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शिक्षक दिवस पर बोले पीएम मोदी, ”मां जन्‍मदाता और गुरु जीवनदाता”

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नयी दिल्ली :प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज बच्चों के बीच अपने खास अंदाज में दिखे. उन्होंने आज दिल्ली के मानेक शॉ आडिटोरियम से देश के हर कोने के बच्चों से बात की. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बच्चों को याद कराया कि कल डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन का भी और भगवान श्रीकृष्ण का भी जन्मदिवस है. कश्मीर की […]

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नयी दिल्ली :प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज बच्चों के बीच अपने खास अंदाज में दिखे. उन्होंने आज दिल्ली के मानेक शॉ आडिटोरियम से देश के हर कोने के बच्चों से बात की. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बच्चों को याद कराया कि कल डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन का भी और भगवान श्रीकृष्ण का भी जन्मदिवस है. कश्मीर की रबिया रजी से भी उन्होंने बात की और तमिलनाडु की शालिनी से भी.

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झारखंड की अंजिका मिंज से भी उन्होंने बात की तो गोवा के सोनिया मल्पा पाटिल से भी उन्होंने बात की. पीएम नरेंद्र मोदी की इस बातचीत की खास बात यह थी कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का बच्चों ने अपनी स्थानीय परंपरा के अनुरूप अभिवादन किया और पीएम ने उन्हें उसी परंपरा में जवाब भी दिया. जैसे तमिलनाडु की बच्ची ने उन्हें वेडक्कम कह कर नमस्कार किया तो, झारखंड की बच्ची ने जोहार कह कर.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी इस पाठशाला में बच्चों को जीवन की शिक्षा दी. उन्होंने अपने जीवन के कई दिलचस्प अनुभवों को बच्चों से साझा किया. अपने संघर्ष व जिज्ञासु स्वभाव के बारे में बताया. पीएम ने चुटकी लेते हुए एक बच्चे से कहा कि आप तो गुगल गुरु के छात्र हैं! प्रधानमंत्री ने बच्चों को बिजली बचाने के बारे में भी बताया और यह भी बताया कि गांवों में बिजली पहुंचाने की उनकी क्या योजना है. पीएम नरेंद्र मोदी ने एक बच्चे जिसका किडनी ट्रांसप्लांट हुआ है, उसके स्वास्थ्य का हाल भी पूछा तो सेफ बनने में रुचि रखने वाले एक बच्चे से चुटकी लेते हुए यह भी पूछा भाई! क्या तुम दोस्तों को जंक फूड खाने से रोकते हो.

इस कार्यक्रम में मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी,वित्त राज्य मंत्री जयंत सिन्हा भी मौजूद थे. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की 125 जयंतीपर यहां 125 और 10 रुपये के सिक्के जारी किये गये. इस मौके पर कला व उत्सव की वेबसाइट भी लांच की गयी.

प्रधानमंत्री ने क्या कहा

हम सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्मदिन शिक्षक दिवस के रूप में मनाते हैं, लेकिन कल कृष्ण और राधाकृष्ण दोनों का जन्मदिन है, इसलिए मुझे आज विद्यार्थियों से मिलने का मौका मिला. कभी- कभी लोग मुझसे पूछते हैं कि शिक्षक दिवस छात्रों के बीच क्यों मनाते हो शिक्षक की पहचान छात्रों से होती है. आप कितने भी सफलता की कहानियां पढ़ लें इसमें गुरुओंका महत्व पता चलता है. माता का महत्व पता चलता है. हम सबके साथ होता है कि शिक्षक ने जो कठिन बात बतायी होगी, वह भूल गये होंगे. शिक्षको को अपने छात्रों के विषय में लिखना चाहिए उन्हें यह याद करना चाहिए कि उनकी क्लास में कौन सा छात्र कैसा था.प्रधानमंत्री ने कहा कि मां तो बच्चों को जन्म देती हैं, लेकिन शिक्षक उन्हें जीवन देते हैं.

शिक्षक कभी रिटायर्ड नहीं हो सकता. पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम चाहते थे कि उन्हें हमेशा एक शिक्षक की तरह याद किया जाए. उन्होंने अपना अंतिम समय भी शिक्षकों के बीच गुजारा. यह जरूरी नहीं की बड़े – बड़े लोग ही शिक्षक हों एक अनुभव ने बताया कि एक आंगनबाड़ी की शिक्षक जो पांचवी तक पढ़ी होगी, वह उन बच्चों के प्रति इतना लगाव रखती थी कि अपनी पुरानी साड़ी के छोटे- छोटे टुकड़े करके पिन खरीद के बच्चों को लगा देती थी.

