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राष्ट्रपति चुनाव 2017 : एनडीए के राष्ट्रपति प्रत्याशी रामनाथ कोविंद, दबे-कुचलों की बुलंद आवाज

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दबे-कुचलों की बुलंद आवाज दलित-शोषित समाज की आवाज बुलंद कर भाजपा में ऊंचा मुकाम हासिल करने वाले रामनाथ कोविंद को एनडीए ने राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाकर एक ‘मास्टर स्ट्रोक ‘ खेला है. ऐसा इसलिए, क्योंकि ज्यादातर विपक्षी दल सर्वोच्च संवैधानिक पद पर किसी दलित को बैठाने का विरोध नहीं करना चाहेंगे. उनका लंबा राजनैतिक […]

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दबे-कुचलों की बुलंद आवाज
दलित-शोषित समाज की आवाज बुलंद कर भाजपा में ऊंचा मुकाम हासिल करने वाले रामनाथ कोविंद को एनडीए ने राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाकर एक ‘मास्टर स्ट्रोक ‘ खेला है. ऐसा इसलिए, क्योंकि ज्यादातर विपक्षी दल सर्वोच्च संवैधानिक पद पर किसी दलित को बैठाने का विरोध नहीं करना चाहेंगे. उनका लंबा राजनैतिक अनुभव रहा है. वह कानून व संविधान के जानकार भी हैं.
करीब दो साल पहले जब रामनाथ कोविंद को बिहार का राज्यपाल बनाया गया था, तब शायद ही बहुत लोग उनका नाम जानते थे. हालांकि कोविंद दो टर्म राज्यसभा के सदस्य रहे, भाजपा के अनुसूचित जाति मोर्चा के अध्यक्ष भी रहे और प्रवक्ता के तौर पर भी पार्टी में सेवाएं दीं. चुपचाप रह कर अपने मिशन में लगे रहना, यही रामनाथ कोविंद की पहचान है. यही उनकी खासियत भी है. वह भाजपा के प्रवक्ता रहे, लेकिन शायद ही कभी उनका चेहरा किसी ने टीवी की बहसों में देखा हो.
भाजपा द्वारा साफ-सुथरी छवि और दलित बिरादरी से ताल्लुक रखने वाले कोविंद को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाना एक तरह से ‘मास्टर स्ट्रोक’ है. लगभग सभी दलों के सियासी गुणा-भाग में दलितों का अलग महत्व है. ऐसे में देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद पर दलित बिरादरी के व्यक्ति के चयन का विरोध करना किसी भी दल के लिए सियासी लिहाज से मुनासिब नहीं होगा.
राम नाथ कोविंद का जन्म उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले की (वर्तमान में कानपुर देहात जिला) तहसील डेरापुर के एक छोटे से गांव परौख में एक अक्तूबर, 1945 को हुआ. प्रारंभिक शिक्षा संदलपुर ब्लॉक के ग्राम खानपुर परिषदीय प्राथमिक व पूर्व माध्यमिक विद्यालय में हुई और उसके बाद आगे की पढ़ाई करने के लिए वह कानपुर आ गये. उन्होंने कानपुर नगर के प्रतिष्ठित बीएनएसडी शिक्षा निकेतन से इंटरमीडिएट परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद उन्होंने डीएवी कॉलेज से बीकॉम व डीएवी लॉ कॉलेज से विधि स्नातक की पढ़ाई पूरी की.
अपने लंबे राजनीतिक जीवन में शुरू से ही अनुसूचित जातियों, पिछड़ों, अल्पसंख्यकों तथा महिलाओं की लड़ाई लड़ने वाले कोविंद को आठ अगस्त, 2015 को बिहार का राज्यपाल बनाया गया था.
भाजपा दलित मोर्चा तथा अखिल भारतीय कोली समाज के अध्यक्ष रह चुके कोविंद भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता के तौर पर भी सेवाएं दे चुके हैं. वाणिज्य से स्नातक कोविंद बेहद कामयाब वकील भी रहे हैं. उन्होंने वर्ष 1977 से 1979 तक दिल्ली उच्च न्यायालय में, जबकि 1980 से 1993 तक सुप्रीम कोर्ट में वकालत की. इसके पहले उन्होंने सिविल सेवा की परीक्षा दी, लेकिन प्रोपर आइएएस नहीं मिलने से छोड़ दिया.
