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उचित आहार से सही देखभाल

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महिलाओं की कई ऐसी शारीरिक समस्याएं हैं, जिनमें उचित खान-पान बरतने से उन तकलीफों से बाहर आने में मदद मिलती है. जो महिलाएं यूट्रस की समस्या से ग्रसित रहती हैं, उन्हें सही उपचार के साथ सही खान-पान का भी ध्यान रखना चाहिए. महिलाएं जो एंडोमेट्रियोसिस से ग्रसित होती हैं, उनके यूट्रस में सूजन और क्रैंप्स […]

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महिलाओं की कई ऐसी शारीरिक समस्याएं हैं, जिनमें उचित खान-पान बरतने से उन तकलीफों से बाहर आने में मदद मिलती है. जो महिलाएं यूट्रस की समस्या से ग्रसित रहती हैं, उन्हें सही उपचार के साथ सही खान-पान का भी ध्यान रखना चाहिए. महिलाएं जो एंडोमेट्रियोसिस से ग्रसित होती हैं, उनके यूट्रस में सूजन और क्रैंप्स उत्पन्न हो जाता है. पीरियड के समय सूजन और दर्द बढ़ जाता है. इस वक्त खान-पान पर विशेष ध्यान देने की जरूरत होती है. इसलिए अपनी डायट में ओमेगा-3 फैटी एसिड, फाइबर, आयरन और कैल्शियम की प्रचुर मात्रा लें.
डाइटरी फाइबर हमारे शरीर से अतिरिक्त एस्ट्रोजन को बाहर निकालने में मदद करते हैं. अपने आहार में फाइबर को बढ़ाएं. ओट्स, फल, साबूत अनाज, छिलके वाली दालें, पत्तेदार सब्जियां, फाइबर के अच्छे स्रोत हैं. कुछ फाइबर जैसे कि लिगनिन जो कि राई और सीड्स में पाये जाते हैं, हमारे गट फ्लोरा में सिंथेसिस होकर एंटी एस्ट्रोगेनिक कंपाउंड्स बनाते हैं, जो कि कैंसर से बचाता है.

सॉल्यूबल फाइबर एस्ट्रोजन को बांध कर रखता है तथा इसके पुनः अवशोषण को रोकता है. फाइबर युक्त आहार शरीर के अंदर मौजूद विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करती है. इसलिए अपने आहार में 25 से 30 ग्राम फाइबर प्रतिदिन जरूर शामिल करें. इस अवस्था में व्यायाम भी जरूरी है. जब हम व्यायाम करते हैं, तब हमारा ब्रेन एक फीलगुड केमिकल रिलीज करता है, जिसे एंडोर्फिन कहा जाता है. यह हार्मोन दर्द से राहत प्रदान करता है. व्यायाम को अपनी दिनचर्या में शामिल करें.कम-से-कम 30 मिनट मॉर्निंग वाक जरूर करें. व्यायाम करने से ब्लड सर्कुलेशन ठीक रहता है. यदि आप जिम न जाना चाहें, तो कुछ दिन विशेषज्ञ की सलाह से घर पर ही व्यायाम करें और उसके बाद खुद से उसे दोहराते रहें. व्यायाम से हमारे शरीर में मौजूद विषाक्त पदार्थ भी बाहर निकल जाता है, जो किडनी और यूट्रस के स्वास्थ्य के लिए बहुत ही जरूरी है.

सैचुरेटेड फैट और धूम्रपान हानिकारक : एक अध्ययन से पता चला है कि ओमेगा-3 में एंटी इंफ्लामेटरी एवं एंटी आक्सीडेंट गुण होते हैं. यह एंडोमेट्रियल इनप्लांट के ग्रोथ को रोकता है. कई मछलियों, चिया, अखरोट तिसी, सोयाबीन आदि में ओमेगा-3 फैटी एसिड पाया जाता है.

वहीं, ट्रांस फैट, प्रोसेस्ड फूड और सैचुरेटेड फैट्स से परहेज करें, क्याेंकि ये शरीर में एक्स्ट्रा फैट को जमा करते हैं. रेड मीट से भी दूर रहना बेहतर होगा. वहीं, धूम्रपान फेफड़ों के साथ यूट्रस के स्वास्थ्य के लिए भी काफी नुकसानदायक है. कई शोधों में इस बात की पुष्टि हुई है कि सिगरेट के अधिक सेवन से एस्ट्रोजन लेवल काफी कम हो जाता है. साथ ही इससे बच्चा पैदा करने की क्षमता घट जाती है. धूम्रपान शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाता है.
दूध व दाल करें उपयोग : यदि आपको नियमित स्ट्रेस रहता हो, तो योग का सहारा ले सकती हैं, साथ ही ध्यान को वैसे क्रियात्मक कार्यों में लगाएं, जो आपको करना पसंद हो. इससे आपका स्ट्रेस काफी कम होगा और स्ट्रेस हार्मोन भी नियंत्रित रहेंगे, जिसका सीधा प्रभाव अन्य अंगों के स्वास्थ्य पर पड़ता है. खुद को निगेटिव फीलिंग से दूर रखें. दूध और दूध से बने उत्पादों को डाइट में शामिल करें. ये विटामिन डी और कैल्शियम से भरपूर होते हैं, जो यूट्रस के स्वास्थ्य के लिए लाभदायक हैं. एस्ट्रोजन की मात्रा बढ़ने से ऑस्टियोपोरोसिस होने का खतरा रहता है. इसलिए कैल्शियम युक्त आहार जैसे दूध, दूध उत्पाद, मेथी का साग, हरी पत्तेदार सब्जियां, दाल, सोयाबीन, सोया प्रोडक्ट, मछली आदि को अपने डायट में शामिल करें.
रूपाली कुमारी
चीफ डायटीशियन
जगदीश मेमोरियल हॉस्पिटल, पटना

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