24.1 C
Ranchi
Thursday, February 13, 2025 | 07:43 pm
24.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

भारतीय क्रिकेट की दशा

Advertisement

अभिषेक दुबे वरिष्ठ खेल पत्रकार abhishekdubey1975@gmail.com चैंपियंस ट्रॉफी के फाइनल में पाकिस्तान से मिली हार ने खेल के दीवानों को दुखी किया. लेकिन, लोगों को लगा, ये खेल है और जीत-हार खेल हिस्सा है. कल नया सवेरा आयेगा. सभ्य और संतुलित समाज वो होता है, जो जीत और हार से आगे देखता है. पुरानी गलतियों […]

Audio Book

ऑडियो सुनें

अभिषेक दुबे
वरिष्ठ खेल पत्रकार
abhishekdubey1975@gmail.com
चैंपियंस ट्रॉफी के फाइनल में पाकिस्तान से मिली हार ने खेल के दीवानों को दुखी किया. लेकिन, लोगों को लगा, ये खेल है और जीत-हार खेल हिस्सा है. कल नया सवेरा आयेगा. सभ्य और संतुलित समाज वो होता है, जो जीत और हार से आगे देखता है. पुरानी गलतियों से सीखता है और आगे बढ़ने के लिए कमर कसता है.
लेकिन हार के एक दिन के बाद जो खबर आयी, उसने खेल के दीवानों को बड़ा ही आहत किया है. अनिल कुंबले ने टीम इंडिया के हेड कोच के पद को दुखी मन से अलविदा कर दिया. कुंबले ने बीते साल से टीम इंडिया की कमान को संभाला था और उनके कार्यकाल में टीम इंडिया का ग्राफ तेजी से बढ़ा था. सवाल सिर्फ कुंबले जैसे दिग्गज के जाने का नहीं है- बल्कि इस तल्ख सवाल का जवाब भारतीय क्रिकेट की दिशा और दशा के बारे में बयान करता है.
पहला कुंबले, ना सिर्फ अबतक भारतीय क्रिकेट इतिहास के सबसे कामयाब गेंदबाज रहे हैं, बल्कि एक जीवट इंसान रहे हैं. उन्होंने अपने क्रिकेट को बड़े ही पेशेवर अंदाज में साफगोई के साथ खेला है. सबसे अहम ये हैं, कि कुंबले एक दीर्घकालीन सोच के साथ काम में जुटे थे. उनके पास टीम इंडिया को नंबर एक पोजीशन पर लंबे समय तक बरकरार रखने के लिए एक रोड-मैप था.
इस रोड-मैप को अमलीजामा पहनाने के लिए ये जरूरी था कि टीम इंडिया के क्रिकेटर अपने कंफर्ट-जोन से बाहर निकले. यहीं से तकरार की शुरुआत हुई और नतीजा हर किसी के सामने है. टीम इंडिया के एक अहम सदस्य ने नाम ना लेने की शर्त पर कहा कि घरेलू टेस्ट मॅच में कुंबले चाहते थे कि स्पिनर यादव टीम मे शामिल हों, लेकिन विराट उसके लिए तैयार नहीं थे. कोच की ये सोच थी कि बेजान विकेट पर टीम इंडिया के मौजूदा स्पिनर कारगर नहीं हो पा रहे हैं और इसलिए बदलाव और नयेपन की जरूरत है.
दूसरा, कुंबले-विराट मामले ने ये साबित कर दिया है की विराट कोहली एक अंतराष्ट्रीय स्तर के उम्दा बल्लेबाज हो सकते हैं, लेकिन स्टेट्समैन और लीडर साबित नहीं हो सकते. डर इस बात का भी है, कि वो कप्तान के तौर पर लंबी पारी नही खेल सकें. कोहली जबरदस्त बल्लेबाज तो हैं, लेकिन शख्शियत में विराट नहीं हैं. आखिर वो क्या चीज है जो आजतक रिकी पोंटिंग अपने ही देश के कप्तान स्टीव वॉ का दर्जा नहीं पा सके. भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच विवादास्पद सीरीज में पोंटिंग और कुंबले दो विरोधी टीम के कप्तान थे. एक इसके बाद हाशिये पर चले गये, दूसरा स्टेट्समैन बनकर बाहर निकले. टकराव लीडर की पहचान नहीं होती और बेहतर लीडर इसे अंतिम हथियार के तौर पर इस्तेमाल करता है.
