नयी दिल्ली : देश के 9 राज्यों में भीषण सूखे की समस्या को देखते हुए आज केंद्र सरकार को कड़ी फरकार लगाई है. कोर्ट ने कहा, केंद्र सरकार राज्यों की समस्याओं को लेकर इस तरह से आंखें नहीं बंद कर सकती है. समस्याओं से निपटने के लिए आवश्यक कदम सरकार को उठाना ही होगा.
सुप्रीम कोर्ट ने आज केंद्र सरकार से पूछा है कि सूखे को लेकर केंद्र सरकार क्या कर रही है. साथ ही सूखे से किसानों को राहत पहुंचाने के लिए क्या कदम उठाये जा रहे हैं. इधर शीर्ष अदालत ने सूखाग्रस्त क्षेत्रों में मनरेगा कोष नहीं देने पर भी सरकार की खिंचाई की है.
उच्चतम न्यायालय ने आज मनरेगा के लिए राज्यों को पर्याप्त कोष जारी नहीं करने पर केंद्र की खिंचाई की और उससे सूखाग्रस्त राज्यों में इस योजना पर खर्चे का ब्यौरा देने को कहा. शीर्ष अदालत ने कहा कि राहत अभी दी जानी चाहिए, एक साल बाद नहीं.
न्यायमूर्ति एमबी लोकुर की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, ‘‘अगर आप कोष जारी नहीं कर रहे हैं, तो कोई भी काम करना पसंद नहीं करेगा. राज्य कहेंगे कि हमारे पास कोष नहीं है, इसलिए वे मनरेगा कार्य के लिए किसी को पैसे नहीं दे सकते. कोई राज्य लोगों से कोई प्रतिबद्धता नहीं जताएगा.’
पीठ ने कहा, ‘‘राहत तुरंत दी जानी चाहिए, एक साल बाद नहीं. तापमान 45 डिग्री सेल्सियस पर है, पेयजल तक नहीं है, वहां कुछ भी नहीं है. आपको कुछ करना होगा और समय पर राहत देनी होगी.’ पीठ ने कहा कि सरकार के अपने आंकडों के अनुसार, औसत कार्यदिवस 48 हैं जबकि कानून कहता है कि यह सौ दिन होने चाहिए.
पीठ ने कहा, ‘‘इस दलील में दम है कि चूंकि आप (केंद्र) कोष जारी नहीं कर रहे हैं, राज्य मनरेगा के तहत लोगों को काम देने के इच्छुक नहीं हैं और इसलिए औसत कार्यदिवस कम होंगे.’ अदालत ने कहा, ‘‘हमें अहसास होना चाहिए कि समस्या है. नौ राज्यों और अब राजस्थान ने सूखा घोषित किया है.
यह मानना मुश्किल है कि बुंदेलखंड और मराठवाडा में सूखा नहीं है.’ अतिरिक्त सालिसिटर जनरल पिंकी आनंद ने पीठ को जानकारी दी कि केंद्र द्वारा वेतन दायित्व के लिए कुछ दिन में 7983 करोड़ रुपये जारी किये जाएंगे जबकि 2400 करोड़ रुपये के सामग्री दायित्व को जून में मंजूरी दी जाएगी. उन्होंने कहा कि सूखाग्रस्त राज्यों के लिए मजदूरी दायित्व के रुप में 2723 करोड़ रुपये जारी किये जा रहे हैं.
* जल संकट से निपटने के लिए ठाणे ने टोल फ्री नंबर शुरू किया
महाराष्ट्र में गहरे जल संकट से जूझ रहे, मुंबई से सटे ठाणे में जिला प्रशासन ने 24 घंटे काम करने वाले एक नियंत्रण कक्ष की स्थापना की है जो पानी के दुरुपयोग और व्यवसायीकरण संबंधी शिकायतें प्राप्त करेगा. इसके लिए एक टोल फ्री नंबर भी जारी किया गया है.
जिला प्रशासन द्वारा जारी एक आधिकारिक विज्ञप्ति में बताया गया है कि आपूर्ति किए जा रहे पानी के व्यवसायीकरण पर रोक के लिए टोल फ्री नंबर 1077 जारी किया गया है. इसमें बताया गया है कि टैंकर से आपूर्ति वाले पानी के दुरुपयोग की शिकायतें भी सामने आई हैं.
विज्ञप्ति के अनुसार जून में राज्य में मानसून की शुरुआत होने तक, उपलब्ध पानी के प्रभावी उपयोग के लिए एक योजना बनाई गई है. इसके लिए जिलाधीश डॉक्टर अश्विनी जोशी पानी की आपूर्ति और उपयोग की तथा जल की उपलब्धता एवं उसके वितरण की निगरानी करेंगे.
एक स्थानीय पार्षद ने बताया कि वह इस बात पर विचार कर रहे हैं कि जिले में प्राकृतिक स्रोतों के पानी का उपयोग पीने व अन्य कामों के लिए हो. हाल ही में भाजपा की राज्य इकाई ने नासिक में इस मसले पर विचार-विमर्श करने के लिए एक बैठक भी की थी.