सामाजिक जीवन में सक्रियता के मद्देनजर वह अप्रैल, 1994 में राज्यसभा के लिए चुने गये और लगातार दो बार मार्च 2006 तक उच्च सदन के सदस्य रहे. अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी युग के रामनाथ कोविंद उत्तर प्रदेश में भाजपा के सबसे बड़े दलित चेहरा माने जाते थे. कोविंद अगर राष्ट्रपति चुने जाते हैं, तो वह उत्तर प्रदेश से पहले राष्ट्रपति होंगे.
कोविंद राज्यसभा सदस्य के रूप में अनेक संसदीय समितियों में महत्वपूर्ण पदों पर रहे. कोविंद ने वर्ष 1997 में केंद्र सरकार द्वारा जारी आदेशों के अनुसूचित जाति जनजाति के कर्मचारियों के हितों पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों के खिलाफ आंदोलन में भी हिस्सा लिया और उनके प्रयासों से वे आदेश अमान्य कर दिये गये. एक वकील के रूप में कोविंद ने हमेशा गरीबों और कमजोरों की मदद की. खासकर अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति के लोगों, महिलाओं, जरुरतमंदों तथा गरीबों की वह फ्री लीगल एड सोसाइटी के बैनर तले मदद करते थे. सरल और सौम्य स्वभाव के कोविंद का कानपुर से गहरा रिश्ता है.
उन्होंने अपने पैतृक आवास को शादी घर के लिए न केवल दान दे दिया, बल्कि अपने संसदीय कोष से इसका निर्माण भी कराया.
दिन में 10 बजे आया अमित शाह का फोन
पटना : राज्यपाल रामनाथ कोविंद का सोमवार का रूटीन आम दिनों की तरह ही था. सुबह की घंटे भर की सैर के बाद जब वह अपने कार्यालय कक्ष पहुंचने ही वाले थे कि दिल्ली की एक फोन की घंटी ने उनकी दिनचर्या बदल दी. आम तौर पर राज्यपाल साढ़े 10 बजे राजभवन के पहले तल्ले पर स्थित अपने कक्ष में आ जाते थे. करीब 10 बजे भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने उन्हें फोन कर यह बताया कि आप राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार बनाये गये हैं.
अमित शाह ने उन्हें आज ही दिल्ली पहुंचने की सलाह दी. अमित शाह के फोन के बाद राज्यपाल ने अपने आप्त सचिव से सोमवार के निर्धारित कार्यक्रमों की जानकारी ली. कवि सत्यनारायण समेत करीब 10 लोगों से मुलाकात के उनके कार्यक्रम निर्धारित थे. राज्यपाल ने दिन के एक बजे तक आगंतुकों से मुलाकात किया. तब तक शायद ही किसी को भनक तक लगी हो कि वह देश के भावी राष्ट्रपति से उनकी मुलाकात हो रही है.
दिन के एक बजे मुलाकातियों से मिल लेने के बाद उन्होंने अपने मातहतों को बताया कि उन्हें दिल्ली जाना है. जिस समय उन्हें दिल्ली से राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार बनाये जाने की सूचना मिली , उस समय उनके निकट उनके अपने सगे बड़े भाई मौजूद थे. राजभवन में इस समय लेडी गवर्नर मौजूद नहीं थी. वे दिल्ली में हैं. राज्यपाल के रूप में रामनाथ कोविंद रूटीन के बड़े पक्के रहे हैं. आम दिनों में वे दिन के साढ़े 10 बजे अपने कार्यालय कक्ष में पहुंच जाते थे. दिन के एक बजे तक वह अपने कक्ष में नियमित बैठते थे. शाम चार बजे से सात बजे तक वे नियमित तौर पर अपने कक्ष में बैठते थे.
खबर मिलते ही कानपुर में जश्न पड़ोसियों ने ढोल-नगाड़े बजाये,
कानपुर : कानपुर के कल्याणपुर स्थित महर्षि दयानंद विहार कॉलोनी में जश्न का माहौल है. अब तक अनजान रहे इस इलाके के निवासी अपने पड़ोसी रामनाथ कोविंद को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाये जाने के बाद खुशियां मना रहे हैं. कोविंद का एक घर इसी कॉलोनी में है. जैसे ही कोविंद को एनडीए का प्रत्याशी बनाये जाने की खबर मिली, बड़ी संख्या में लोग सड़कों पर ढोल-नगाड़े बजाने उतर पड़े. उन्होंने जमकर पटाखे भी जलाये. कानपुर देहात स्थित कोविंद के पैतृक गांव परौख में दीवाली जैसा माहौल है. कोविंद को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाये जाने के बाद गांव के लोगों ने एक-दूसरे को मिठाई बांट कर तथा पटाखे चला कर खुशियां मनायीं.