तीसरा, टीम इंडिया के पास अपार टैलेंट का पूल है.भारतीय क्रिकेट बोर्ड के पास जबरदस्त इन्फ्रास्ट्रक्चर है और फंड है. बीसीसीआई का लंबे समय तक विश्व क्रिकेट में एकाधिकार रहा है.
आखिर, क्या वजह है कि भारतीय टीम इन सबके बावजूद लंबे समय तक शिखर पर नहीं रह सकी है- जैसा एक वक्त पर वेस्ट इंडीज की टीम थी या फिर बीते वर्षों में ऑस्ट्रेलिया की टीम रही. इसकी वजह है, एक्सीलेंस के लिए सतत् प्रयास की कमी. हमारी व्यवस्था की तरह हम अपने हाल से खुश रहते हैं और बेहतरी के लिए अगली गियर पर जाने को तैयार नहीं होते. अगर कोई व्यक्ति हमें इस गियर से निकालने की कोशिश करता है, तो विलेन बनकर सामने आता है. बीते वर्ष में ऐसा ग्रेग चैपल के साथ हुआ और आज ऐसा अनिल कुंबले के साथ हो रहा है. ग्रेग चैपल को लेकर तो हम ये मान सकते हैं कि वो विदेशी थे, लेकिन कुंबले तो पूरी तरह से स्वदेशी हैं. विराट कोहली में एक नौजवान की तरह से आक्रामकता है.
वे फील्ड पर हमेशा सौ फीसदी देने में भरोसा रखते हैं- लेकिन उन्हें अगले पायदान पर परिपक्वता की जरूरत है. अगर उन्हें लीडर से स्टेट्समैन बनना है, तो उन्हें टीम के हित में कड़वे फैसलों को मानना होगा. हमारी व्यवस्था ने उन्हें सेलेक्टर के तौर पर एमएसके प्रसाद को दिया है और कोच के तौर पर डोडा गणेश को दे सकती है- लेकिन इससे भारतीय क्रिकेट आगे नहीं जायेगा. भारतीय क्रिकेट को आगे ले जाने के लिए द्रविड़-तेंदुलकर-लक्ष्मण-सौरव-कुंबले ने एक मजबूत विरासत को रखा है और उसे आगे ले जाने की जरूरत है.
अहम ये है, कि ये पूरा मामला बताता है, कि बीते समय में भारतीय क्रिकेट व्यवस्था पूरी तरह से पीछे गया है. इंडियन प्रीमियर लीग का मामला सामने आने के बाद जहां एंटिबायोटिक की जरूरत थी, वहां कीमो दे दिया गया. इस वजह से हुआ ये है, कि भारतीय क्रिकेट से ऐसे लोग जुड़ गये हैं, जिनका क्रिकेट प्रशासन से दूर-दूर का वास्ता नहीं रहा है. कुंबले-कोहली मामले को एक बेहतर प्रशासन और व्यवस्था उम्दा तरीके से निपटा सकता था, लेकिन एक लचर और अनुभवहीन व्यववस्था ने इसे और पेचीदा बना दिया.
इंगलैंड से आगे, शायद टीम इंडिया पाकिस्तान को हराये, शायद एक-आध टूर्नमेंट को जीते और नंबर एक पर भी अल्पकाल के लिए पहुंच जायेे. लेकिन ये तय है, कि जबतक हम कुंबले की सोच को आगे नहीं बढ़ा सकेंगे, हम शिखर के लिए संघर्ष करते रहेंगे.

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

संबंधित ख़बरें

Trending News

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें