13.1 C
Ranchi
Saturday, February 8, 2025 | 03:58 am
13.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

या देवी सर्वभूतेषु… !! -3

Advertisement

-सत्यनारायण पांडेय- सुप्रभातःसर्वेषां मंगलकामनारतां विद्वद्वरां स्रीणां सम्मानरक्षणाय बद्धपरिकरां सत्यार्थे मावान प्रति। धन्यवादाः! अद्यप्राप्तावसरोऽहं दुर्गासप्तशत्याः तृतीयचरित्रमवलम्य किञ्चित् निवेदनं करोमि:- तृतीय चरित्र "उत्तरचरित्र" कहलाता है, यह नौ अध्यायों का है. इस चरित्र की देवता महासरस्वती हैं. उपसंहार रूप में समाधि नाम वैश्य को उसकी कामना के अनुसार संसिद्ध ज्ञान का वरदान दिया है. यहां तृतीय चरित्र की […]

Audio Book

ऑडियो सुनें


-सत्यनारायण पांडेय-

- Advertisement -

सुप्रभातःसर्वेषां मंगलकामनारतां विद्वद्वरां स्रीणां सम्मानरक्षणाय बद्धपरिकरां सत्यार्थे मावान प्रति।

धन्यवादाः! अद्यप्राप्तावसरोऽहं दुर्गासप्तशत्याः तृतीयचरित्रमवलम्य किञ्चित् निवेदनं करोमि:-

तृतीय चरित्र "उत्तरचरित्र" कहलाता है, यह नौ अध्यायों का है. इस चरित्र की देवता महासरस्वती हैं. उपसंहार रूप में समाधि नाम वैश्य को उसकी कामना के अनुसार संसिद्ध ज्ञान का वरदान दिया है.

यहां तृतीय चरित्र की संक्षिप्त कथा संकेत से पूर्व आप सभी को मैं विशेष रूप से निवेदन करना चाहता हूं, कि हमारी सारी धार्मिक पुस्तकें एवं उत्सव, पूजन सोद्देश्य ही हैं, सामाजिक स्वस्थ संरचना ही मुख्य उद्देश्य आरंभ से रहा है, अतः हमें बराबर उस दृष्टि से भी समय समय पर मूल्यांकन करना चाहिए, कहां हम भटक गये हैं.

तीसरे चरित में स्त्री की महिमा आरंभ के पंचम अध्याय में उभर कर सामने आती है-

पुनश्च गौरीदेहात्सा समुद्भुता यथाभवत् ।

वधायदुष्ट दैत्यानां तथा शुम्भनिशुम्भयो:।।

देवी के आश्वाशन पर देवगण मां की स्तुति दैत्यों के वध के लिए हिमालय प्रांत में कर रहे थे, इसी बीच देवी गौरी गंगास्नान के लिए जा रहीं थी, शिवा नाम की शक्ति देवकार्य के लिए गौरी के शरीर से ही सम्भूत हुईं.

वे अत्यंत सुंदरी थी, हिमालय प्रांत उनके तेज से द्योतीत हो उठा. चंड मुंड नामक दूतों अपने स्वामी शुम्भ निशुम्भ को सूचना देते हैं , ऐसी सुंदर स्त्री आज तक देखी नहीं गई, अभी आप तीनों लोक के स्वामी हैं, वह आपके योग्य है.

शुम्भ निशुम्भ ने उन्हीं दूतों से अम्बिका के सम्मुख प्रस्ताव भेजा, तीनों लोक की सारी महत्वपूर्ण वस्तुओं पर मेरा ही अधिकार है, तुम्हें भी हम स्त्रीरत्न मानते हैं, हम दोनों में जिसे चाहो वरण कर त्रिलोक स्वामिनी बन जाओ.

दूतों ने हूबहू अंबिका के सामने वैसा ही निवेदित किया. देवी भी उनकी बातों को मुस्कुराती हुईं सुनती हैं और कहती हैं, तुम्हारे स्वामी ने ठीक ही कहा है, पर मैंने बचपन में खेल-खेल में यह प्रतिज्ञा कर ली है-

"यो मां जयति संग्रामे यो मे दर्पं व्यपोहति।

यो मे प्रतिबलो लोके स मे भर्ता भविष्यति।।

अर्थ सहज है अतः विस्तार भय से संकेत ही स्वीकार्य हो. देवी ने कहा जाओ अपने स्वामी से बोलो मुझे संग्राम मे जीत अपनी इच्छा पूरी करें. दूतों ने उत्तर दिया, हे देवी! इन्द्रादि देवता सामने खड़े नहीं हो पाते, युद्ध तो दूर की बात है. तुम अकेली औरत क्या लड़ पाओगी. सीधे चलो नहीं तो स्वामी आ गये तो-

"केशाकर्षण विनिर्धूत गौरवामागमिष्यसि"

वे तुम्हारा गर्व चूर करते हुए केश पकड़ खींच कर ले जायेंगे.

देवी ने स्पष्ट कहा–वे इतने बलवान हैं, तो मैं क्या करूं? वे जैसा चाहें करें. अम्बिका तो जगदम्बा हैं, अपारशक्तिशालिनी! अपार शक्ति क्रोध नहीं करती, उसे तो परिणाम भली प्रकार ज्ञात होता है. आगे के अध्यायों में युद्ध का वर्णन है क्रमशः धुम्रलोचन, चण्ड मुण्ड, असिलोमा, रक्तबीज आदि राक्षस मारे जाते हैं और फिर मुख्य शुम्भ निशुम्भ से युद्ध की चर्चा है.

देवी इन्द्रणी, रूद्राणी, शिवानी आदि अपनी शक्तियों को प्रकट कर युद्ध करती हुईं निशुम्भ का वध कर देती हैं. शुम्भ सामने आता है और ललकारता हुआ कहता है.

"अन्यासां बलमाश्रित्य युद्ध्यसे यातिमानिनी"

देवी कहती हैं:-

"एकैवाहं जगत्यत्र द्वितीया का ममापरा।

पश्यैता दुष्ट मय्येव विशन्त्यो मद्विभूतयः।।

अर्थात, मेरे सिवा संसार में और क्या है, ये मेरी ही विभूतियां हैं, जो मुझमें प्रवेश कर रहीं हैं. शुम्भ का भी वध हो जाता है.

यहां जरूरत के अनुसार एकता में अनेकत्व और अनेकता में शीघ्रातिशीघ्र एकता की स्थापना का सुन्दर उदाहरण प्रस्तुत हुआ है.

एकादश अध्याय देवों द्वारा देवी का स्तुति गान है जिसपर विस्तार से क्रमशः आगे चर्चा होगी.

अध्याय बारह फलश्रुति और तेरहवें अध्याय में राजा सुरथ एवं समाधिनाम वैश्य को देवी आराधना से प्रसन्न हो, उनका अभीष्ट दूसरे जन्म में राज्य प्राप्ति और वैश्य के अभीष्ट संसिद्ध ज्ञान प्रदान करती हैं.

इस से यह स्पष्ट हुआ मां की भक्ति करने वाले अपना अभीष्ट अवश्य पाते हैं.

अन्ततः निवेदन है—मातृशक्ति अपना स्वरूप पहचानें. षुरूष भी आद्याशक्ति की महिमा जानें और महाकाली–महालक्ष्मी–महासरस्वती की अनुकम्पा के पात्र बनें। जगदम्बा की कृपा से सम्पूर्ण विश्व में सुख शान्ति हो.

सर्वस्यार्ति हरे देवी नारायणी नमोऽस्तुते।।

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें