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यदि आप जो कुछ करना चाहते हैं, आप जिसे करने के लिए नियत हैं, वह आपको पता है, तो बस उसे कर डालिए. यह जितना दिखता है, उससे कहीं अधिक कठिन होता है और कभी-कभी अंत में आपकी कल्पना से कहीं ज्यादा आसान लगता है. क्योंकि आप जहां पहुंचना चाहते हैं, वहां तक जाने के […]

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यदि आप जो कुछ करना चाहते हैं, आप जिसे करने के लिए नियत हैं, वह आपको पता है, तो बस उसे कर डालिए. यह जितना दिखता है, उससे कहीं अधिक कठिन होता है और कभी-कभी अंत में आपकी कल्पना से कहीं ज्यादा आसान लगता है. क्योंकि आप जहां पहुंचना चाहते हैं, वहां तक जाने के पहले आपको कई चीजें करनी पड़ती हैं. प्रेरक भाषण शृंखला की सातवीं कड़ी में आज पढ़ें नील गेमन को. उनके इस व्याख्यान की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रशंसा हुई है और उन्होंने हाल ही में इसे प्रकाशित किया है.

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नील गेमन

मैं ने कभी खुद से यह अपेक्षा नहीं की कि मैं उच्च शिक्षा के एक संस्थान से ग्रेजुएट हो रहे छात्रों को सलाह भी दूंगा. मैं स्वयं किसी भी संस्थान से ग्रेजुएट नहीं हुआ. मैंने कभी ग्रेजुएशन की पढ़ाई का आरंभ भी नहीं किया. मैं एक लेखक बनना चाहता था और यह विचार कि उसके पहले मुझे चार वर्षों तक एक थोपी हुई पढ़ाई करनी पड़ेगी, इतना दमघोंटू लगा कि जितनी जल्दी संभव हो सका, मैं स्कूल से निकल लिया. फिर मैंने लिखना आरंभ किया और जितना ही ज्यादा लिखा, उतना ही बेहतर बनता गया. मैंने और ज्यादा लिखा.

कोई भी इसका बुरा मानता जैसा न लगा, और इसके साथ ही मैं अपना लेखन मांजता भी जा रहा था. मैं जो भी लिख रहा था, लोगों ने उसे पढ़ा, उसके लिए पैसे भी दिये और मुझे कुछ अलग लिखने को भी कहते रहे. इन सारी चीजों ने उच्च शिक्षा के लिए मेरे मन में एक ऐसा सम्मान तथा प्रेम पैदा कर दिया, जिससे मेरे वे मित्र तथा रिश्तेदार वंचित थे, जिन्हें उच्च शिक्षा प्राप्त करने का अवसर मिला.

पीछे देखने पर मैं यह पाता हूं कि मेरी यात्रा उल्लेखनीय रही. मैं निश्चित नहीं हूं कि इसे करियर कहूं भी या नहीं, क्योंकि एक करियर का मतलब यह होता है कि आपके पास उसकी एक योजना है, जो मेरे पास कभी रही नहीं. मेरे पास बस इतना ही रहा कि मैंने 15 वर्षों की उम्र में उन सभी चीजों की एक सूची बनायी, जिन्हें मैं करना चाहता था.

वयस्कों के लिए एक उपन्यास लिखना, बच्चों के लिए एक पुस्तक, एक कॉमिक लिखना, एक फिल्म बनाना, एक ऑडियो पुस्तक रिकॉर्ड कराना, इसी तरह कुछ और भी चीजें. मेरा कोई करियर न था. मैं बस इस सूची की अगली चीज करता चला गया.

इसलिए मैंने सोचा कि मैं आपको वैसी हरेक बात बताऊं, जिनके बारे में मेरी यह अभिलाषा है कि काश, मैं इन्हें आरंभ में ही जान गया होता, और कुछ ऐसी चीजें जिनके विषय में यह समझता हूं कि मैं उन्हें जानता था. इनके अतिरिक्त मैं आपको कुछ वैसी उत्कृष्ट सलाहें भी दूंगा, जो कभी मुझे दी गयीं, पर जिनके पालन में मैं पूरी तरह विफल रहा. पहली बात, जब आप कला के क्षेत्र में एक करियर की शुरुआत करते हैं, तो आपको यह पता नहीं होता कि आप क्या कर रहे हैं.

यह एक महान चीज है. जो लोग यह जानते हैं कि वे क्या कर रहे हैं, वे उसके नियम जानने के अलावा यह भी जानते हैं कि क्या संभव तथा क्या असंभव है. लेकिन आप यह नहीं जानते. और आपको जानना भी नहीं चाहिए. कला के क्षेत्र में क्या संभव तथा असंभव है, इस संबंध में जिन लोगों ने नियम तय किये थे, उन्होंने संभव की सीमा के परे जाकर उसका सीमांकन नहीं किया था. पर आप इसे करसकते हैं.

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