15.1 C
Ranchi
Saturday, February 8, 2025 | 10:41 am
15.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

जब नीतीश कुमार ने कहा था- मेरे राजनीतिक जीवन पर मनु शर्मा की किताब ‘कृष्ण की आत्मकथा’ का गहरा प्रभाव रहा है

Advertisement

भारतीय राजनीति के दो दिग्गज अगर एक किताब से इस कदर प्रभावित हों कि वे बिलकुल उसमें रम जायें, तो वह किताब जरूर खास होगी, जी हां हम बात कर रहे हैं मशहूर साहित्यकार मनु शर्मा द्वारा लिखित किताब ‘कृष्ण की आत्मकथा’ की. इस किताब के बारे में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक […]

Audio Book

ऑडियो सुनें

भारतीय राजनीति के दो दिग्गज अगर एक किताब से इस कदर प्रभावित हों कि वे बिलकुल उसमें रम जायें, तो वह किताब जरूर खास होगी, जी हां हम बात कर रहे हैं मशहूर साहित्यकार मनु शर्मा द्वारा लिखित किताब ‘कृष्ण की आत्मकथा’ की. इस किताब के बारे में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक बार कहा था कि उनके राजनीतिक जीवन पर मनु शर्मा की किताब ‘कृष्ण की आत्मकथा’ का गहरा प्रभाव है. उन्होंने कहा कि इस किताब ने मेरे अंतर्मन को छुआ है और मुझे राजनीति में सक्रिय होने के लिए प्रेरित किया है. इस किताब में श्रीकृष्ण के चरित्र को अनोखे अंदाज में उकेरा गया है.

वहीं भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने भी इस किताब की प्रशंसा करते हुए कहा था कि इस किताब को पढ़ने में मैं इस कदर तक खो गया था कि कई जरूरी काम तक करना भूल गया था. इस किताब के जरिये पहली बार श्रीकृष्ण की कथा को इतना व्यापक आयाम दिया गया है. वाजपेयी ने कहा था कि श्रीकृष्ण पर इतनी सम्रगता के साथ शायद ही किसी ने कलम चलायी हो, शायद खुद वेद व्यास ने भी.
मनु शर्मा द्वारा रचित यह किताब आठ खंडों में है. इस किताब में 3000 पृष्ठ है और कृष्ण के चरित्र को अनोखे अंदाज में संपूर्णता समग्रता में प्रस्तुत किया गया है. हिंदी भाषा के सबसे लंबे उपन्यास के आठ खंड हैं जो इस प्रकार है- नारद की भविष्यवाणी,दुरभिसंधि,
द्वारका की स्थापना,लाक्षागृह,खांडव दाह, राजसूय यज्ञ,संघर्ष और प्रलय.