उसी से हाथ पोछने, नाक पोछना सिखाया उसे वह स्कूल खत्म होते ही निकाल लेती थी और दूसरे दिन धोकर लाती थी. सोचिये एक शिक्षक ने कितना संस्कार दिया उन छात्रों को. जिस तरह कुम्हार एक बर्तन बनाने के लिए एक हाथ से थपथपाता है, दूसरे से संभालता है शिक्षक भी वैसा ही है. यह दूसरे व्यवसाय से अलग है. अगर कोई डॉक्टर किसी की जान बचा ले तो बड़े से बड़े अखबार में खबर छपती है, लेकिन जिस शिक्षक ने उसे बनाया है उसकी चर्चा नहीं होती. हमें पुरानी वयवस्था को एक बार फिर विकसित करनी होगी, जहां हर सुख-दुख में शिक्षक को याद किया जाता था. पहले भी लोग शिक्षक दिवस मनाते थे, लेकिन अब बदलाव हो रहा है. हमारी व्यवस्था में हम कोशिश कर रहे हैं कि इसका महत्व कैसे बढ़ाया जाए. हम कितने भी पढ़े लिखे क्यों ना हो लेकिन हमें रोबोट बनने से बचना है. हमारे भीतर संवेदनाएं होनी चाहिए यह कला और साधना से आती है सहजता से आती है. बिना कला के जीवन रोबोट सा बन जाता है. मैं शिक्षकों से अपील करता हूं कि हमारा काम है पीढ़ियों का बनाना मुझे उम्मीद है कि हम यही करेंगे.

प्रधानमंत्री से सवाल और जवाब

मालवा पूर्णा ( तेलंगाना) – आपके जीवन की सबसे बड़ी प्रेरणा क्या है.

जीवन किसी एक व्यक्ति के कारण नहीं बनता है. हम अच्छी चीजों का ग्रहण करने का प्रयास करते हैं तो हमें कई लोगों से बहुत कुछ मिलता है. मेरा स्वभाव बचपन से जिज्ञासु रहा है. इसका मुझे लाभ मिला है. मेरे सभी शिक्षकों के प्रति लगाव रहा है. मां लगाव करती रही. हम समय बिताने के लिए लाइब्रेरी चले जाते थे. मुझे स्वामी विवेकानंद के पुस्तकें पढ़ने का मौका मिला और वही से ज्यादा प्रेरणा मिली.

जवाहर नवोदय विद्यालय (मणिपुर)

मै राजनीति मे जाना चाहती हूं

हम लोकतांत्रिक व्यवस्था में है. राजनीति में अच्छे लोगों को आना चाहिए अलग- अलग क्षेत्र के लोगों को आना चाहिए. महात्मा गांधी जब आंदोलन चला रहे थे तो कई क्षेत्र के लोग इसमे आये जिससे इसकी ताकत बढ़ी. जितने ज्यादा मात्रा में राजनीति में आयेंगे उतना ही देश के विकास में मदद करेंगी. आप अगर राजनीति में आना चाहते हैं तो आपमें लीडरशीप क्वालिटी है. नेता क्यों बनना है यह साफ होना चाहिए. आप क्या चाहते है अगर आप समस्याओं का सामाधान के लिए नेता बनना है तो उनका दुख हमें सोने ना दे और उनकी खुशी हमारे अंदर महसूस हो ऐसा होना चाहिए आप देखों कि आपमें यह गुण है आप कर पाओगे क्या.

एनआईसी देहरादून
सार्थक भारद्वाज ( जुनियर मास्टर सेफ का विनर)

डिजिटल इंडिया का कार्यक्रम शानदार है ऐसे लेकिन गांवों में बिजली की समस्या है तो कैसे होगी.

प्रधानमंत्री ने सार्थक से पूछा कि तुम्हारी इच्छा कैसे हुई इस तरह और भी कई सवाल जवाब किये. प्रधानमंत्री ने कहा कि आपका सवाल सही है. मैंने लालकिले से कहा था कि 18 हजार गांव है जहां बिजली नहीं है. मेरा लक्ष्य है कि 1000 दिन में बिजली पहुंचाने का उद्देश्य है. इसके अलावा सोलर सिस्टम से भी इसे जोड़ा जा सकता है. डिजिटल इंडिया अब हमारे जीवन का हिस्सा है. मोबाइल फोन पर वह क्यों ना बात करे. यह सामान्य नागरिक को मजबूत करने वाला प्रोजेक्ट है.

गोवा( सोनिया एलअप्पा पाटिल) गोल्ड मेडल खिलाड़ी

आपको कौन सा खेल पसंद ?

