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”वैश्विक अर्थव्यवस्था की गाडी के रूप में चीन की जगह लेने में भारत को लगेगा लंबा समय”

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लंदन : आरबीआइ गवर्नर रघुराम राजन ने कहा है कि भारत तेजी से वृद्धि करता है तब भी उसे वैश्विक अर्थव्यवस्था की गाडी के रूप में चीन की जगह लेने में ‘लंबा समय लगेगा’. उनकी यह टिप्पणी इस दृष्टि से महत्वपूर्ण है कि चीन की आर्थिक वृद्धि दर की गिरावट से हाल के दिनों में […]

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लंदन : आरबीआइ गवर्नर रघुराम राजन ने कहा है कि भारत तेजी से वृद्धि करता है तब भी उसे वैश्विक अर्थव्यवस्था की गाडी के रूप में चीन की जगह लेने में ‘लंबा समय लगेगा’. उनकी यह टिप्पणी इस दृष्टि से महत्वपूर्ण है कि चीन की आर्थिक वृद्धि दर की गिरावट से हाल के दिनों में दुनिया भर के बाजारों में घबराहट है. इन घटनाओं को देखते हुए भारत में कहा जा रहा है कि यह संकट भारत के लिए एक अवसर है क्यों कि विश्व को को वृद्धि की एक वैकल्पिक गाडी की जरुरत हो सकती है. बीबीसी के साथ एक भेंट-वार्ता में यह पूछने पर कि क्या चीन की जगह भारत वृद्धि की नयी गाडी बन सकता है, राजन का जबाव था, ‘भारत, (आर्थिक) आकार में चीन के एक चौथाई या पांचवें हिस्से के बराबर है. यदि हम वृद्धि दर के लिहाज से चीन को पछाड दें तब भी इसका परिणामी प्रभाव काफी लंबे समय तक अपेक्षाकृत बहुत कम होगा.’

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विश्व बैंक के पास उपलब्ध ताजा आंकडों के मुताबिक अमेरिका का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) 17,000 अरब डालर से अधिक है और चीन की अर्थव्यवस्था 10,000 अरब डालर तथा भारतीय अर्थव्यवस्था 2,000 अरब डालर की है. सोमवार को बाजार में गिरावट के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूत करने पर जोर दिया था और कहा था कि मौजूदा वैश्विक संकट को भारत के लिए अवसर में बदलने की कोशिश होनी चाहिए. कल वित्त मंत्री अरुण जेटली ने भी कहा था कि वैश्विक बाजार के उतार-चढाव चिंता का विषय नहीं हैं बल्कि भारत के लिए तेज सुधार का मौका प्रदान करते हैं.

जेटली ने कहा था कि विश्व का जिम्मा शक्तिशाली गाडी पर था जो अब बहुत तेज नहीं दौर रही है. वैश्विक अर्थव्यवस्था को अब वैकल्पिक गाडी की जरुरत है. राजन ने कहा ‘चीन बडा देश है जो वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए बेहद महत्वपूर्ण बन गया है और दुनिया में यदि कहीं भी कुछ प्रतिकूल होगा तो इसका शेष विश्व पर जरुर असर होगा.’ उन्होंने हालांकि कहा कि वैश्विक बाजार की समस्याओं के लिए पूरी तरह चीन को जिम्मेदार ठहराना गलत है क्योंकि कई अन्य तरह की चिंताएं भी हैं. राजन को 2007-08 के वैश्विक वित्तीय संकट की भविष्यवाणी करने का श्रेय दिया जाता है. उन्होंने ऐसे किसी बडे आसन्न संकट की आशंका को खारिज किया.

उन्होंने कहा ‘अब तक जो मैंने देखा है उसके आधार पर ऐसा मानने की वजह नहीं है कि हम किसी अन्य संकट के कगार पर हैं. लेकिन पिछले कुछ साल में जो कमजोर कडियां पैदा हुई हैं उनके बारे में सतर्क रहना है.’ राजन ने इस संबंध में आगाह किया कि केंद्रीय बैंकों पर अर्थव्यवस्थाओं को दुरुस्त करने के लिए बहुत अधिक दबाव नहीं डाला जाना चाहिए क्यों कि इससे अच्छाई के बजाय बुराई ज्यादा हो सकती है. उन्होंने हालांकि कहा कि भारत में स्थिति अलग है जहां केंद्रीय बैंक को उच्च मुद्रास्फीति जैसी समस्या का सामना करना पड रहा है.

उन्होंने कहा कि आर्थिक समस्याओं का निदान सुधार के जरिए ही हो सकता है. राजन ने कहा ‘केंद्रीय बैंकों पर पहल करने का जो जबरदस्त बोझ पड रहा है उसके बारे में मैं थोडा चिंतित हूं. मुझे लगता है कि केंद्रीय बैंकों के लिए किसी मौके पर यह कहना बिल्कुल उचित हो सकता है कि ‘हम सिर्फ अपने आप इसका बोझ नहीं उठा सकते.’ दरअसल, हो सकता है कि हमारे पास वह सब कुछ करने के साधन ही न हो जो हमसे कहा जा रहा है.’ रिजर्व बैंक के गवर्नर राजन ने स्वीकार किया कि मौजूदा माहौल में उनकी स्थिति कोई जटिल नहीं है क्योंकि ज्यादातर वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं के उलट भारत में छह प्रतिशत के करीब उच्च मुद्रास्फीति है. वृद्धि को प्रोत्साहित करने के लिए मुख्य नीतिगत दर में तीन बार की गई कटौती के बावजूद नीतिगत ब्याज दर (रेपो) 7.25 प्रतिशत के उच्च स्तर पर है.

उन्होंने कहा ‘अपने देश में मेरे सामने मुद्रास्फीति जैसी परंपरागत समस्याएं हैं इसलिए हमें अभी उसी पर ध्यान देना है.’ राजन ने कहा ‘लेकिन दूसरे देशों में आपके सामने कुछ ऐसी समस्याएं हो सकती हैं जिससे निपटना केंद्रीय बैंक की क्षमता से बाहर हो. जैसे जनांकिकीय बदलाव, उत्पादकता में गहरा बदलाव, और ऐसी समस्याएं जिनसे अन्य तरीकों शायद ज्यादा अच्छी तरह निपटा जा सकता है.’ राजन ने कहा ‘लेकिन यदि अन्य जरियों का उपयोग नहीं किया जा रहा है या ऐसी धारणा है कि उनमें ज्यादा समय लगेगा और आप प्राथमिक गाडी के तौर पर केंद्रीय बैंक के साथ ही काम कर रहे हैं. ऐसे में आपके सामने ऐसी परिस्थितियां आ सकती हैं जो अच्छे के बजाय नुकसान ज्यादा करें. ब्याज दर शून्य पर आ जाता है तो आपके लिए नये औजारों का उपयोग मुश्किल हो जाता है.’

Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.

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