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गर्भावस्था में मिरगी से बचाव है जरूरी

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गर्भावस्था के दौरान मिरगी आने से कई प्रकार की जटिलताएं हो सकती हैं, जिनसे मां व बच्चे पर दुष्प्रभाव पड़ सकता है. ऐसी स्थिित न आये, इसके लिए गर्भवती को कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए. एपिलेप्सी मस्तिष्क से संबंधित रोग है. यह समस्या 0.3-0.8 % गर्भवती महिलाओं में देखी जाती है. यह समस्या आनुवंशिक […]

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गर्भावस्था के दौरान मिरगी आने से कई प्रकार की जटिलताएं हो सकती हैं, जिनसे मां व बच्चे पर दुष्प्रभाव पड़ सकता है. ऐसी स्थिित न आये, इसके लिए गर्भवती को कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए.

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एपिलेप्सी मस्तिष्क से संबंधित रोग है. यह समस्या 0.3-0.8 % गर्भवती महिलाओं में देखी जाती है. यह समस्या आनुवंशिक भी हो सकती है. हालांकि इसके अन्य कारण भी हो सकते हैं, जैसे-सिर पर चोट लगना, ब्रेन में इन्फेक्शन होना अथवा ट्यूमर भी इसका एक कारण हो सकता है. आमतौर पर इसके 90% मामलों में कारणों का पता नहीं चल पाता है. गर्भावस्था में 10% एपिलेप्सी के मरीज में कुछ गंभीर जटिलताएं हो सकती हैं, जिसके कारण मां व बच्चे दोनों को खतरा हो सकता है. अत: गर्भवती महिलाओं को कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है.

प्रसवपूर्व रखें ध्यान
जिन महिलाओं को एपिलेप्सी है लेकिन दवा के सेवन से रुकी हुई है और दो वर्षोंे से मिरगी का दौरा नहीं पड़ा है, तो डॉक्टर दवा बंद भी कर सकते हैं. जो महिलाएं गर्भधारण की सोच रही हैं, वे फोलिक एसिड की गोलियां प्रतिदिन खाना शुरू कर दें. ऐसा करने से बच्चे में किसी भी प्रकार के विकार की आशंका को कम किया जा सकता है. यह भी हमेशा ध्यान रखना चाहिए कि इसकी दवाओं का प्रयोग करते रहना चाहिए ताकि इसका दौरा दबा रहे. अन्यथा मिरगी का दौरा पड़ने से गिरने का व चोट लगने का खतरा बढ़ जाता है. लगातार मिरगी होने से शरीर में आॅक्सीजन की कमी हो जाती है, जिससे गर्भ में पल रहा भ्रूण भी प्रभावित हो सकता है. इससे बच्चे के आइक्यू, मानसिक व शारीरिक विकास पर असर पड़ सकता है. एपिलेप्सी में दी जानेवाली दवाइयों से भी भ्रूण पर बुरा असर पड़ सकता है जैसे-नेवलप्रोटी, फेनिटोइन, फेनोबेनबिलोम आदि. कुछ नयी दवाइयों जैसे-लेमोट्राइजिन, लेवीटाइरेक्टम से दुष्प्रभाव कम देखा गया है. प्रेग्नेंसी से पहले ऐसी दवाई लेना चाहिए, जो असरदार व भ्रूण के लिए सुरक्षित हो. शुरुआत में कम मात्रा में लेना चाहिए.

प्रसव के दौरान
प्रसव के समय भी दवाइयों का सेवन जारी रखें. दर्द, तनाव व नींद की कमी से मिरगी का दौरा पड़ सकता है. अत: दर्द के निवारण का उचित प्रयास होना चाहिए. नॉर्मल डिलिवरी में कोई परेशानी नहीं है. प्रसव के उपरांत बच्चे को जीटीके की सूई दी जाती है. बच्चे को स्तनपान कराया जा सकता है. इससे किसी भी प्रकार की परेशानी नहीं होती है. मां दवा का सेवन डॉक्टरी सलाह से करती रहेगी.

डॉ मीना सामंत
प्रसूति व स्त्री रोग विशेषज्ञ कुर्जी होली फेमिली हॉस्पिटल, पटना

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