वर्ष 1996 से 2008 तक कोविंद के पीआरओ रहे अशोक त्रिवेदी ने बताया कि बेहद सामान्य पृष्ठभूमि वाले कोविंद अपनी कड़ी मेहनत और समर्पण के बल पर इस बुलंदी तक पहुंचे हैं. कोविंद की पसंदगी के बारे में त्रिवेदी ने बताया कि वह अन्तर्मुखी स्वभाव के हैं और सादा जीवन जीने में विश्वास करते हैं. उन्हें सादा भोजन पसंद है और मिठाई से परहेज करते हैं.
कोविंद के घर में स्थित मकान के सर्वेंट क्वार्टर में रहकर मकान की देखभाल करने वाली कुसुमा राठौर का कहना है कि कोविंद को अपने वतन से बहुत प्यार है और बिहार का राज्यपाल बनने के बाद भी वह समय निकाल कर कानपुर जरूर आते हैं. कोविंद के पड़ोसी देवेन्द्र जुनेजा ने उन्हें राष्ट्रपति पद का प्रत्याशी बनाये जाने पर हर्ष व्यक्त करते हुए कहा ‘ ‘यह मेरे लिए और उन सभी के लिए खास दिन है, जो कोविंद जी को निजी तौर पर जानते हैं. वह जमीन से जुड़े व्यक्ति हैं और अपने आसपास रहने वाले लोगों की हमेशा फिक्र करते हैं.’ कोविंद की भांजी और पेशे से शिक्षिका हेमलता ने कहा, ‘हम उनसे करीब 10 दिन पहले पटना में मिले थे, तब तक हमें जरा भी अंदाजा नहीं था कि वह देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद के प्रत्याशी बनेंगे. यह हमारे लिए गर्व की बात है.’
…तो पहली बार यूपी से कोई राष्ट्रपति
लखनऊ. उत्तर प्रदेश ने भारत को नौ प्रधानमंत्री दिये हैं. लेकिन, यदि रामनाथ कोविंद राष्ट्रपति निर्वाचित होते हैं, तो ऐसा पहली बार होगा, जब उत्तर प्रदेश से कोई ‘राष्ट्रपति भवन ‘ पहुंचेगा. कोविंद इस वक्त बिहार के राज्यपाल हैं. अगर कोविंद चुने गये तो वह इस पद पर पहुंचने वाले प्रदेश के पहले व्यक्ति होंगे. इससे पहले वर्ष 1969 में उत्तर प्रदेश के मोहम्मद हिदायतउल्ला कार्यकारी राष्ट्रपति बने थे. वह 20 जुलाई, 1969 से 24 अगस्त, 1969 तक कार्यकारी राष्ट्रपति रहे थे. लखनऊ में 17 दिसंबर, 1905 को जन्मे हिदायतउल्ला, खान बहादुर हाफिज मुहम्मद विलायतउल्ला के खानदान से थे. उत्तर प्रदेश ने अब तक देश को नौ प्रधानमंत्री दिये हैं. इनमें जवाहरलाल नेहरु, लाल बहादुर शास्त्री, इंदिरा गांधी, चरण सिंह, राजीव गांधी, विश्वनाथ प्रताप सिंह, चंद्रशेखर, अटल बिहारी वाजपेयी और नरेंद्र मोदी शामिल हैं.
समर्थन और विरोध
टीआरएस राजग के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के समर्थन में
हैदराबाद. तेलंगाना में सत्तारूढ़ टीआरएस ने कहा कि पार्टी राजग के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार राम नाथ कोविंद का समर्थन करेगी. मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर के कार्यालय ने एक बयान जारी कर कोविंद का समर्थन करने की बात कही. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राव से फोन पर बात की थी और उनसे राजग उम्मीदवार का समर्थन करने का अनुरोध किया था. बयान में कहा गया है, प्रधानमंत्री ने फोन पर मुख्यमंत्री से कहा कि आपके (केसीआर) सुझाव के अनुसार हमने राष्ट्रपति पद के लिए दलित उम्मीदवार खड़ा करने का फैसला लिया है. मुख्यमंत्री ने तुरंत अपनी पार्टी के मंत्रियों से इस पर चर्चा की और प्रधानमंत्री को राजग उम्मीदवार का समर्थन करने की टीआरएस की इच्छा के बारे में बताया.
