीय रुपरेखा और चरित्र में बदलाव कैसे होने दे सकता है? भारत का चरित्र यथावत रहने दीजिए.’’ सिंह ने आरोप लगाया कि कांग्रेस के नेतृत्व वाले संप्रग के शासन के दौरान अल्पसंख्यकों के बीच असुरक्षा की भावना प्रबल रही.

उन्होंने कहा, ‘‘अल्पसंख्यकों के बीच असुरक्षा की भावना को अगर कोई समाप्त कर सकता है, तो वह है नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली राजग सरकार. हमें इस असुरक्षा की भावना को सुरक्षा की भावना में बदलना है. एक सरकार या एक गृहमंत्री के लिए, अल्पसंख्यकों के बीच असुरक्षा की भावना को खत्म करना सबसे बडी चुनौती है.’’ गृहमंत्री ने समुदायों के बीच होने वाले संघर्षों पर भी चिंता जाहिर की और कहा कि इस चलन को रोका जाना चाहिए और एक समुदाय द्वारा किसी दूसरे समुदाय पर अपनी प्रभुता स्थापित करने वाली प्रवृत्ति खत्म होनी चाहिए.

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