आधुनिक युग में नवोन्मेष और रचनात्मक मस्तिष्क से संपन्न प्रतिभाओं के बूते ही कोई देश अपने बेहतर भविष्य का सपना साकार कर सकता है. उन्नत होती तकनीकें ही विकास के मार्ग को प्रशस्त करती हैं. कॉग्निटिव कंप्यूटिंग, क्लाउड और ब्लॉकचेन जैसी तकनीकें वित्त व्यवस्था के आकार-प्रकार को लगातार बदल रही हैं.
नवोन्मेष के क्षेत्र में 24 वर्षों से लोहा मनवानेवाली कंप्यूटर हार्डवेयर की दिग्गज कंपनी आइबीएम ने 2016 में यूएस पेटेंट रिकॉर्ड को तोड़ते हुए 8,088 पेटेंट कराये. खास बात यह रही है कि इसमें से 658 पेटेंट भारतीय अन्वेषकों के दिमाग की उपज थे. ये पेटेंट आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस व कॉग्निटिव कंप्यूटिंग, कॉग्निटिव हेल्थ, क्लाउड, साइबर सुरक्षा से संबंधित हैं. यूएस पेटेंट हासिल करनेवाली शीर्ष 10 कंपनियां सैमसंग, कैनन, क्वालकम, गूगल, इंटेल, एलजी, माइक्रोसॉफ्ट आदि कंपनियों की कामयाबी में भारतीय प्रतिभाओं की भूमिका अहम है. गौर करनेवाली बात है कि सत्य नडेला और सुंदर पिचाई जैसे भारतीय माइक्रोसॉफ्ट व गूगल जैसी कंपनियों को अपना प्रभावशाली नेतृत्व भी प्रदान कर रहे हैं.
असीम क्षमताओं से युक्त भारतीय प्रतिभाओं को देश में भीतर नवोन्मेष और शोध व विकास का बेहतर माहौल देने के लिए नये सिरे से सोचने की जरूरत है. हाल के वर्षों में भारतीय सॉफ्टवेयर इंडस्ट्री अपार संभावनाओं के साथ उल्लेखनीय प्रगति की है. भारतीय प्रतिभाओं को बढ़ावा देना और बेहतर भविष्य की नीतिगत बुनियाद देना सरकार के जिम्मे है. ऐसे में उत्पादों के विकास, नवोन्मेष, स्टार्टअप के लिए सपोर्ट फ्रेमवर्क तैयार करना, व्यापार सुगमता और तकनीकी हस्तांतरण प्रक्रिया पर जोर देने की दिशा में काम करना होगा. साथ ही अधिग्रहण और प्रौद्योगिकी के व्यावसायीकरण को भी प्राथमिकता देने की आवश्यकता है. स्टार्टअप के लिए बाजार और भौगोलिक स्थिति के अनुसार इनक्यूबेटर और एसिलेटर पर जोर देने की जरूरत है.
कंपनियों को नये घरेलू उत्पादों के लिए प्रोत्साहित करने हेतु अनुसंधान व विकास क्षेत्र में भारी निवेश करना होगा. प्रोत्साहन योजना और कार्यक्रम आधारित विशेष पैकेज से युवा प्रतिभाओं को नवाचार से जोड़ा जा सकता है. ऐसे प्रयास प्रतिभा पलायन की गंभीर समस्या के समाधान में भी सहायक हो सकते हैं तथा इनका उपयोग देश को संपन्न और समृद्ध करने में किया जा सकता है.