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एमओयू को लेकर आशंकाएं कायम हैं

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अडाणी समूह ने झारखंड में 50 हजार करोड़ रुपये के निवेश का प्रस्ताव दिया था, जिसे सरकार ने मंजूर कर लिया है. अब सरकार और अडाणी ग्रुप के बीच एमओयू होने का रास्ता साफ हो गया है. रघुवर दास की सरकार में यह सबसे बड़ा निवेश होगा. सरकार कई माह से प्रयास कर रही थी […]

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अडाणी समूह ने झारखंड में 50 हजार करोड़ रुपये के निवेश का प्रस्ताव दिया था, जिसे सरकार ने मंजूर कर लिया है. अब सरकार और अडाणी ग्रुप के बीच एमओयू होने का रास्ता साफ हो गया है.

रघुवर दास की सरकार में यह सबसे बड़ा निवेश होगा. सरकार कई माह से प्रयास कर रही थी कि राज्य में बड़े पैमाने पर निवेश हो. इसके लिए उसने ‘वाइब्रेंट गुजरात’ में देश-दुनिया के बड़े उद्योगपतियों से बात करके उन्हें झारखंड आने का आमंत्रण भी दिया था.

सरकार ने उन्हें बताया था कि झारखंड में माहौल बदल चुका है. सरकार उद्योगों को तमाम सुविधाएं उपलब्ध कराने को तैयार है. अब अडाणी समूह आगे आया है. चार हजार मेगावाट क्षमता का पावर प्लांट लगाने की उसकी योजना है. इसमें से एक हजार मेगावाट यानी 25 फीसदी बिजली झारखंड को मिलेगी. खाद का कारख़ाना लगेगा.

मेथनॉल प्लांट लगाने की योजना है. रांची, जमशेदपुर, धनबाद और बोकारो में घरों में पाइप से गैस पहुंचेगी. अडाणी ग्रुप इसके लिए जमीन भी चाह रहा है. अगर सरकार जमीन उपलब्ध करा पाती है तो राज्य में ये उद्योग लग सकते हैं. लेकिन झारखंड में जमीन बड़ी समस्या है. ऐसी बात नहीं है कि पहले एमओयू नहीं हुए थे. अभी प्रस्ताव मंजूर हुआ है.

एमओयू भी हो जायेगा. लेकिन असली परेशानी है एमओयू को लागू करने में. झारखंड में अनेक एमओयू हुए थे जो दो लाख करोड़ के आसपास के थे. अगर वे प्रोजेक्ट पूरे हो गये होते तो झारखंड आज कहां पहुंच गया होता! कई कंपनियों ने एमओयू को रद्द भी कर दिया.

इसलिए सरकार को गंभीर होना पड़ेगा. ऐसा न हो कि अडाणी समूह का भी वही हाल हो जो अन्य ग्रुप का हुआ था. वैसे सरकार बदल चुकी है. नयी सरकार की मंशा साफ है कि वह उद्योगों को प्रमुखता देना चाहती है लेकिन असली समस्या है रैयत को समझाना. सरकार के पास अपनी जमीन है नहीं.

है भी तो उसका उपयोग शायद उद्योग के लिए न किया जा सके.इसलिए अडाणी समूह या अन्य उद्योगपतियों को संभवत: अपने स्तर से ही जमीन की व्यवस्था करनी होगी, जो आसान काम नहीं होगा. झारखंड में अगर बेहतर निवेश होता है और यहां के लोगों को रोजगार में प्राथमिकता दी जाती है, तभी यहां के लोगों की स्थिति बदलेगी.

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