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साहित्य अकादेमी ने मौन तोडा, कलबुर्गी की हत्या की निन्दा की

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नयी दिल्ली : लेखक एम.एम कलबुर्गी की हत्या की कड़ी निन्दा करते हुए साहित्य अकादमी ने शुक्रवार को सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित कर राज्य एवं केंद्र सरकारों से इस तरह की घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए कदम उठाने की अपील की तथा लेखकों से कहा कि वे ‘‘बढती असहिष्णुता’ के खिलाफ लौटाए गए […]

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नयी दिल्ली : लेखक एम.एम कलबुर्गी की हत्या की कड़ी निन्दा करते हुए साहित्य अकादमी ने शुक्रवार को सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित कर राज्य एवं केंद्र सरकारों से इस तरह की घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए कदम उठाने की अपील की तथा लेखकों से कहा कि वे ‘‘बढती असहिष्णुता’ के खिलाफ लौटाए गए अपने पुरस्कारों को वापस ले लें.

अकादमी की आपात बैठक

लेखकों के प्रदर्शन के मद्देनजर आयोजित एक आपातकालीन बैठक में साहित्यिक इकाई ने इस्तीफा देने वाले सदस्यों से इस्तीफे वापस लेने की भी अपील की. लगभग दो घंटे तक चली बैठक के बाद कार्यकारी समिति बोर्ड सदस्य कृष्णास्वामी नचिमुतू ने कहा कि अकादमी कलबुर्गी की हत्या की कड़ी निन्दा करती है और राज्य सरकारों तथा केंद्र सरकार से भविष्य में इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए कदम उठाने की अपील करती है. आज की बैठक में अकादमी की कार्यकारी परिषद के 24 सदस्यों में से 20 शामिल हुए.

बढ़ती असहिष्णुता की निंन्दा

इस बैठक में के. सच्चिदानंदन शामिल नहीं हुए जिन्होंने यह कहते हुए साहित्य अकादमी के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया था कि यह लेखकों के साथ खड़े होने का अपना दायित्व निभाने और संविधान प्रदत्त अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को बरकरार रखने में विफल रही है. नचिमुतू ने कहा कि हत्याओं की निन्दा करने के लिए सभी लेखक अपने सर्वसम्मत फैसले में साथ खडे हैं.बढ़ती असहिष्णुता की निन्दा करने की लेखकों की मांग पर उन्होंने कहा कि हां, हमने उसका भी समाधान किया है. उन्होंने कहा कि जल्द ही विस्तृत बयान जारी किया जाएगा. अकादमी की बोर्ड बैठक 17 दिसंबर को होगी जहां पुरस्कार लौटाने से उत्पन्न स्थिति पर चर्चा होगी. नयनतारा सहगल, अशोक वाजपेयी, उदय प्रकाश, के.की. एन दारुवाला, के. वीरभद्रप्पा सहित कम से कम 35 लेखक अपने अकादमी पुरस्कार लौटा चुके हैं और पांच लेखकों ने साहित्यिक इकाई के अपने आधिकारिक पदों से इस्तीफा दे दिया था. इसके चलते अकादमी ने आज एक आपातकालीन बैठक की.

प्रदर्शन

इससे पूर्व आज दिन में अकादमी की बैठक से पहले लेखकों और उनके समर्थकों ने काली पट्टी बांधकर यहां एकजुटता मार्च आयोजित किया. एक दूसरे समूह ने प्रदर्शन के विरोध में यह कहते हुए जवाबी प्रदर्शन किया कि लेखकों का पुरस्कार लौटाना उनके निहित स्वार्थों से प्रेरित है तथा साहित्य अकादमी को दबाव के सामने झुकना नहीं चाहिए.

बहुलवाद को संरक्षित रखें

उधरसाहित्य अकादमी के अध्यक्ष विश्वनाथ प्रसाद तिवारी ने आज यहां कहा कि देश में साहित्यकारों की सर्वोच्च संस्था कन्नड के लेखक एम.एम. कलबुर्गी की हत्या की कडे शब्दों में निंदा करती है और भारतीय संस्कृति के बहुलवाद को संरक्षित रखने की अपील करती है. तिवारी ने साहित्य अकादेमी के कार्यकारी मंडल की बैठक के बाद संवाददताओं से कहा कि संस्था अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का पूरी दृढता के साथ समर्थन करती है और किसी भी लेखक के खिलाफ किसी भी तरह के अत्याचार की कडे शब्दों में निंदा करती है. हम भारतीय संस्कृति के बहुलवाद को संरक्षित रखने की अपील करते हैं, जो दुनिया के लिए अनुकरणीय है.

शांति बनाएरखें

उन्होंने कहा कि अकादेमी मांग करती है कि केंद्र और सभी राज्य सरकारें समाज और समुदाय के बीच शांतिपूर्ण सह अस्तित्व बनाये रखें. संस्था सभी समुदायों से भी विनम्र अनुरोध करती है कि जाति, धर्म, क्षेत्र और विचारधारा आधारित मतभेदों को अलग रखकर एकता और समरसता को बरकरार रखें. उन्होंने अकादेमी के 61 सालों के इतिहास का हवाला देते हुए कहा कि यह एक स्वायत्त संस्था है, जो लेखकों द्वारा संचालित होती है. पुरस्कारों सहित सभी फैसले लेखकों द्वारा ही लिए जाते हैं. अकादेमी पुरस्कार लौटाने वाले या संस्था से अपने को अलग करने वाले लेखकों से अकादेमी का अनुरोध है कि वे अपने फैसले पर पुनर्विचार करें. यहां आज संपन्न हुई कार्यकारी मंडल की बैठक में सभी भारतीय भाषाओं के 24 में से 20 सदस्यों ने भाग लिया.

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