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राजन ने दूसरे कार्यकाल में रूचि का संकेत दिया, कहा ‘अभी काफी कुछ करना बाकी है”

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लंदन:भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने इस पद पर दूसरे कार्यकाल में अपनी रुचि का संकेत देते हुए कहा आज कहा कि उन्होंने अपने इस काम में हर पल का आनंद लिया है लेकिन ‘अभी भी बहुत कुछ करने की जरुरत है’. उन्होंने यह बात ऐसे समय की है जबकि सत्तारुढ भाजपा में […]

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लंदन:भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने इस पद पर दूसरे कार्यकाल में अपनी रुचि का संकेत देते हुए कहा आज कहा कि उन्होंने अपने इस काम में हर पल का आनंद लिया है लेकिन ‘अभी भी बहुत कुछ करने की जरुरत है’. उन्होंने यह बात ऐसे समय की है जबकि सत्तारुढ भाजपा में कुछ लोग उनके कार्यकाल का विस्तार किये जाने के खिलाफ हैं.

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राजन ने यहां कहा, ‘‘ चीजों को वास्तव में आगे बढाने के मामले में मुझे संतोष है ताकि (अर्थव्यवस्था में ) माहौल सुधरे. …मैंने अपने काम के हर पल का आनंद लिया है.’ राजन का तीन वर्षीय कार्यकाल सितंबर में खत्म हो रहा है. उन्होंने अपने कार्यकाल के विस्तार के बारे में ‘भाजपा और सरकार के अंदर उत्तेजना’ और इस मुद्दे पर राजनीति के बारे में एक प्रश्न के जवाब में यह बात कही. इस सवाल पर कि यदि उन्हें दूसरा कार्यकाल नहीं दिया जाता है तो क्या केंद्रीय बैंक के प्रमुख के तौर पर उनका काम अधूरा रह जाएगा के जवाब में राजन ने सीएनबीसी चैनल से कहा, ‘‘यह एक अच्छा सवाल है.

मेरा मानना है कि हमने बहुत कुछ हासिल किया है.. मेरा मानना है.. मेरा तात्पर्य है कि हमेशा ही कुछ न कुछ और करने को बचा ही रहता है.’ गौरतलब है कि वरिष्ठ भाजपा नेता सुब्रहमण्यम स्वामी ने कल संसद के बाहर पत्रकारों से कहा था कि राजन को उनके पद से हटा देना चाहिए. स्वामी ने देश में औद्योगिक गतिविधियों में गिरावट और बेरोजगारी के लिए राजन की नीतियों को जिम्मेदार बताया है. स्वामी ने कहा था, ‘‘मेरे विचार में राजन भारतीय रिजर्व बैंक देश के लिए उपयुक्त नहीं हैं. मैं उनके बारे में ज्यादा कुछ नहीं बोलना चाहता. उन्होंने महंगाई कम करने के नाम पर ब्याज दरों को बढाया है जिसका नुकसान देश को हुआ। उन्हें जल्द से जल्द शिकागो वापस भेज देना चाहिए, यही बेहतर होगा.’ राजन भारत आने से पहले शिकागो विश्वविद्यालय में बूथ स्कूल ऑफ बिजनेस में वित्त के पढाते थे. वह इस समय वहां से अवकाश पर हैं.

भारत में बैंकों के लेहमेन ब्रदर्स की तरह ढहने की आशंका नहीं

फंसे कर्ज की समस्या से पार पा लेने का भरोसा जताते हुए रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने आज कहा कि भारत में ‘लेहमेन ब्रदर्स की तरह किसी बैंक के ढहने की गुंजाइश’ नहीं है और घरेलू अर्थव्यवस्था को बाहरी दबावों से बचाने के लिए तीन स्तरीय सुरक्षा घेरा बनाया जा रहा है.इसके साथ ही राजन ने सार्वजनिक बैंकों के तत्काल निजीकरण की सभी मांगों केा खारिज कर दिया और कहा कि उनके बैलेंस शीट को साफ किए जाने की जरुरत है क्योंकि अगर बैलेंस शीट सही साफ नहीं हुई तो कोई भी निजी निवेशक आगे नहीं आएगा.नीतिगत ब्याज दरों में कटौती को लेकर कुछ ज्यादा ही ‘सावधानी’ बरतने के लिए आलोचना का सामना करने वाले राजन ने संकेत दिया है कि वृद्धि को बल देने के लिए दरों में कटौती ही एक मात्र उपाय नहीं है.

यहां सीएनबीसी न्यूज चैनल को एक साक्षात्कार में राजन ने कहा,‘ मेरी राय में अर्थव्यवस्था के लिए सुरक्षा दीवार बनाने के लिए हम जो वास्तविक प्रयास कर रहे हैं उनमें पहला अच्छी नीतियों के साथ सुधार जो हमने हाल ही में लागू किए हैं. दूसरा हमारे ऋण की परिपक्वता को बढाने की कोशिश है. हमने अपने ऋण, बाह्य ऋण की परिपक्वता काफी बढाई है. तीसरा अपने आरक्षित भंडार बनाया है. ‘ भारत में फंसे कर्ज या खराब ऋण की समस्या का आकार न्यूजीलैंड की 170 अरब डालर की अर्थव्यवस्था से भी बडा है और क्या किसी तरह के बैंकिंग संकट का जोखिम है, यह पूछे जाने पर राजन ने कहा,‘ मुझे नहीं लगता कि यह इतना बडा है. दूसरा अधिकांश फंसा हुआ कर्ज या खराब आस्तियां सार्वजनिक क्षेत्र बैंकों में हैं और सरकार ने उनकी पूरी गारंटी दी हुई है. ‘
राजन ने कहा,‘ इसलिए ऐसी कोई भी आशंका नहीं है कि वे विफल होंगे. इसके अलावा लेहमेन जैसे हालात की भी कोई गुंजाइश नहीं है. ‘ उल्लेखनीय है कि एक समय विशाल बैंकिंग संस्थान रहे लेहमैन ब्रदर्स के ढहने के साथ ही 2008 में अमेरिका में वित्तीय संकट की शुरुआत हुई.आरबीआई गवर्नर ने कहा,‘आस्तियां साफ हों और निवेशकों को बैंकों की बैलेंस शीट की अच्छी जानकारी हो .. यह सुनिश्चित किया जाना है और इसके लिए प्रक्रिया चल रही है.
कुछ बैंकों ने तो हमारे द्वारा तय समयावधि से पहले ही साफ सफाई कर ली है. ‘ क्या वे कुछ बैंकों का निजीकरण करेंगे और क्या इससे कुछ कमियों को दूर किया जा सकता है यह पूछे जाने पर राजन ने कहा,‘ मेरी राय में समय के साथ हम बैंकिंग प्रणाली में कार्य संचालन में सुधार करेंगे तो इस सवाल का जवाब दिया जा सकता है. इस समय इनमें से ज्यादातर बैंकों के लिए वास्तविक मुद्दा अपनी बैलेंस शीट को साफ करना है क्योंकि बिना साफ बैलेंस शीट के कोई निजी निवेश सामने आएगा इसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती है.

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