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चुनौतीः 19 महीनों में आठ लाख करोड़ का एनपीए वसूल पायेगा रिजर्व बैंक…?

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नयी दिल्लीः रिजर्व बैंक की आेर से बैंकिंग नियमन (संशोधन) अध्यादेश से ताकत मिलने के बाद कयास लगाया जा रहा है कि वह मार्च, 2019 तक करीब आठ लाख करोड़ रुपये के गैर-निष्पादित आस्तियों (एनपीए) की वसूली कर लेगा. एसोचैम की आेर से जारी रिपोर्ट पर गौर करें, तो उसने अनुमान लगाते हुए कहा है […]

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नयी दिल्लीः रिजर्व बैंक की आेर से बैंकिंग नियमन (संशोधन) अध्यादेश से ताकत मिलने के बाद कयास लगाया जा रहा है कि वह मार्च, 2019 तक करीब आठ लाख करोड़ रुपये के गैर-निष्पादित आस्तियों (एनपीए) की वसूली कर लेगा. एसोचैम की आेर से जारी रिपोर्ट पर गौर करें, तो उसने अनुमान लगाते हुए कहा है कि रिजर्व बैंक मार्च, 2019 तक करीब आठ लाख करोड़ रुपये के डूबे कर्ज (एनपीए) के मामले निपटान की ओर आगे बढ़ रहा है.

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इस खबर को भी पढ़ेंः रिजर्व बैंक का एनपीए नियमों में संशोधन : डूबे कर्ज का निबटान करने में चूकने पर लगेगा जुर्माना

वहीं, गौर करने वाली बात यह भी कि दिसंबर, 2015 में एनपीए का मामला सामने आने के बाद से लेकर अब तक जब देश के बैंक एनपीए की रिकवरी नहीं कर पाये हैं, तो क्या आने वाले महज 19 महीनों में इस लक्ष्य को हासिल कर पायेंगे? हालांकि, सरकार की आेर से बैंकों की स्थिति को सुधारने के लिए सरकार की आेर से करीब 75,000 करोड़ रुपये का प्रावधान भी किया गया है, जो देश के बैंकों को पांच साल में पूंजी के तौर पर उपलब्ध कराये जा रहे हैं. उद्योग मंडल एसोचैम के रिपोर्ट में कहा गया है कि रिजर्व बैंक की आेर से बैंकिंग नियमन (संशोधन) के तहत कदम उठाने के बाद बैंकों का एनपीए कम होगा. उनकी वित्तीय सेहत सुधारने में मदद मिलेगी.

एसोचैम को 2019-20 की पहली तिमाही में एनपीए मामला निपटने का भरोसा

एसोचैम के अध्ययन ‘एनपीए रिजोल्यूशन : लाइट एट द एंड आफ टनल बाय मार्च 2019’ में कहा गया है कि यह मानना अधिक सुरक्षित होगा कि गैर-निष्पादित आस्तियों (एनपीए) की समस्या वित्त वर्ष 2019-20 की पहली तिमाही तक काफी हद तक निपट जायेगी. रिपोर्ट में कहा गया है कि इसमें कई कारकों मसलन आर्थिक चक्कर में बदलाव और सरकार रिजर्व बैंक द्वारा कुछ मजबूत कदमों से मदद मिलेगी. समूचे एनपीए को दिवाला एवं शोधन अक्षमता संहिता कार्वाई के तहत लाया जा सकता है, लेकिन देखनेवाली बात यह होगी कि कितना और कितनी तेजी से यह वास्तव में बैंकों के लेखों से हटता है.

एनपीए को लेकर दबाव में हैं बैंकों का परिचालन

फिलहाल बैंकों पर एनपीए का काफी ज्यादा दबाव है. यह किसी से छिपा नहीं है कि एनपीए से विशेष रूप से सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की वित्तीय सेहत खराब हो रही है. वहीं, एसोचैम की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि वित्त वर्ष देश के 27 सरकारी बैंकों को सामूहिक परिचालन से करीब 1.5 लाख करोड़ रुपये का लाभ मिला है. साथ ही, एनपीए की वजह से उनके मुनाफे में भी कमी आयी है आैर यह इस वित्त वर्ष में बैंकों का शुद्ध लाभ घटकर 574 करोड़ पर आ गया है. एेसे में, सवाल यह पैदा होता है कि जो बैंक दिसंबर, 2015 के बाद से इसकी वसूली करने में कामयाब नहीं हो सके, तो क्या अब वे मार्च, 2019 तक आठ लाख करोड़ रुपया वसूलने में कामयाब होगा?

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