दलित समुदाय के लिए सर्वोच्च सम्मान: योगी
लखनऊ. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कानपुर निवासी वरिष्ठ भाजपा नेता रामनाथ कोविंद को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाये जाने को देश के दलित समुदाय का सर्वोच्च सम्मान करार दिया है. योगी ने सभी पार्टियों से कोविंद के समर्थन की अपील की. मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तर प्रदेश के गांव में पले हुए एक अत्यंत गरीब परिवार के व्यक्ति को यह सम्मान देना वास्तव में प्रदेश की 22 करोड़ जनता के साथ देश के दलित समुदाय के लिये भी सर्वोच्च सम्मान है. मैं यूपी की जनता की ओर से पीएम का दिल से आभार प्रकट करता हूं.
ममता से बात करेंगे चंद्र बाबू नायडू
अमरावती : राजग की सहयोगी तेलगु देशम पार्टी ने कोविंद के नाम के चयन का स्वागत किया है. तेदपा अध्यक्ष और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू ने कोविंद की उम्मीदवारी की प्रशंसा करते हुए इसे सर्वोच्च संवैधानिक पद के लिए ‘सही फैसला’ बताया.
उन्होंने कोविंद को अपनी पार्टी के पूर्ण समर्थन का भरोसा दिया. प्रधानमंत्री मोदी ने दोपहर में नायडू को फोन किया था. नायडू ने प्रधानमंत्री को बताया कि आपने सर्वोच्च पद के लिए सही उम्मीदवार का चयन किया है. दलित समुदाय से जुड़े उच्च मूल्यों वाले प्रबुद्ध कोविंद राष्ट्रपति पद के लिए हर लिहाज से बेहद उपयुक्त हैं.
सोमवार की शाम बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राज्यपाल रामनाथ कोविंद को बधाई दी.
ममता ने कोविंद के नाम पर जतायी आपत्ति
कोलकाता : राष्ट्रपति पद के लिए रामनाथ कोविंद की उम्मीदवारी पर तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी ने आपत्ति जतायी. उन्होंने कहा कि बिहार के राज्यपाल को सिर्फ इसलिए चुना गया है, क्योंकि वह विगत में भाजपा के दलित मोर्चा के नेता रहे हैं. देश में कई अन्य बड़े दलित नेता हैं. राष्ट्रपति का पद एक अहम पद होता है. प्रणब मुखर्जी के कद के किसी नेता को या सुषमा स्वराज या आडवाणीजी को उम्मीदवार बनाया जा सकता था. विपक्ष की 22 जून की बैठक के बाद हम अपने फैसले की घोषणा कर करेंगे.
इन पांच वजहों से बने भाजपा की पसंद
1. दलित चेहरे को बढ़ावा
लोकसभा और यूपी के विधानसभा चुनाव में भाजपा को दलितों का समर्थन मिला. भाजपा इसे और मजबूत करने की कोशिश में है.
2. लंबा राजनीतिक अनुभव
कोविंद 12 साल तक राज्यसभा के सांसद रहे. भाजपा के दलित मोर्चा के अध्यक्ष और कुछ समय के लिए पार्टी के प्रवक्ता भी रहे. करीब दो साल से बिहार के राज्यपाल हैं.
3. कानून के जानकार
कानपुर यूनिवर्सिटी से बीकॉम और एलएलबी की पढ़ाई की. दिल्ली हाइकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में 16 साल तक वकालत का अनुभव.
4. संविधान के विशेषज्ञ
कई समितियों के सदस्य रहे. वह गवर्नर्स ऑफ इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ मैनेजमेंट के भी सदस्य रहे हैं. साल 2002 में उन्होंने संयुक्त राष्ट्र महासभा को भी संबोधित किया था.
5. विवादों से दूर, गरीबों के हिमायती
लंबा राजनीतिक अनुभव के बावजूद कभी विवादों में नहीं रहे. कभी कोई विवादास्पद बयान भी नहीं दिया. कोई आरोप नहीं लगा. दलितों व गरीबों को मुफ्त कानूनी सलाह देते रहे हैं.
भाजपा का फैसला एकतरफा : येचुरी
माकपा के महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा कि विपक्ष 22 जून को अपनी रणनीति पर फैसला करेगा. गैर-राजग दल देश के इतिहास को ध्यान में रखते हुए फैसला करेंगे. राजग का प्रस्ताव था कि वे अपने उम्मीदवार का नाम सोच कर विपक्ष से बात करेंगे. उन्होंने विपक्ष से बात नहीं की और अपने उम्मीदवार घोषित कर दिया.
