नयी दिल्ली: भाजपा के राज्यसभा सदस्य सुब्रह्मणियम स्वामी ने केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह से आग्रह किया है कि वह कांग्रेस नेता शशि थरुर की पत्नी सुनंदा पुष्कर की रहस्यमयी मौत की जांच को आगे बढाने के लिए अदालत की निगरानी में एसआईटी के गठन के लिए हस्तक्षेप करें.
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सुनंदा मामला: स्वामी ने एसआईटी के गठन के लिए गृहमंत्री को लिखा पत्र
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नयी दिल्ली: भाजपा के राज्यसभा सदस्य सुब्रह्मणियम स्वामी ने केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह से आग्रह किया है कि वह कांग्रेस नेता शशि थरुर की पत्नी सुनंदा पुष्कर की रहस्यमयी मौत की जांच को आगे बढाने के लिए अदालत की निगरानी में एसआईटी के गठन के लिए हस्तक्षेप करें. सिंह को लिखे एक पत्र में स्वामी […]
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सिंह को लिखे एक पत्र में स्वामी ने दिल्ली पुलिस की तीखी आलोचना की और आरोप लगाया कि वह ऐसे समय में आपराधिक जांच के लिए प्राथमिक कदम उठाने तक से अपना पांव खींच रही है जब उनके शरीर में जहर पाया गया और उनकी अप्राकृतिक मौत हुई.उन्होंने कहा कि यह पुलिस का फर्ज हैं कि वह जांच को तार्किक परिणति तक ले जाएं लेकिन अभी तक जांच आरोपपत्र दाखिल करने के चरण तक भी नही पहुंची है.
उन्होंने 12 मई के अपने पत्र में लिखा, ‘‘अमेरिका की एफबीआई को भी जहर की प्रकृति निर्धारित करने के काम में लगाया गया. एफबीआई जहर का नाम बताने में सक्षम रही जो उनके शरीर में पाया गया।’ स्वामी ने कहा कि अगस्त 2015 से आज तक दिल्ली पुलिस आपराधिक जांच प्रक्रिया के लिए अनिवार्य प्राथमिक कदम से भी अपने पांव खींच रही है.
सुनंदा यहां जनवरी 2014 में एक पांच सितारा होटल में अपने कमरे में मृत पाई गई थीं. उससे एक दिन पहले ट्विटर पर थरुर के एक कथित प्रेम प्रकरण पर उसका पाकिस्तानी पत्रकार मेहर तरार से झगडा हुआ थासुनंदा के विसरा का नमूना पिछले साल फरवरी में वॉशिंगटन डीसी स्थित एफबीआई लैब में भेजा गया था ताकि इस बात का पता लगाया जा सके कि किस जहर के कारण उनकी मौत हुई. इससे पहले, एम्स के एक मेडिकल बोर्ड ने सुनंदा की मौत का कारण जहर देने को बताया था.
एफबीआई ने जहर दिए जाने को लेकर एम्स की रिपोर्ट का समर्थन किया था और यह भी कहा कि उनके शरीर में एक ‘‘खतरनाक रसायन’ की वजह से उनकी मौत हुई होगी. स्वामी ने पत्र में लिखा, ‘‘मैं समझता हूं कि एक एसआईटी का गठन उचित होगा और इसकी निगरानी उच्च न्यायालय या उच्चतम न्यायालय की ओर से की जानी चाहिए.’ उन्होंने लिखा, ‘‘बहरहाल, यदि आपको लगता है कि दिल्ली पुलिस अब भी निष्पक्ष और उचित जांच कर आरोप-पत्र दाखिल कर सकती है, तो एसआईटी जांच के लिए उच्च न्यायालय या उच्चतम न्यायालय में जनहित याचिका दाखिल करने का अपना फैसला टाल दूंगा
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