होली खेलते समय गर्भवती को भी कई तरह की सावधानियां बरतनी पड़ती हैं. महिलाओं की संवेदनशीलता बढ़ जाने के कारण इस समय केमिकल रंगों से काफी अधिक नुकसान हो सकता है. केमिकल रंगों में मौजूद लेड और मरकरी जैसे तत्व शिशु के विकास को प्रभावित कर सकते हैं. अत: सावधानी जरूरी है.
डॉ मोनिका अनंत
असिस्टेंट प्रोफेसर,
(ओ एंड जी) एम्स, पटना
होली में कोई भी रंगों से अछूता नहीं रहना चाहता है. ऐसे में गर्भवती महिलाएं भला क्यों पीछे रहेंगी. वे भी होली के रंगों में भीगना चाहती हैं, लेकिन इसमें थोड़ी सावधानी बरतनी जरूरी है. होली के कुछ रंग चाहे वे केमिकल से बने हों या ब्रांडेड नेचुरल रंग हों, वे प्रेग्नेंसी के दौरान नुकसान पहुंचा सकते हैं.
कई बार बाजार में ब्रांडेड नेचुरल बताये जानेवाले रंगों में भी कुछ मात्रा में लेड और मरकरी जैसे तत्व होते हैं. ये हानिकारक तत्व शरीर में बड़ी ही आसानी से अवशोषित हो जाते हैं और भ्रूण को नुकसान पहुंचा सकते हैं. उदाहरण के लिए नेचुरल हिना को शरीर के लिए सुरक्षित माना जाता है लेकिन ब्लैक हिना में पीपीडी नामक केमिकल होता है, जिसके कारण प्रेग्नेंसी के दौरान एलर्जिक रिएक्शन हो सकता है. कई कंपनियां इस तरह के हिना को भी नेचुरल कलर कह कर के बेच देती हैं.
कैसे होता है नुकसान
गर्भवती महिलाओं की इम्युनिटी कमजोर होती है. ऐसे में रोगों और इन्फेक्शन का खतरा अधिक होता है. त्वचा भी संवेदनशील हो जाती है. इस कारण जिन रंगों से सामान्य लोगों को कोई परेशानी नहीं होती है, उन रंगों के प्रति भी वे संवेदनशील हो सकती हैं. ब्रेस्टफीडिंग करा रही महिलाएं भी सावधानी बरतें. केमिकल कलर्स में सिंथेटिक, इंडस्ट्रियल डाइ और आॅक्सीडाइज्ड मेटल होते हैं.
ये रंग यदि दूध के जरिये शिशु के शरीर में जाएं, तो स्वास्थ्य के लिए घातक हो जाते हैं. लेड और मरकरी जैसे तत्व शिशु के दिमागी विकास में बाधा पहुंचाते हैं. अत: गर्भवती महिलाएं पानी में हल्दी, सिंदूर, चंदन की लकड़ी आदि की मदद से रंग बना के होली खेल सकती हैं. इनसे नुकसान नहीं होता है.
खाने में भी रखें सावधानी
रंगों से सावधानी बरतने के साथ ही खाने-पीने के मामलों में साधानी बरतनी जरूरी है. खाने में आॅयली और हेवी फूड से भी बचना चाहिए. इन चीजों से अपच और छाती में जलन जैसी शिकायतें हो सकती हैं. पानी खूब पीएं और खुद को हाइड्रेटेड रखें.
बरतें ये सावधानियां
– होली में सिर्फ खुद का ही नहीं बल्कि होनेवाले शिशु का भी ख्याल रखना होता है. अत: ऐसे में कई तरह सावधानियां बरतनी होती हैं.
-सबसे पहले पानी से सतर्क रहें, क्योंकि आप फिसल सकती हैं. फिसलने पर होनेवाले शिशु को परेशानियां हो सकती हैं.
– नशीली चीजों से बचें. भांग प्राकृतिक है, मगर उसका नशा भी बच्चे के जीवन के लिए खतरनाक हो सकता है.
– मिठाई तथा सॉफ्ट ड्रिंक्स का सेवन कम करें, क्योंकि इन पदार्थों से शूगर बढ़ जाता है, जो मां और शिशु दोनों के लिए हानिकारक है.
– गर्भावस्था के समय अगर गैस्टेशनल डायबिटीज हो जाये, तो शूगर का सेवन कम करना चाहिए. इसके लिए डॉक्टर के लगातार संपर्क में रहना भी काफी जरूरी है.
बच्चों को ज्यादा देर भीगा न रहने दें
होली के समय बच्चों की सेहत का खास ख्याल रखना जरूरी होता है. इस समय गरमी की शुरुआत हो चुकी होती है. इस कारण इस मौसम में कुछ सामान्य रोगों के होने की आशंका अधिक होती है.
बच्चों की त्वचा काफी नाजुक होती है. इस कारण केमिकलवाले रंगों से काफी तेज रिएक्शन हो सकता है. इससे त्वचा में जलन की शिकायत हो सकती है. अत: इन रंगों से दूरी बना कर रखने में ही समझदारी है. ऐसे में हर्बल रंगों को प्राथमिकता देना ही बेहतर रहेगा.
खान-पान पर रखें ध्यान
खान-पान का ध्यान रखना भी जरूरी है. खास कर होली के बाद पेट के मरीजों की संख्या बढ़ जाती है. खास कर लोग फूड प्वाइजनिंग व दस्त की शिकायत लेकर आते हैं. इसका एक प्रमुख कारण होली में मिलावटी मिठाइयों का सेवन भी होता है. इस कारण सस्ते तेल या मिठाइयों के चक्कर में न पड़ें. कोशिश करें कि दुकान से मिठाइयाें को खरीदने के बजाय घर में बनी मिठाइयों को ही प्राथमिकता दें. होली खेलने के दौरान इंज्यूरी की शिकायत भी काफी होती है.
ऐसे में बड़ों को थोड़ी सावधानी बरतनी चाहिए. चूंकि होली खेलने के दौरान बच्चे काफी देर तक भीगे रहते हैं और गरमी भी बढ़ चुकी है, इससे रोगों के होने की आशंका काफी बढ़ जाती है. दस्त, खांसी, सर्दी और बुखार हो सकता है. अत: बच्चों को ज्यादा देर तक भीगा न रहने दें.
एहतियात के तौर पर कुछ दवाएं अपने पास रखें, ताकि होली के दिन परेशानी न हों. यदि बच्चे को बुखार लग गया हो, तो उसे पारासिटामॉल दे सकते हैं. दस्त की समस्या हो, तो ओआरएस और जिंक दिया जा सकता है. यदि ओआरएस नहीं हो, तो नीबू पानी में नमक मिला कर भी दे सकते हैं.