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पीएम मोदी की ‘मन की बात’ पर विवाद, अरुण शौरी का दावा, किताब के लेखक नहीं हैं राजेश जैन

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नयी दिल्ली : पिछले साल मई महीने में राष्ट्रपति भवन में एक़ विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया था, इस कार्यक्रम में राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी की उपस्थिति में दो किताबों का विमोचन किया गया था. इनमें से एक किताब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ‘मन की बात’ कार्यक्रम पर आधारित थी, जिसका नाम है, मन की […]

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नयी दिल्ली :
पिछले साल मई महीने में राष्ट्रपति भवन में एक़ विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया था, इस कार्यक्रम में राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी की उपस्थिति में दो किताबों का विमोचन किया गया था. इनमें से एक किताब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ‘मन की बात’ कार्यक्रम पर आधारित थी, जिसका नाम है, मन की बात : अ सोशल रिवोल्यूशन ऑन रेडियो.

अरुण शौरी का सरकार पर हमलाः ढार्इ लोग ही लेते हैं आर्थिक फैसले, मोदी का समर्थन जीवन की दूसरी बड़ी भूल

इस किताब के लेखक के रूप में राजेश जैन का नाम सामने आया था. लेकिन भाजपा के पूर्व नेता और वरिष्ठ पत्रकार अरुण शौरी ने इस किताब के लेखक के बारे में विवादित टिप्पणी कर दी है. राजेश जैन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पूर्व सहयोगी रहे हैं. अरुण शौरी ने एनडीटीवी के साथ बातचीत में कहा है कि राजेश जैन मेरे मित्र हैं और उनका किताब से कोई लेना देना नहीं है. उन्होंने मुझे बताया था कि इस कार्यक्रम में उन्हें जबरदस्ती बुलाया गया था. एक लिखी हुआ भाषण मिला था, जिसे मुझे पढ़ना था.

जब अरुण शौरी के इस दावे पर एनडीटीवी ने राजेश जैन से बात की, तो उन्होंने शौरी के दावे को सही ठहराया. उन्होंने कहा कि इस किताब को मैंने नहीं लिखा था, लेकिन लेखक के तौर पर अपना नाम देख चकित रह गया था. उन्होंने यह भी जानकारी दी कि वे ब्लूक्राफ्ट डिजिटल फाउंडेशन संस्था के साथ काम कर रहे थे.

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यह संस्था किताब के विमोचन के वक्त पीएम मोदी के मन की बात कार्यक्रम का आयोजन कर रही थी. लेकिन किताब से अपने संबंध को उन्होंने मजबूती से नकार दिया. उन्होंने बताया कि पीएमओ की ओर से एक कार्यक्रम का निमंत्रण मिला था, जिसके कार्ड पर लेखक के तौर पर मेरा नाम लिखा था, लेकिन मैं इसका लेखक नहीं हूं.

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