राजमहल परियोजना के ललमटिया कोयला खदान में जो दुर्घटना हुई है वह प्रबंधन की घोर लापरवाही को दर्शाता है. संभावित खतरों को देख कर मजूरों के काम से इंकार भी कर दिया था, परंतु प्रबंधन के दवाब में उसे खनन को जारी रखना पड़ा और हुआ वही जिसकी आशंका व्यक्त की जा रही थी.
दर्जनों मजदूर असमय काल के गाल में समा गये. किसी की बीवी विधवा हो गयी तो किसी का बेटा यतीम हो गया. किसी का कमानेवाला पुत्र चला गया. हद तो तब हो गयी जब लाश को दो गज कफन भी मयस्सर न कराया गया और उसे प्लास्टिक से ढक दिया गया. ये मानवता को शर्मसार कर देनेवाली घटना है. इसकी जितनी भी निंदा की जाये कम है.
मो. अब्दुल खैर, लोबंधा, गोड्डा