28.1 C
Ranchi
Monday, March 3, 2025 | 06:25 pm
28.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

एक एेसा पूर्व सेनाध्यक्ष, जिन्होंने पाकिस्तान को भारत के सामने घुटने टेकने को किया मजबूर, पढ़िये कौन हैं वो…?

Advertisement

नयी दिल्ली : सैम होर्मूसजी फ्रेमजी जमशेदजी मानेकशॉ भारत के एक एेसे पूर्व सेनाध्यक्ष थे, जिन्होंने पड़ोसी देश पाकिस्तान को 1971 की जंग में घुटने टेकने को मजबूर कर दिया था. मानेकशाॅ का जन्म आज ही के दिन यानी 3 अप्रैल, 1914 को हुआ था. आज से करीब 10 साल पहले 27 जून, 2008 को […]

Audio Book

ऑडियो सुनें

नयी दिल्ली : सैम होर्मूसजी फ्रेमजी जमशेदजी मानेकशॉ भारत के एक एेसे पूर्व सेनाध्यक्ष थे, जिन्होंने पड़ोसी देश पाकिस्तान को 1971 की जंग में घुटने टेकने को मजबूर कर दिया था. मानेकशाॅ का जन्म आज ही के दिन यानी 3 अप्रैल, 1914 को हुआ था. आज से करीब 10 साल पहले 27 जून, 2008 को उनका निधन हो गया था. फील्ड मार्शल की रैंक पाने वाले वह भारतीय सेना के पहले अधिकारी थे. वर्ष 1971 में उन्हीं के नेतृत्व में भारत-पाकिस्तान युद्ध हुआ, जिसमें उन्होंने अपने सैन्य कौशल से पड़ोसी देश पाकिस्तान को भारत के सामने घुटने टेकने को मजबूर कर दिया था.

इसे भी पढ़ेंः चीफ एयर मार्शल ही नहीं, एक कुशल राजदूत भी थे ‘भारत का अर्जन’, जानें कुछ अनछुर्इ बातें…

फील्ड मार्शल मानेकशाॅ का सेना में शानदार कैरियर की शरुआत ब्रिटिश इंडियन आर्मी से शुरू हुआ था और करीब चार दशकों तक चला. इसी दौरान करीब पांच युद्ध भी हुए. सन 1969 में वह भारतीय सेना के आठवें सेनाध्यक्ष बनाये गये. उनके नेतृत्व में भारत ने 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में विजय प्राप्त की. इसी का नतीजा था कि 1971 की जंग के बाद एक नये देश बांग्लादेश का उदय हुआ. उनके शानदार कैरियर के दौरान उन्हें अनेक सम्मान प्रदान किये गये. 1972 में भारत सरकार ने उन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित किया था.