वाइएसआर कांग्रेस ने किया समर्थन
आंध्र प्रदेश में विपक्षी वाइएसआर कांग्रेस पार्टी ने कोविंद को अपना समर्थन देने की घोषणा की. पार्टी के अध्यक्ष वाइएस जगन मोहन रेड्डी ने ऐलान किया कि उनकी पार्टी देश के सर्वोच्च पद के लिए कोविंद की उम्मीदवारी का समर्थन करेगी, क्योंकि वह एक दलित नेता हैं. इस पार्टी के 10 सांसद और 66 विधायक हैं.
मोदी और शाह ने खेला मास्टर स्ट्रोक
विपक्ष को भी मुश्किल होगा रामनाथ कोविंद का विरोध करना
नयी दिल्ली
राष्ट्रपति के संभावित उम्मीदवारों के नाम को लेकर हो रही चर्चा आखिरकार बिहार के राज्यपाल रामनाथ कोविंद की उम्मीदवारी से खत्म हो गयी. पिछले कुछ दिनों से कई नामों को लेकर चर्चा हो रही थी, लेकिन भाजपा संसदीय दल की बैठक में 71 वर्षीय रामनाथ कोविंद के नाम पर सहमति बन गयी. इलेक्टोरल कॉलेज की मौजूदा स्थिति को देखते हुए कोविंद का राष्ट्रपति बनना लगभग तय है.
सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में भाजपा संसदीय बोर्ड की बैठक के बाद रामनाथ कोविंद के नाम की घोषणा करते हुए पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने कहा कि कोविद के नाम के बारे में सभी सहयोगियों को सूचित कर दिया गया है. खुद प्रधानमंत्री ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से इस बारे में बातचीत की है. प्रधानमंत्री ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सहित आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के मुख्यमंत्री से भी बात की. टीआरएस प्रमुख के चंद्रशेखर राव ने भी भाजपा उम्मीदवार को समर्थन देने का एलान कर दिया है.
कानुपर देहात के रहने वाले कोविंद दलित समुदाय के कोली समाज से आते हैं. भारतीय जनता पार्टी के दलित मोरचा के प्रमुख रहे कोविंद दो बार राज्यसभा के सदस्य भी रह चुके हैं. गृह मंत्री राजनाथ सिंह के करीबी कोविंद की संघ में भी अच्छी पैठ रही है, हालांकि वे संघ के कभी पूर्णकालिक सदस्य नहीं रहे. वे पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के भी करीबी रहे हैं.
कई नामों की थी चर्चा
भाजपा में कई अन्य नामों को लेकर चर्चा हो रही थी. पार्टी के दलित चेहरे थारवचंद गहलोत से लेकर सुषमा स्वराज, झारखंड की राज्यपाल द्रौपद्री मुर्मू, करिया मुंडा, लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन के नाम चर्चा में थे. लेकिन, भाजपा ने बिहार के राज्यपाल रामनाथ कोविंद के नाम का एलान कर सत्तापक्ष के साथ ही विपक्षी दलों को भी हैरान कर दिया है. कई विपक्षी दलों के लिए कोविंद के नाम का विरोध करना मुश्किल होगा.
इस चयन के साथ ही पार्टी ने 2019 चुनाव के लिए अपनी रणनीति भी साफ कर दी है. कोविंद के दलित चेहरे को पार्टी भुनाने की कोशिश करेगी और उत्तर प्रदेश में गैर जाटव दलितों को यह संदेश देने में सफल हो सकती है कि वही दलितों की असली हितैषी है. पार्टी को उम्मीद है कि इससे गैर जाटव दलितों की गोलबंदी भाजपा के पक्ष में और मजबूत हो सकती है. पार्टी के इस कदम के बाद मायावती के आधार को कमजोर करने में भी मदद मिलेगी. रोहित वेमुला प्रकरण से लेकर ऊना में दलितों की पिटाई के बाद राजनीति लाभ हासिल करने की विपक्ष के एजेंडे को भी भाजपा इसके जरिये काटेगी. साल के अंत में गुजरात में विधानसभा चुनाव होने हैं और वहां कोली मतदाता निर्णायक भूमिका अदा कर सकते हैं.
