16.1 C
Ranchi
Thursday, February 27, 2025 | 03:21 am
16.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

स्मृतिशेष : गांधीवादी सिद्धांतों पर चलने वाले नेता थे रवि राय

Advertisement

लोकसभा के पूर्व अध्यक्ष रवि राय का हाल ही में निधन हुआ. समाजवाद के प्रति आजीवन प्रतिबद्ध रवि जी का जीवन दूसरों के लिए प्रेरणास्रोत है. पढ़िए उनके जीवनके अनछुए पहलू के बारे में. रवि जी से मेरी पहली मुलाकात तब हुई, जब वे रंगनाथ गोडे मुरहरी और किशन पटनायक के साथ समाजवादी युवजन सभा […]

Audio Book

ऑडियो सुनें

लोकसभा के पूर्व अध्यक्ष रवि राय का हाल ही में निधन हुआ. समाजवाद के प्रति आजीवन प्रतिबद्ध रवि जी का जीवन दूसरों के लिए प्रेरणास्रोत है. पढ़िए उनके जीवनके अनछुए पहलू के बारे में.

रवि जी से मेरी पहली मुलाकात तब हुई, जब वे रंगनाथ गोडे मुरहरी और किशन पटनायक के साथ समाजवादी युवजन सभा में 1950 में आये हुए थे. डाक्टर लोहिया मेरे बड़े भाई साहब बालकृष्ण गुप्त के प्रिय दोस्त थे. वे कोलकाता में हमारे घर में रहते थे. उस समय सभी समाजवादियों का हमारा बड़ा बाजार का घर- ‘मार्बल हॉउस’ – अड्डा होता था. सब वहां अकसर इकट्ठा होते थे. मुझे याद है कि रवि जी भी वहीं रहते थे. घर पर रोजाना हमारी मुलाकात होती थी, और यही मुलाकात कब गहरी मित्रता में बदल गयी, याद नहीं है. यह याद है कि हम सब गांधीजी और डॉक्टर साहब से प्रभावित थे. समाजवाद के सपने से हम मोहित थे. डॉक्टर साहब मुझे अपना छोटा भाई मानते थे.

पूरे समाजवादी परिवार के साथ रविजी भी मुझे अपना छोटा भाई मानने लगे. जब नौवीं लोकसभा में, वे स्पीकर नियुक्त हुए, उन्होंने मुझे दिल्ली बुलाया. हम साथ ही उनके नये घर में गये. तब तक वह पंडरा रोड के एमपी फ्लैट में रहते थे. अकबर रोड के स्पीकर के मकान में आते ही उन्होंने वहां से सारी सिक्योरिटी भेज दी और कहा कि यह घर बिना सिक्योरिटी के रहेगा. खुला घर ही रहा. मिलने आने वालों पर कोई रुकावट नहीं थी. रवि जी के पहले स्पीकर बलराम जाखड़ ने एक बड़ी-सी मर्सिडीज गाड़ी स्पीकर के इस्तेमाल के लिए खरीदी थी. वह मर्सिडीज कार तुरंत उनके व्यवहार के लिए आ गयी. उन्होंने मुझसे कहा,“ विद्या मैं समाजवादी हूं, मैं इतनी बड़ी गाड़ी में नहीं बैठना चाहता. मर्सिडीज कार को भी वापस कर दिया, तथा अंबेसडर कार ही रखी. यही खासियत थी रवि जी की. वही सादा फर्नीचर, सब कुछ दिखावा रहित- ऐसे थे रवि जी. उनकी गांधीवादी सादगी मुझे आज भी याद आती है!

उनका स्पीकर काल सिर्फ पंद्रह महीने और कुछ दिनों का था-1989 से 1991 तक. वीपी सिंह भी रवि जी के लोकसभा अध्यक्ष काल में ही प्रधानमंत्री चुने गये थे तथा उन्होंने मंडल कमीशन की रिपोर्ट भी तभी लागू की थी. वीपी सिंह के बाद चंद्रशेखरजी प्रधानमंत्री बने. चंद्रशेखर जी और रवि जी करीबी दोस्त थे. दोनों सोशलिस्ट थे. दोनों कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी और जनता पार्टी में साथ काम कर चुके थे.

मुझे याद है कि नौवीं लोकसभा के सदस्यों के डिसक्वालिफिकेशन का मामला जब रविजी के सामने आया था, तो रवि जी ने कहा कि चलो दिल्ली से बाहर तुम्हारे घर मसूरी चलते हैं, तो शांति से कुछ सोचने का अवसर मिलेगा. इसके बाद हमलोग मसूरी आ गये तथा बाद में बहुत सोच-समझ कर अपना निर्णय दिया. रवि जी ने संसद की मर्यादा तथा परंपरा को ध्यान में रख कर अपनी दोस्ती को अलग रख कर निर्णय लिया. हालांकि चंद्रशेखर जी से उनकी मित्रता में कोई कमी नहीं आयी. इस तरह की सैद्धांतिक राजनीति का अभाव मुझे अब ज्यादा महसूस होता है. रवि जी एक भद्र राजनैतिक नेता थे. 1997-80 में मोरारजी देसाई के प्रधान मंत्री के समय स्वास्थ्य मंत्री, तथा नौवीं लोकसभा के स्पीकर रहने के समय उनका व्यवहार सबके साथ एक जैसा था. जिनके साथ उनके विचार नहीं भी मिलते थे, उनको भी वह इज्जत देते थे. एक बार मैंने उनसे कहा कि हमें डाक्टर लोहिया का तैलचित्र लोक सभा के सेंट्रल हाल में लगाना चाहिए, जहां और सभी दिग्गज पार्लियामेंट के सदस्यों के चित्र लगे हैं. रवि जी ने शीघ्र ही सबकमेटी की मीटिंग बुलायी. उस मीटिंग में विरोधी दल के नेता अटल बिहारी वाजपेयी भी सदस्य थे. उन्होंने श्री श्यामा प्रसाद मुखर्जी की तसवीर की मांग की.

रवि जी के विचार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से नहीं मिलते थे, पर उन्होंने इस मांग को स्वीकार कर लिया. लोकसभा का यह नियम है कि तैलचित्र किसी को दानस्वरूप देना पड़ता है. मैंने डॉक्टर साहब का तैलचित्र दानस्वरूप देना मंजूर कर लिया. तब हमने एसआर संतोष, जो एक विख्यात चित्रकार थे, से वह तैलचित्र बनवाया. तैलचित्र का अनावरण तत्कालीन प्रधानमंत्री चंद्रशेखर ने किया तथा उन्होंने अपने भाषण में कहा कि मैं डाक्टर लोहिया के विचारों से हमेशा सहमत नहीं रहता था, पर आज मुझे यह कहने में संकोच नहीं है कि डाक्टर लोहिया सही थे तथा मेरी समझ गलत थी. यही चंद्रशेखर जी की महानता थी. वे मंजूर करना जानते थे. उनका दिमाग खुला था.

गौरतलब है कि समाजवादी नेता पूर्व लोकसभा अध्यक्ष रवि राय पिछले चार वर्षों से स्मृतिलोप से पीड़ित थे और उन्हें वृद्धावस्था संबंधित बीमारियां थी. कुछ दिन पूर्व उन्हें भुवनेश्वर में एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था. लेकिन तबीयत बिगड़ने के बाद उन्हें एससीबी मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया. उनका चला जाना भारत की लोकतांत्रिक राजनीति के लिए बड़ा नुकसान है.

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

संबंधित ख़बरें

Trending News

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें
Home होम Videos वीडियो
News Snaps NewsSnap
News Reels News Reels Your City आप का शहर