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जस्टिस चेलमेश्वर के उठाये मुद्दे पर लॉयर्स यूनियन चिंतित, जानिये क्या है मसला…?

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नयी दिल्ली : वकीलों के एक निकाय ने प्रधान न्यायाधीश को लिखे पत्र में सुप्रीम कोर्ट के सर्वाधिक वरिष्ठ न्यायाधीश जे चेलमेश्वर द्वारा उठाये गये मुद्दों पर गंभीर चिंता जतायी है. चेलमेश्वर ने अपने पत्र में न्यायपालिका में कार्यपालिका के कथित हस्तक्षेप के मुद्दे पर चर्चा करने के लिए पूर्ण अदालत की बैठक बुलाने का […]

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नयी दिल्ली : वकीलों के एक निकाय ने प्रधान न्यायाधीश को लिखे पत्र में सुप्रीम कोर्ट के सर्वाधिक वरिष्ठ न्यायाधीश जे चेलमेश्वर द्वारा उठाये गये मुद्दों पर गंभीर चिंता जतायी है. चेलमेश्वर ने अपने पत्र में न्यायपालिका में कार्यपालिका के कथित हस्तक्षेप के मुद्दे पर चर्चा करने के लिए पूर्ण अदालत की बैठक बुलाने का अनुरोध किया है. ऑल इंडिया लॉयर्स यूनियन (एआईएलयू) ने एक वक्तव्य में कहा कि न्यायमूर्ति चेलमेश्वर का पत्र हाईकोर्ट में न्यायाधीशों की नियुक्ति की प्रक्रिया में केंद्र सरकार के प्रत्यक्ष हस्तक्षेप का खुलासा करता है. पत्र साफ तौर पर दर्शाता है कि न्यायपालिका की स्वतंत्रता अब खतरे में है.

इसे भी पढ़ें : जस्टिस चेलमेश्वर ने कहा-संविधान सबसे बड़ी लोक नीति, युवा इसका आदर करें

निकाय ने कहा कि देशभर में वकील न्यायमूर्ति चेलमेश्वर द्वारा पत्र में किये गये ताजा खुलासे को लेकर चिंतित हैं. इस पत्र में उन्होंने कॉलेजियम द्वारा पदोन्नति के लिए जिला एवं सत्र न्यायाधीश कृष्णा भट के नाम की सिफारिश दो बार किये जाने के बावजूद विधि एवं न्याय मंत्रालय के अनुरोध पर कर्नाटक हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश दिनेश माहेश्वरी द्वारा उनके खिलाफ जांच शुरू कराने पर सवाल उठाया था.

एआईएलयू अध्यक्ष और वरिष्ठ अधिवक्ता बिकास रंजन भट्टाचार्य और महासचिव सोम दत्त शर्मा ने एक वक्तव्य में कहा कि लोकतंत्र के लिए और दुखद है कि कर्नाटक हाईकोर्ट के मौजूदा मुख्य न्यायाधीश कार्यपालिका के दबाव के आगे आज्ञाकारी ढंग से झुक गये हैं. मौजूदा सरकार न सिर्फ जानबूझकर न्यायपालिका की स्वतंत्रता को तबाह कर रही है, बल्कि कुछ न्यायाधीश भी इसको बढ़ावा दे रहे हैं.

कॉलेजियम ने जिस व्यक्ति के नाम की सिफारिश की उसके खिलाफ जांच की निंदा करते हुए एआईएलयू ने कहा कि अगर कॉलेजियम की सिफारिश को स्वीकार नहीं किया जा सकता है, तो इसे पुनर्विचार के लिए शीर्ष अदालत के पास भेजा जाना चाहिए. वक्तव्य में कहा गया है कि एक न्यायाधीश बिना किसी भय और पक्षपात के संविधान को बहाल रखने की शपथ से बंधा होता है. मौजूदा मामले में कर्नाटक के मुख्य न्यायाधीश अपनी शपथ पर कायम रहने में विफल रहे हैं. लोकतंत्र और संविधान को बचाने के लिए आवाज उठाने का यह समय है.

न्यायमूर्ति चेलमेश्वर ने 21 मार्च को सीजेआई को पत्र लिखकर उनसे न्यायपालिका में कार्यपालिका के कथित हस्तक्षेप के मुद्दे पर विचार करने के लिए पूर्ण अदालत की बैठक बुलाने का अनुरोध किया था. उन्होंने आगाह किया था कि किसी देश में न्यायपालिका और सरकार के बीच भाईचारा लोकतंत्र के लिए मौत की घंटी है.

न्यायमूर्ति चेलमेश्वर ने कहा कि हम, सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों पर कार्यपालिका के बढ़ते अतिक्रमण के सामने अपनी स्वतंत्रता और अपनी संस्थागत ईमानदारी खोने का आरोप लग रहा है. गौरतलब है कि सीजेआई द्वारा मामलों के आवंटन समेत विभिन्न मुद्दों पर न्यायमूर्ति चेलमेश्वर ने गत 12 जनवरी को तीन अन्य वरिष्ठ न्यायाधीशों के साथ अभूतपूर्व प्रेस कांफ्रेंस किया था.

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