पार्टी ने कोविंद के जरिये दलित समुदाय को अपने पाले में लाने की कवायद शुरू कर दी है. हाल में सहारनपुर में जातीय संघर्ष के बाद दलित राजनीति के उभार को कुंद भी कर दिया है. राष्ट्रीय राजनीति में उत्तर प्रदेश की भूमिका काफी मायने रखती है और 2019 में केंद्र की सत्ता पर काबिज होने के लिए राज्य में जनाधार को बचाये रखना भी पार्टी के लिए चुनौती है.
क्षेत्रीय पार्टियों को जवाब
उत्तर प्रदेश से देश में कई प्रधानमंत्री हुए हैं, लेकिन राष्ट्रपति अभी तक कोई नहीं बना है. भाजपा ने कोविंद को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाकर सामाजिक न्याय का दावा करने वाली क्षेत्रीय पार्टियों के आधार को कमजोर करने की कोशिश की है. प्रधानमंत्री मोदी ने इन्हीं राजनीतिक समीकरणों को ध्यान में रखते हुए मास्टरस्ट्रोक के तौर पर बिहार के राज्यपाल को राष्ट्रपति बनाने का फैसला लिया है. सूत्रों का कहना है कि प्रधानमंत्री मोदी और पार्टी अध्यक्ष अमित शाह पहले ही राजनीतिक और सामाजिक पहलुओं पर गौर करते हुए कोविंद के नाम का चयन कर चुके थे.
कोविंद के नाम को आगे कर भाजपा ने ऐसा दांव खेला है, जिससे विपक्ष भी चौंक गया है. यही वजह है कि सीधे तौर पर उनके नाम का कोई विरोध नहीं कर रहा है. विपक्ष अब तर्क दे रहा है कि भाजपा ने पहले उसे अपने प्रत्याशी का नाम क्यों नहीं बताया. अब 22 जून को स्थिति साफ होगी.
तामझाम व औपचारिकता से दूर पारदर्शी जीवन
अशोक भगत
बिहार के राज्यपाल रामनाथ कोविंद एनडीए की ओर से राष्ट्रपति के उम्मीदवार होंगे, यह समाचार जब सुना तो मन प्रसन्न हो गया़ काविंद जी से पुराना संबंध रहा है़ एक लंबे अंतराल तक उनसे मिलना-जुलना नहीं हो पाया था़ एक दिन बिहार से फोन आया कि राज्यपाल महोदय विकास भारती देखना चाहते है़ं वनवासी भाइयों के लिए जो काम हुआ है, उसे जानना चाहते है़
यह मेरे लिए सुखद आश्चर्य था़ इतने बड़े पद पर रहते हुए, अचानक उन्होंने मुझे याद किया़ उनके इच्छा की जानकारी मुझे हुई, तो मैं भी विकास भारती के रांची केंद्र में कार्यक्रम तैयार करने में जुट गया़ वे 12 जून 2016 को विकास भारती के रांची परिसर में पहुंचे़ अनुसूचित जाति-जनजाति शिक्षकों- बुद्धिजीवियों के साथ संवाद सह पुरस्कार वितरण कार्यक्रम में शामिल हुए थे़ कोविंद जी से मैं उस समय से परिचित हूं, जब वह उत्तर प्रदेश में थे़ सादगी और विद्वतापूर्ण व्यक्तित्व़ विचार में स्पष्टता़ उलझी हुई गुत्थियों को भी आसानी से सुलझाने की दक्षता़ सात्विक व्यवहाऱ वे अपने राजनीतिक जीवन में एक दूसरों के दु:ख-सुख में हमेशा सहभागी रहे़ हमेशा ईमानदारी से उन्होंने अपने दायित्व का निष्ठापूर्वक ढंग से निर्वहन किया़ जीवन हमेशा पारदर्शी रहा़
उन्होंने सभी के साथ समन्वय स्थापित किया़ सबका साथ, सबका विकास नारे को सही मायने में वे सार्थक करते है़ं उनके प्रति हमेशा आदर का भाव रहा है़ जीवन में कोई तामझाम, औपचारिकता नहीं है़ कभी कोई विवाद में नहीं रहे़ कोविंद जी हिंदी के प्रचंड विद्वान है़ भगवान बुद्ध के प्रति कोविंद जी की प्रगाढ़ आस्था है़ रांची आने के बाद उन्होंने मुझे भगवान बुद्ध का प्रतीक चिह्न भेंट किया़ उनकी सह्दयता देख कर मैं आज भी भाव-विभोर हू़ं
(लेखक विकास भारती के संस्थापक हैं आैर पद्मश्री सम्मान प्राप्त हैं)

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