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कमजोर मॉनसून और सूखे की स्थिति में किसानों के बचाव के लिए तैयार है सरकार : कृषि मंत्री

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नयी दिल्ली :देश में मॉनसून के कमजोर रहने की खबर और इसकी वजह से सूखे की आशंकाओं के बढने की आशंकाओं के बीच केंद्र सरकार ने कृषि और बिजली क्षेत्र में संभावित नुकसान को सीमित करने, किसानों के हितों के संरक्षण तथा मूल्यों को नियंत्रण में रखने के लिए कई आपात उपायों की आज घोषणा […]

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नयी दिल्ली :देश में मॉनसून के कमजोर रहने की खबर और इसकी वजह से सूखे की आशंकाओं के बढने की आशंकाओं के बीच केंद्र सरकार ने कृषि और बिजली क्षेत्र में संभावित नुकसान को सीमित करने, किसानों के हितों के संरक्षण तथा मूल्यों को नियंत्रण में रखने के लिए कई आपात उपायों की आज घोषणा की. इसके अलावा कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने अपने मंत्रालय के एक साल के काम का लेखा-जोखा भी जनता के सामने रखा.
मॉनसून को लेकर भविष्यवाणी के अनुमान को सामान्य से कम से कमजोर किया गया है. इससे सूखे की आशंका प्रबल हो गई है. शेयर बाजार टूट रहे हैं और आर्थिक वृद्धि में सुधार को लेकर चिंता बढ रही है.
दो दिन में बंबई शेयर बाजार का सेंसेक्स 1,000 से अधिक अंक टूटा है. इससे बाजार पूंजीकरण में तीन लाख करोड रुपये की कमी आई है. इसके अलावा कृषि व ग्रामीण बाजार से संबंधित कंपनियों को कारोबार में भारी नुकसान का अंदेशा बन गया है. देश का कृषि क्षेत्र पहले ही खराब दौर से गुजर रहा है. बारिश में कमी से इसका प्रभाव विनिर्माण व सेवा क्षेत्र तक जा सकता है.
कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने आज यहां संवाददाताओं से कहा कि बारिश कम होने की स्थिति में उत्पादन का नुकसान कम करने और अर्थव्यवस्था पर इसके संभावित असर से निपट लिया जाएगा.
उन्होंने यह भी कहा कि सरकार इस साल के अंत तक नयी फसल बीमा नीति लाने की दिशा में काम कर रही है ताकि किसानों को आय सुरक्षा प्रदान की जा सके.
मंत्री ने कहा कि दाल की ऊंची कीमत पर लगाम लगाने के लिए सरकार आयात के जरिए देश में आपूर्ति बढाने पर विचार कर रही है और राज्यों से दाल जरुरत का आंकडा इकट्ठा कर रही है.
कृषि मंत्रालय के एक साल की उपलब्धि को रेखांकित करने के लिए आयोजित संवाददाता सम्मेलन में सिंह ने कहा ‘यदि कम बारिश होती है तो कृषि क्षेत्र में कुछ नुकसान जरुर होगा. हमें भरोसा है और हमारे पास ऐसी नीतियां हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कृषि क्षेत्र और अर्थव्यवस्था को कम से कम क्षति पहुंचे.’ उन्होंने कहा कि फिलहाल 580 जिलों के लिए आपात योजना तैयार है और स्थिति से निपटने के लिए वह राज्य सरकारों तथा कृषि अनुसंधान संगठनों के संपर्क में है.
सिंह ने कहा भारतीय कृषि कम बारिश को झेल सकती है. उन्होंने कहा जब हम सत्ता में आये तो हमने सूखे जैसी स्थिति का सामना किया. हर कोई परेशान था. लेकिन हमारे मंत्रालय ने नुकसान कम करने के लिए कडी मेहनत की है. उत्पादन में नुकसान हुआ लेकिन यह बहुत अधिक नहीं था. इस बार भी हम पिछले अनुभव के आधार पर परस्थिति का सामना करेंगे.
यह पूछने पर कि क्या किसानों के लिए बुरे दिन आने वाले हैं, मंत्री ने कहा अच्छे या बुरे दिन मानव निर्मित होते हैं या प्रकृति निर्मित. मानव निर्मित बुरे दिन खत्म हुए और अच्छे दिन शुरु हुए हैं. सरकार प्राकृतिक आपदा को नहीं रोक सकती लेकिन उस पर किसी भी तरह की परिस्थितियों से निपटने की जिम्मेदारी है. उन्होंने कहा कि कृषि उत्पादन पर कम बारिश के असर को कम करने की कोशिश होगी.
मौसम विभाग ने कम बारिश की भविष्यवाणी की है और इस साल के लिए बारिश का अनुमान 93 प्रतिशत से घटाकर 88 प्रतिशत कर दिया है जिससे देश के पश्चिमोत्तर क्षेत्र के सबसे अधिक प्रभावित होने की संभावना है. पिछले साल देश में 12 प्रतिशत कम बारिश हुई थी जिससे अनाज, कपास और तिलहन का उत्पादन प्रभावित हुआ था.
बिजली मंत्री पीयूष गोयल ने भी कहा कि यदि कमजोर मॉनसून से पनबिजली उत्पादन प्रभावित होता है तो उससे निपटने के लिए आपात योजना बनाई गई है. गोयल ने कहा, यह चिंता की बात है कि मॉनसून सामान्य से कम कमजोर रहने की संभावना है. हम इस बात को लेकर सजग हैं कि इससे पनबिजली उत्पादन घटेगा और मांग बढेगी. बिजली और कोयला मंत्रालयों को स्थिति की जानकारी है.
मंत्री ने हालांकि किसी तरह की चिंता को खारिज करते हुए कहा कि पनबिजली उत्पादन में किसी कमी से निपटने के लिए देश के प्रत्येक ताप बिजलीघर के पास पर्याप्त मात्रा में कोयला उपलब्ध है.
सरकार के अनुमान के मुताबिक कुल अनाज उत्पादन फसल वर्ष 2014-15 (जुलाई-जून) में घटकर 25.11 करोड टन रहा जबकि पिछले साल रिकार्ड 26.5 करोड टन अनाज का उत्पादन हुआ था. खराब मानसून के कारण कृषि वृद्धि दर 2014-15 में 0.2 प्रतिशत रही.

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