32.7 C
Ranchi
Tuesday, April 22, 2025 | 10:03 pm

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

प्रभु की नयी भूमिका तय कर सकते हैं मोदी, वाजपेयी की तर्ज पर उनकी प्रतिभा का उपयोग होना बाकी

Advertisement

नयी दिल्ली : रेलमंत्री सुरेश प्रभु के द्वारा बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपने इस्तीफे की पेशकश किये जाने के बाद इस बात को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है कि सरकार प्रभु की प्रतिभा का कहां उपयोग करेगी. रेलवे में लगातार बड़े सुधारों के लिए प्रयासरत सुरेश प्रभु ने अपने इस्तीफे की पेशकश हालिया […]

Audio Book

ऑडियो सुनें

नयी दिल्ली : रेलमंत्री सुरेश प्रभु के द्वारा बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपने इस्तीफे की पेशकश किये जाने के बाद इस बात को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है कि सरकार प्रभु की प्रतिभा का कहां उपयोग करेगी. रेलवे में लगातार बड़े सुधारों के लिए प्रयासरत सुरेश प्रभु ने अपने इस्तीफे की पेशकश हालिया रेल हादसों के संदर्भ में किया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें इंतजार करने काे कहा है. प्रधानमंत्री के इस कथन के मायने तलाशे जा रहे हैं. सुरेश प्रभु के पुराने शानदार रिकार्ड केकारण हालियारेलहादसेजैसी चूककेबावजूद उनकी क्षमता व काबिलियत को खारिज नहीं किया जा सकता है. यह सुरेश प्रभु का व्यक्तित्व ही है कि कांग्रेस सहित पूरे विपक्ष ने पांच दिन में हुए दो अहम हादसों के बाद सीधे रेलमंत्री पर तीखा हमला नहीं बोला, हां इस्तीफा जरूर मांगा. जब सुरेश प्रभु ने इस्तीफे की पेशकश कर दी तो विपक्ष केतेवरढीले पड़े और सवाल उठाया कि उनकी जगह मोदी सरकार आखिर किसे लेकर आयेगी?

रेलवे बोर्ड के चेयरमैन के रूप में आश्विनी लोहानी क्यों बने सरकार की पसंद ?

बहरहाल, सप्ताह भर में कभी भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कैबिनेट का विस्तार कर सकते हैं. यह बात अब सार्वजनिक हो चुकी है. जाहिर है कि इस विस्तार के क्रम में जब कुछ नये चेहरे मंत्री परिषद में आयेंगे और संभवत: कुछ पुराने चेहरे बाहर भी जायेंगे तो मंत्रियों की नये सिरे से भूमिका तय की जा सकती है. ऐसे में यह संभावना बेहद मजबूत है कि सुरेश प्रभु को प्रधानमंत्री किसी दूसरे अहम मंत्रालय में शिफ्ट करें. अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कल उनकी पेशकश के साथ ही उनका इस्तीफा स्वीकार कर लिया होता तो वे स्वत: एक तरह से कैबिनेट से बाहर हो गये होते और दो-चार दिन जबतक मोदी चाहते तबतक कार्यवाहक रेलमंत्री के रूप में व काम करते रहते. ऐसे में कैबिनेट विस्तार के बाद कैबिनेट में उनकी नयी भूमिका तय करने के लिएनयेसिरे से उनके शपथ ग्रहण की प्रक्रियाभी पूरी करनीहोती.

ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं किया है तो दो संभावनाएं मजबूत हैं – एक उन्हें किसी दूसरे अहम मंत्रालय में कैबिनेट विस्तार के बाद शिफ्ट कर दिया जाये, दूसरा रेल दुर्घटनाओं को लेकर लोगों का आक्रोश थोड़ा ठंडा होने के बाद उन्हें रेलमंत्री के पद पर बनाये रखा जाये औररेलवेमें सुरक्षा व संरक्षा की दुरुस्त करने के लिए पूरे सिस्टम कोनयेसिरेसे कसा जाये. इसके लिए एक मास्टर प्लान तैयार किया जाये. ध्यान रखें कि ममता बनर्जी ने भी जब दुर्घटना के बाद रेलमंत्री पद से इस्तीफा दिया था तो वह स्वीकार नहीं हुआ था.

#SureshPrabhu के इस्तीफे की वजह बने ये रेल हादसे…?


दाे बड़े मंत्रालय को चाहिए पूर्णकालिक मंत्री

केंद्र में अभी कम से कम दो बड़े मंत्रालय हैं, जहां पूर्णकालिक मंत्री की जरूरत है. एक रक्षा मंत्रालय, दूसरा सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय. मनोहर पर्रिकर के गोवा का मुख्यमंत्री बनने के बाद रक्षा मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभात वित्तमंत्री अरुण जेटली के पास है और वेंकैया नायडू को उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाये जाने के बाद सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार कपड़ा मंत्री स्मृति ईरानी के पास है. ये दोनों अहम मंत्रालय हैं, जहां इस बात की 99 प्रतिशत संभावना है कि नरेंद्र मोदी सरकार भाजपा के ही किसी सदस्य को मंत्री पूर्णकालिक मंत्री बनायेगी. ऐसे में अपनी निजी योग्यातओं के कारण इन दोनों पदों पर सुरेश प्रभु की दावेदारी तो बनती ही है.


वाजपेयी सरकार में ऊर्जा मंत्री के रूप में शानदार कामकाज का रिकार्ड

सुरेश प्रभु अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में ऊर्जा मंत्री थे. उस समय वे शिवसेना में थे और उनकी छवि वाजपेयी सरकार के सबसे ऊर्जावान व प्रभावी मंत्री की थी. वे 30 सितंबर 2000 से 24 अगस्त 2002 तक ऊर्जा मंत्री थे. उस समय उन्होंने ऊर्जा सेक्टर में व्यापक सुधार के लिए काम किया. पॉवर सेक्टर में बड़े सुधार के लिए उनके ही प्रयासों के परिणामस्वरूप इलेक्ट्रिसिटी एक्ट 2003 आया था.उनके कामकाज की तब दुनियाभर में तारीफ हुई थी. इसके अलावा अलग-अलग समय में उद्योग मंत्रालय, वन एवं पर्यावरण मंत्रालय, रसायन व उर्वरक मंत्रालय, भारी उद्योग मंत्रालय में उन्होंने काम किया. उनके इसी रिकॉर्ड को देखते हुए मोदी उन्हें महाराष्ट्र से दिल्ली लेकर आये और मंत्री बनाया व हरियाणा से राज्यसभा में भेजा.

पेश से चार्टर्ड एकाउंटेंट सुरेश प्रभु कई तरह के संगठनों व मंचों से जुड़े हैं.बेहदईमानदार वलो प्रोफाइलशख्स सुरेश प्रभुको अटल बिहारी वाजपेयी ने अपनी सरकार के दौरान कई बड़े काम सौंपे थे, इसमें एक अहम जिम्मेवारी थी नदियों को जोड़ने की योजना पर काम करने की. वाजपेयी की यह एक महत्वाकांक्षी व दूरदर्शी सोच थी. इसके लिए बनाये गयेटॉस्कफोर्स का सुरेश प्रभुको उन्होंने कैबिनेट मंत्री के दर्जे के साथ चेयरमैन बनाया था.

[quiz_generator]

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

संबंधित ख़बरें

Trending News

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snaps News reels