प्रधानमंत्री ने पूछा कि आपको खेलने की प्रेरणा कहां से मिली, सोनिया ने जवाब दिया कि अमित सर ( कोच). मां बाप चाहते है कि बच्ची बड़ी हो रही है तो रसोई में मदद करे. शारीरिक क्षमता में भगवान ने कमी दी है लेकिन सोनिया ने उसे हरा कर कई मेडल जीते. अब उसने पूचा कि आप कौन सा खेल खेलते है अब राजनीति वाले कौन सा खेल खेलते है सबको मालूम है. हम दिन कबड्डीऔर खो खो खेलते थे. मैं तालाब जाकर तैरना पसंद करता था. थोड़ा आगे बढ़ा तो योग पसंद आया है मेरे एक शिक्षक थे परमार साहब वो पीटी टीचर थे उन्होंने व्यावामशाला खोला था लेकिन क्षमता कम थी इसलिए मैं मलखम कर नहीं पाया.

एनआईसी बेंगलूर

पांच लोगों का ग्रूप ( अनुपमा)

स्वच्छ भारत अभियान में क्या समस्या आ रही है आपने जब इस पर सोचा था तो आपको क्या लगा था?

मुझे लगा था कि यह चैलेंजिंग होगा लेकिन आप जैसे लोग जब वेस्ट मैनेजमेंट पर एप्स बनाते हो तो मेरी हिम्मत बढ़ती है. यह देश साफ होकर रहेगा. मीडिया के लोगों ने भी इसे आगे बढाया है. सभी लोग इसका समर्थन कर रहे है. वेस्ट मैनेजमेंट एक बड़ा प्रोजेक्ट है. कई लोग इसमें आ रहे है.

एनआईसी पटना
अनमोल

प्रतियोगिता परीक्षा का असर स्कूल की पढ़ाई पर असर डाल रही है इसे कैसे बदलेंगे?

हम इसे बदलने की कोशिश कर रहे है. स्कूलों में जिसे जो करना हो जिसमें प्रतिभा है वही करे. छात्रों को कैरेक्टर प्रमाण पत्र देना एक खानापूर्ति है.

शालिनी ( तमिलनाडू)

मैं अपने देश की सेवा करना चाहती हूं आप मार्गदशन करें कि मैं क्या करू?

आप जो अभी कर रही है वो भी देश की सेवा है. छोटी चीजों का ध्यान रखना ही देश की सेवा है. बिजली बचाना, खाना बर्बाद ना करना भी देश की सेवा है. आप किसी को शिक्षा देते हैं वो भी देश सेवा है.

एनआईसी बेंगलुरू
आत्मिक अजोय

शिक्षा में बेहतर शिक्षकों की कमी है. हम कैसे बेहतर शिक्षकों की चुनौैती को कैसे पूरा करेंगे?

देश में बेहतर शिक्षकों की कमी नहीं है. इन बच्चों के माध्यम से मैं देख रहा हूं कि शिक्षकों ने अपने बेहतर शिक्षकों को तैयार किया है. आज का कार्यक्रम अनोखा है हरएक के पास कुछ न कुछ है. टीचर व्यवस्था से नहीं कहीं से भी हो सकता है. इस देश में प्रतिभा की कमी नहीं है जरूरत है सही दिशा देने की.

एनआईसी बोकारो

अंजिका मिंज( झारखंड) अल्कोहल त्यागने के लिए काम किया है.

जोहार, सर मेरा प्रश्न है कि एक विद्यार्थी की क्या रेसीपी हो सकती है?

सफलता की कोई रेसीपी नहीं होती. विफलता को कभी भी सपनों का कब्रिस्तान नहीं बनने देना चाहिए. विफलता को सपने पूरा करने का आधार बनाना चाहिए. विफलता से सीखने वाला ही सफल होता है.विफलता की तरफ से देखने के लिए नजरिया बदलता है. हमारे मन की रचना होनी चाहिए की हमें विफल नहीं होता है. 1930 में एक पुस्तक छपी थी पोलिएना उसे पढ़ने की सलाह मैं आप सभी को देता हूं. आप तैराक बनना चाहते हैं तो पानी में उतरे, गाड़ी सीखना चाहते हैं तो ड्राइवर बने.

श्रीनगर
रबिया नजी

जब आप विद्यार्थी थे तो आपको सबसे ज्यादा आकर्षित कौन करता था क्लास या क्लास के बाहर

मैं ज्यादातर क्लास से बाहर ही रहता था परिवार की आर्थिक व्यवस्था के लिए भी मेरा वक्त ज्यादा बाहर जाता था. मैं चीजों को बहुत नजदीक से महसूस करता था. क्लास रूप में हमें मिशन मिलता है बाकि चीजें हमें डुढ़नी पड़ी है शायह उन्ही चीजों ने हमें बनाया है.

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