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कलपक्कम स्थित परमाणु रिएक्टर: दुनिया का बैरी, भारत का गौरव, पढ़ें कुछ खास बातें

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नयी दिल्ली : चेन्नई के पास कलपक्कम में बंगाल की खाड़ी के किनारे लोगों की नजरों से दूर भारतीय परमाणु वैज्ञानिक उस हाईटेक स्टोव को शुरू करने के अंतिम चरण में हैं, जिसके निर्माण में 15 साल से ज्यादा का समय लग गया है. यह नया परमाणु रिएक्टर एक तरह का ‘अक्षय पात्र ‘ है. […]

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नयी दिल्ली : चेन्नई के पास कलपक्कम में बंगाल की खाड़ी के किनारे लोगों की नजरों से दूर भारतीय परमाणु वैज्ञानिक उस हाईटेक स्टोव को शुरू करने के अंतिम चरण में हैं, जिसके निर्माण में 15 साल से ज्यादा का समय लग गया है. यह नया परमाणु रिएक्टर एक तरह का ‘अक्षय पात्र ‘ है. पौराणिक गाथाओं में कहा जाता है कि अक्षय पात्र से कभी भी भोजन खत्म नहीं होता था. परमाणु उर्जा विभाग अपने अत्याधुनिक एवं स्वदेशी तौर पर डिजाइन किए गए फास्ट ब्रीडर रिएक्टर को संचालित करने के लिए तैयार हो रहा है.

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विशेषज्ञों का कहना है कि परमाणु उर्जा को संवहनीय बनाने के लिए पक्का रास्ता यह है कि फास्ट ब्रीडर रिएक्टरों को मुख्यधारा में लाया जाए. वियना स्थित अंतरराष्ट्रीय परमाणु उर्जा एजेंसी के महानिदेशक युकिया अमानो का कहना है, ‘ ‘तीव्र रिएक्टर पारंपरिक रिएक्टरों की तुलना में 70 प्रतिशत ज्यादा उर्जा निकालने में मदद कर सकते है. ये पारंपरिक रिएक्टरों की तुलना में ज्यादा सुरक्षित हैं और लंबे समय तक बने रहने वाले रेडियोधर्मी कचरे को कई गुना कम करते है. ‘ ‘ हालांकि कहना और बात है, करना और बात है. ये रिएक्टर अस्थिर भी हैं और इसलिए लंबे समय तक विश्वसनीय ढंग से इनका संचालन मुश्किल है.

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‘फास्ट ब्रीडर रिएक्टर ‘ कहलाने वाला यह रिएक्टर एक विशेष प्रकार का परमाणु रिएक्टर है, जो अपने संचालन में लगने वाले ईंधन की तुलना में कहीं ज्यादा परमाणु ईंधन पैदा करता है. भारत प्रायोगिक आधार पर 27 साल से फास्ट ब्रीडर टेस्ट रिएक्टर संचालित करता रहा है. विश्व में व्यवसायिक तौर पर संचालित एकमात्र फास्ट ब्रीडर रिएक्टर रुस के उराल पर्वतों में बेलोयार्स्क परमाणु उर्जा संयंत्र में स्थित है. यह स्थान रुस के चौथे सबसे बडे शहर येकातेर्निंगबर्ग से ज्यादा दूर नहीं है. फास्ट ब्रीडर रिएक्टरों के मामले में रुसी लोग आज वैश्विक नेतृत्वकर्ता हैं. वे वर्ष 1980 से बीएन 600 नामक फास्ट ब्रीडर रिएक्टर का संचालन कर रहे हैं.

वर्ष 2016 में रुसी परमाणु एजेंसी रोसातम ने व्यवसायिक तौर पर इससे बडे रिएक्टर बीएन 800 फास्ट ब्रीडर रिएक्टर का संचालन शुरू किया. यह रिएक्टर लगभग 800 मेगावाट बिजली का उत्पादन करता है और येकातेर्निंगबर्ग शहर समेत यूराल क्षेत्र में इसकी आपूर्ति करता है. हालांकि पैदा होने वाली बिजली किसी भी अन्य बिजली से अलग नहीं है लेकिन परमाणु वैज्ञानिकों का वैश्विक समुदाय इस अदभुत उपलब्धि को लेकर खुश है. आईएईए के साथ कार्यरत, फास्ट ब्रीडर रिएक्टरों के जाने-माने रुसी विशेषज्ञ एम चूडाकोव ने कहा, ‘ ‘ये रिएक्टर भविष्य के लिए एक पुल हैं, क्योंकि ये बिजली की असीमित आपूर्ति कर सकते हैं. ‘ ‘ इस समय सभी नजरें दक्षिण भारत पर हैं, जहां इस साल एक अन्य वैश्विक परमाणु उपलब्धि हासिल की जा सकती है.

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इंदिरा गांधी सेंटर फॉर अटॉमिक रिसर्च, कलपक्कम के निदेशक अरुण कुमार भंडारी ने कहा, ‘ ‘फास्ट ब्रीडर रिएक्टर मौजूदा पीढी के परमाणु संयंत्रों की तुलना में कहीं अधिक सुरक्षित हैं. सभी प्रयास भारत के पहले व्यवसायिक फास्ट ब्रीडर रिएक्टर को कलपक्कम में इसी साल शुरु करने की दिशा में किए जा रहे हैं. ‘ ‘ फास्ट ब्रीडर रिएक्टरों को लेकर दिलचस्पी इतनी अधिक है कि 30 से ज्यादा देशों से 700 से ज्यादा सर्वश्रेष्ठ परमाणु विज्ञानी येकातेर्निंगबर्ग में आईएईए के सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए एकत्र हुए. यह सम्मेलन ‘टिकाउ विकास के लिए अगली पीढी के परमाणु तंत्र ‘ के मुद्दे पर आयेजित हुआ। वैज्ञानिकों ने इस बात पर चर्चा की कि कैसे कई सौ साल तक परमाणु उर्जा का उत्पादन किया जाए. आज भारत सोची समझी रणनीति के तहत फास्ट ब्रीडिंग रिएक्टरों पर महारथ हासिल कर रहा है. यह महारथ थोरियम के अपार भंडारों के इस्तेमाल में मददगार हो सकती है.

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