जानिये, मानेकशाॅ के बारे में 10 रोचक बातें…

  1. जब उन्होंने सेना में जाने का फैसला किया, तो उन्हें अपने पिता के विरोध का सामना करना पड़ा. उन्होंने पिता के खिलाफ बगावत कर दी और इंडियन मिलिट्री अकादमी, देहरादून में दाखिले के लिए प्रवेश परीक्षा दी. वह 1932 में पहले 40 कैडेट्स वाले बैच में शामिल हुए.
  2. मानेकशाॅ के ही नेतृत्व में भारत ने 1971 के युद्ध में पाकिस्तान को हराया. इसी युद्ध में भारतीय सेना ने पाकिस्तान के 9000 सैनिकों को बंदी बनाया, जो एक ऐतिहासिक रिकॉर्ड है.
  3. 1971 के युद्ध के दौरान जब इंदिरा गांधी ने उनसे भारतीय सेना की तैयारी के बारे में पूछा, तो उन्होंने जवाब दिया था कि मैं हमेशा तैयार हूं.
  4. जब 1942 के दौरान बर्मा में जापान के साथ युद्ध चल रहा था, तो इस युद्ध में लड़ते हुए उन्हें सात गोलियां लगी थीं, फिर भी वह जिंदा रहे. जब अस्पताल में सर्जन ने उनसे पूछा कि उनको क्या हुआ था, तो मानेकशॉ ने जवाब दिया कि मुझे खच्चर ने लात मार दी थी.
  5. 1947 में आजादी के बाद हुए बंटवारे को लेकर जब मानेकशाॅ से पूछा गया कि अगर बंटवारे के समय वह पाकिस्तान चले गये, होते तो 1971 के युद्ध में क्या होता. इस सवाल के बाद उन्होंने जवाब दिया था कि मेरे ख्याल से पाकिस्तान जीत गया होता.
  6. मिजोरम में एक बटालियन उग्रवादियों से लड़ाई में हिचक रही थी और लड़ाई को टालने की कोशिश कर रही थी. इसके बारे में जब मानेकशॉ को पता चला, तो उन्होंने चूड़ियों का एक पार्सल बटालियन के कमांडिंग ऑफिसर को एक नोट के साथ भेजा. नोट में लिखा था कि अगर आप दुश्मन से लड़ना नहीं चाहते हैं, तो अपने जवानों को ये चूड़ियां पहनने को दे दें. जब बटालियन ने ऑपरेशन को सफलतापूर्वक अंजाम दे दिया, तो उन्होंने चूड़ियां वापस भेज देने को कहा.
  7. मानकेशाॅ हकीकत कहने से कभी घबराते नहीं थे. जब इंदिरा गांधी ने असमय ही पूर्वी पाकिस्तान पर हमले के लिए कहा, तो उन्होंने जवाब दिया कि इस स्थिति में हार तय है. इससे इंदिरा गांधी को गुस्सा आ गया. उनके गुस्से की परवाह किये बगैर मानेकशॉ ने कहा कि प्रधानमंत्री, क्या आप चाहती हैं कि आपके मुंह खोलने से पहले मैं कोई बहाना बनाकर अपना इस्तीफा सौंप दूं.
  8. भारत-पाकिस्तान के बंटवारे से पहले वह और याह्या खान (1971 युद्ध के दौरान पाकिस्तान के राष्ट्रपति) सेना में एक साथ सेवा दे रहे थे. मानेकशॉ ने अपनी मोटरसाइकिल याह्या को बेची थी, जिसका पैसा याह्या ने चुकाया नहीं था. बाद में जब 1971 के युद्ध में पाकिस्तान को हरा दिया और बांग्लादेश अस्तित्व में आ गया. इसके बाद मानेकशॉ ने कहा कि याह्या ने मेरी मोटरसाइकिल का 1,000 रुपये मुझे कभी नहीं दिया, लेकिन अब उसने आधा देश दे दिया है.
  9. इंदिरा गांधी उस समय देश की प्रधानमंत्री थीं, जब सेना द्वारा विद्रोह की अफवाह फैली. इंदिरा गांधी ने इस बारे में सैम मानेकशॉ से पूछा. इस पर उन्होंने अपने बिंदास अंदाज में ही जवाब दिया कि आप अपने काम पर ध्यान दें और मैं अपने काम पर. राजनीति में मैं उस समय तक कोई हस्तक्षेप नहीं करूंगा, जब तक कोई मेरे मामले में हस्तक्षेप नहीं करेगा.
  10. सेना की गोरखा रेजिमेंट पर उनका कितना भरोसा था, यह उनके एक बयान से पता चलता है. एक बार उन्होंने गोरखा रेजिमेंट की तारीफ करते हुए कहा कि अगर आपसे कोई कहता है कि वह नहीं डरता है, तो वह या तो झूठा है या फिर गोरखा.

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

संबंधित ख़बरें

Trending News

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें
Home होम Videos वीडियो
News Snaps NewsSnap
News Reels News Reels Your City आप का शहर