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किताब की लांचिग में आये राजन ने दिया धुआंधार इंटरव्यू, सरकार की नीतियों पर उठाये कई सवाल

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नयी दिल्ली : रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन अपनी किताब ‘आइ डू, वॉट यू डू’ किताब के लांचिंग के मौके पर भारत आये हैं. भारत के तीन शहरों में आयोजित अलग – अलग लांचिंग समारोह के दौरान रघुराम राजन लगातार कई चैनलों – अखबारों से बातचीत कर रहे हैं. इस दौरान […]

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नयी दिल्ली : रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन अपनी किताब ‘आइ डू, वॉट यू डू’ किताब के लांचिंग के मौके पर भारत आये हैं. भारत के तीन शहरों में आयोजित अलग – अलग लांचिंग समारोह के दौरान रघुराम राजन लगातार कई चैनलों – अखबारों से बातचीत कर रहे हैं. इस दौरान देश की अर्थव्यवस्था को लेकर उन्होंने अपनी राय रखी. रिजर्व बैंक के गवर्नर रहते हुए उन्होंने अपने अनुभवों का जिक्र भी किया. रघुराम राजन ने फिर से रिजर्व बैंक में वापसी की इच्छा भी जतायी है.

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देश में रोजगार की हालत चिंताजनक
रघुराम राजन ने कहा कि प्राइवेट कंपनियां निवेश नहीं कर रही है. बैंकों का एनपीए देश के लिए बड़ी समस्या बन चुकी है. उन्होंने बैंकों के एकीकरण पर भी सवाल उठाया और कहा कि बैंक जब पहले से तकलीफ झेल रहे तो ऐसे वक्त में कई बैंकों का पुनर्गठन में ज्यादा वक्त और ऊर्जा की खपत होगी. देश में रोजगार की हालत चिंताजनक है. भारत सबसे बड़ा युवाशक्ति वाला देश है लेकिन रोजगार का न होना दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है. दुनिया की तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था के टैग पर राजन ने कहा कि अभी दस साल लगातार दस प्रतिशत वृद्धि करने के बाद इस तरह का छाती पीटना सही माना जायेगा.
जीएसटी, नोटबंदी से थमी रफ्तार
जीएसटी को उन्होंने जहां सही कदम बताया वहीं नोटबंदी के फैसले की आलोचना की. नोटबंदी की आलोचना करते हुए रघुराम राजन ने कहा देश को दो प्रतिशत जीडीपी की नुकसान में नोटबंदी की अहम भूमिका रही है. भारत 8 प्रतिशत वृद्धि की क्षमता रखता है लेकिन सरकार के इस फैसले से दो वृद्धि प्रतिशत वृद्धि कम हो गयी. उन्होंने जीएसटी और अन्य कारकों को भी इसके लिए जिम्मेदार ठहराया. राजन ने कहा कि ऐसे वक्त में जब दुनिया एक बार फिर से मंदी से ऊबर रहा है. भारत का जीडीपी घटना चिंता करने वाली बात है. सरकार के नोटबंदी के फायदे के दलील को खारिज करते हुए रघुराम राजन कहते हैं इससे होने वाला फायदा, नुकसान के मुकाबले बेहद कम है.
नोटबंदी के बारे में पहले से था मालूम
राजन ने बताया कि नोटबंदी की तैयारी हो रही थी. हमसे भी पूछा गया था लेकिन मैंने इस पर असहमति जतायी थी. मेरे रहते नोटबंदी होता तो मैं इस्तीफा देना ठीक समझता. हालांकि उन्होंने कहा कि इसके तारीख को लेकर कोई अंदाजा नहीं था. पहली बार जब नोटबंदी के बारे में सुना तो मुझे तारीख का अंदाजा नहीं था. मेरे हिसाब से 500 के नोट को बंद नहीं करना चाहिए था. इससे लोगों की तकलीफें कम होती. मुझे भी नोट बदलवाने भारत आना पड़ा.
सरकार नहीं बढ़ाना चाहती थी कार्यकाल
गवर्नर का पद छोड़ते वक्त मीडिया में खबर आयी थी कि राजन शिकागो में वापस अपनी यूनिवर्सिटी लौटना चाहते हैं लेकिन राजन ने कल एक इंटरव्यू में कहा कि मेरा तीन साल का कार्यकाल पूरा हो चुका था और सरकार ने मुझे आगे रुकने के लिए कोई ऑफर्स नहीं दिये. इसलिए मुझे वापस जाना पड़ा. शिकागो यूनिवर्सिटी कई सालों से मेरा नियोक्ता है और मेरे शर्तों और जरूरतों को ध्यान में रखकर मेरी कई बातें मानने के लिए हमेशा तैयार रहता है.
सुब्रमण्यम स्वामी की आलोचना पर
रघुराम राजन ने सुब्रमण्यम स्वामी की तीखी आलोचना पर जवाब देते हुए कहा कि आलोचना से नहीं डरता हूं. मैं जानता था जब इस तरह की पदों पर कोई रहता है तो आलोचना सुनने के लिए तैयार रहना चाहिए. अमेरिका में एक कहावत है अगर आपको गर्मी बर्दाश्त नहीं होती है, तो किचन नहीं घुसे. गौरतलब है कि स्वामी ने उन्हें दिमाग से अमेरिकी कहा था. राजन ने कहा था महत्वपूर्ण यह नहीं कि आप देशी है या विदेशी. उन्होंने बिल्ली का उदाहरण देते हुए बताया कि महत्वपूर्ण यह नहीं कि आप काली या सफेद बिल्ली है बल्कि सबसे अहम बात यह कि आप चूहे कितने पकड़ते हैं.

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