कृष्ण की आत्मकथा लिखने वाले प्रसिद्ध साहित्यकार पद्मश्री मनु शर्मा का निधन

पढ़ें उपन्यास के कुछ अंश :-

‘मेरी अस्मिता दौड़ती रही, दौड़ती रही. नियति की अंगुली पकड़कर आगे बढ़ती गयी- उस क्षितिज की ओर, जहां धरती और आकाश मिलते हैं. नियति भी मुझे उसी ओर संकेत करती रही; पर मुझे आजतक वह स्थान नहीं मिला और शायद नहीं मिलेगा. फिर भी मैं दौड़ता ही रहूंगा; क्योंकि यही मेरा कर्म है. मैंने युद्ध में मोहग्रस्त अर्जुन से ही यह नहीं कहा था, अपितु जीवन में बारंबार स्वयं से भी कहता रहा हूं- "कर्मण्येवाधिकारस्ते".
वस्तुतः क्षितिज मेरा गंतव्य नहीं, मेरे गंतव्य का आदर्श है. आदर्श कभी पाया नहीं जाता. यदि पा लिया जाता तो वह आदर्श नहीं. इसीलिए न पाने की निश्चिंतता के साथ भी कर्म में अटल आस्था ही मुझे दौड़ाए लिए जा रही है. यही मेरे जीवन की कला है. इसे लोग ‘लीला’ भी कहा सकते हैं; क्योंकि वे मुझे भगवान मानते हैं… और भगवान का कर्म ही तो लीला है.’
‘मुझे देखना हो तो तूफानी सिंधु की उत्ताल तरंगों में देखो. हिमालय के उत्तुंग शिखर पर मेरी शीतलता अनुभव करो. सहस्रों सूर्यों का समवेत ताप ही मेरा ताप है. एक साथ सहस्रों ज्वालामुखियों का विस्फोट मेरा ही विस्फोट है. शंकर के तृतीय नेत्र की प्रलयंकर ज्वाला मेरी ही ज्वाला है. शिव का तांडव मैं हूं ; प्रलय में मैं हूं, लय में मैं हूं, विलय में मैं हूं. प्रलय के वात्याचक्र का नर्तन मेरा ही नर्तन है। जीवन और मृत्यु मेरा ही विवर्तन है. ब्रह्मांड में मैं हूं, ब्रह्मांड मुझमें है. संसार की सारी क्रियमाण शक्ति मेरी भुजाओं में है. मेरे पगों की गति धरती की गति है. आप किसे शापित करेंगे, मेरे शरीर को ? यह तो शापित है ही – बहुतों द्वारा शापित है ; और जिस दिन मैंने यह शरीर धारण किया था उसी दिन यह मृत्यु से शापित हो गया था.
नियति ने हमेशा मुझ पर युद्ध थोपा – जन्म से लेकर जीवन के अन्त तक. यद्यपि मेरी मानसिकता सदा युद्ध विरोधी रही ; फिर भी मैंने उन युद्धों का स्वागत किया. उनसे घृणा करते हुए भी मैंने उन्हें गले लगाया. मूलतः मैं युद्धवादी नहीं था.
जब से मनुष्य पैदा हुआ तब से युद्ध पैदा हुआ – और शांति की ललक भी. यह ललक ही उसके जीवन का सहारा बनी. इस शांति की ललक की हरियाली के गर्भ में सोये हुए ज्वालामुखी की तरह युद्ध सुलगता रहा और बीच-बीच में भड़कता रहा. लोगों ने मेरे युद्धवादी होने का प्रचार भी किया ; पर मैंने कोई परवाह नहीं की, क्योंकि मेरी धारणा थी – और है कि मानव का एक वर्ग वह, जो वैमनस्य और ईर्ष्या-द्वेष के वशीभूत होकर घृणा और हिंसा का जाल बुनता रहा – युद्धक है वह, युद्धवादी है वह. पर जो उस जाल को छिन्न-भिन्न करने के लिए तलवार उठाता रहा, वह कदापि युद्धवादी नहीं है, युद्ध नहीं है… और यही जीवन भर मैं करता रहा.
जीवन को मैंने उसकी समग्रता में जीया है. न मैंने लोभ को छोड़ा, न मोह को ; न काम को, न क्रोध को ; न मद को, न मत्सर को. शास्त्रों में जिसके लिए वर्जना थी, वे भी मेरे लिए वर्जित नहीं रहे. सब वंशी की तरह मेरे साथ लगे रहे. यदि इन्हें मैं छोड़ देता तो जीवन एकांगी हो जाता. तब मैं यह नहीं कह पाता कि करील की कुंजों में रास रचाने वाला मैं ही हूं और व्रज के जंगलों में गायें चराने वाला भी मैं ही हूं. चाणूर आदि का वधक भी मैं ही हूं और कालिय का नाथक भी मैं ही हूं मेरी एक मुट्ठी में योग है और दूसरी में भोग. मैं रथी भी हूं और सारथि भी. अर्जुन के मोह में मैं ही था और उसकी मोह-मुक्ति में भी मैं ही था.
जब मेघ दहाड़ते रहे, यमुना हाहाकार करती रही और तांडव करती प्रकृति की विभीषिका किसी को कंपा देने के लिए काफी थी, तब भी मैं अपने पूज्य पिता की गोद में किलकारी भरता रहा. तब से नियति न मुझ पर पूरी तरह सदय रही, न पूरी तरह निर्दय. मेरे निकट आया हर वर्ष एक संघर्ष के साथ था. इस अद्भुत किताब के रचयिता मनु शर्मा का आज सुबह साढ़े छह बजे वाराणसी में निधन हो गया. वे 89 वर्ष के थे.

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें