20.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

पुण्यतिथि पर विशेष : आज भी मानवीय संवेदनाओं को झंझोरता है ”रेणु साहित्य”

Advertisement

जितेंद्र कुमार सिंह @ अररिया अपने उपन्यास ‘मैला आंचल’ से रातों-रात ख्याति अर्जित कर हिंदी साहित्य जगत में अपना विशेष मुकाम बनानेवाले कालजयी कथाकार फणीश्वर नाथ रेणु की कमी आज भी साहित्यकारों को महसूस होती है. साहित्यकारों के साथ-साथ उनसे जुड़े और स्थानीय लोग आज भी उन्हें अपने आसपास महसूस करते हैं. पुण्यतिथि पर साहित्यकारों […]

Audio Book

ऑडियो सुनें

जितेंद्र कुमार सिंह @ अररिया

- Advertisement -

अपने उपन्यास ‘मैला आंचल’ से रातों-रात ख्याति अर्जित कर हिंदी साहित्य जगत में अपना विशेष मुकाम बनानेवाले कालजयी कथाकार फणीश्वर नाथ रेणु की कमी आज भी साहित्यकारों को महसूस होती है. साहित्यकारों के साथ-साथ उनसे जुड़े और स्थानीय लोग आज भी उन्हें अपने आसपास महसूस करते हैं. पुण्यतिथि पर साहित्यकारों ने उन्हें याद करते हुए कहा कि रेणुपूरी तरह सामाजिक परिवेश के लेखक थे. उनकी रचनाएं अपनेपन का एहसास दिलाती हैं. अपने अस्तित्व के लिए संघर्षरत समाज से परिचय कराती हैं. मानवीय संवेदनाओं को झंकृत करती हैं, झंझोरती हैं.

फणीश्वर नाथ रेणु के पारिवारिक मित्र और ‘मैला आंचल’ के पात्र लल्लू बाबू वकील के पुत्र शैलेंद्र शरण उर्फ बुल्लू जी कहते हैं कि रेणु की रचनाओं को केवल उनकी बौद्धिक क्षमता से जोड़ कर नहीं देखा जा सकता है. रेणु की रचनाएं इस लिए इतनी जीवंत हैं कि खुद रेणु ने उस जीवन को जिया था. उन्होंने जो लिखा, उसे खुद भोगा था. ग्रामीण जीवन को बहुत करीब से देखा और महसूस किया था. वह संस्कृति और परिवेश उनके भीतर बसता था.

फारबिसगंज जिले के औराही हिंगना में जन्म लेने वाले फणीश्वर नाथ रेणु का निधन 11 अप्रैल, 1977 को हो गया था. उनकी पुण्यतिथि पर क्षेत्र के साहित्यकारों ने उन्हें याद किया. इस मौके पर रेणु साहित्य पर साहित्यकार बसंत कुमार राय मानते हैं कि वे परिवेश के लेखक थे. व्यक्ति व समाज को परिवेश की उपज मानते थे. रेणु ने अपनी रचनाओं ‘बट बाबा’ और ‘मैला आंचल’ में नायक और नायिका की अवधारणा को बदल दिया. ‘बट बाबा’ में पेड़ नायक है, तो ‘मैला आंचल’ में पूरा समाज ही नायक और खलनायक दिखायी पड़ता है. पूर्व निर्धारित फ्रेम से अलग उन्होंने अपनी रचनाओं के लिए अपना फ्रेम बनाया. वहीं, ‘नैना जोगिन’, ‘रसप्रिया’ और ‘मारे गये गुलफाम’ जैसी रचनाओं को सामने रखते हुए उन्होंने कहा कि रेणु की रचनाओं का रिवर्स गियर लाजवाब है. पात्रों का चरित्र कहानी के अंत में अचानक से बदले रूप में सामने आता है.

उर्दू कहानीकारों में देश में अपनी पहचान रखनेवाले रफी हैदर अंजुम ने कहा कि रेणु ने अपनी रचनाओं के लिए एक ऐसे शिल्प को अपनाया, जो हिंदी साहित्य जगत के लिए चौंकानेवाला था. रेणु की कहानियां पाठकों को एक ऐसे जीते जागते समाज से परिचय कराती हैं, जो अपनी पहचान, अपनी अस्मिता व अपने अस्तित्व के लिए संघर्षशील हैं. रेणु साहित्य की एक बड़ी विशेषता यह है कि पाठक खुद को उनकी रचनाओं का पात्र महसूस करने लगता है.

हिंदी के जाने-माने साहित्यकार रहबान अली राकेश ने कहा कि रेणु की रचनाएं लोक संस्कृति व सामाजिक अस्मिता का बेहतरीन चित्रण करती है. अन्य लेखकों में ऐसा बहुत कम मिलता है. मानवीय संवेदनाओं को झंकृत करना उनकी रचनाओं का एक प्रबल पक्ष है. ठुमरी और आदिम रात्रि की महक आदि का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि उनकी रचनाओं में लोक दृष्टि की गहनता है. ग्राम्य जीवन के चित्रण की ऐसी मिसाल कहीं अन्य बहुत मुश्किल से मिलेंगी.

उर्दू त्रैमासिक अबजद के संस्थापक और साहित्यकार रजी अहमद तनहा का कहना है कि रेणु की कहानियां अपनेपन का एहसास दिलाती है. उनकी रचनाओं को पढ़ते हुए ऐसा लगता है कि किसी मेले में खोया कोई अपना अचानक मिल गया हो. भाषा इतनी सहज और देशज है कि पढ़नेवाले को लगता है कि कोई उनकी अपनी बोली में सुख दुख बतिया रहा है. परिवेश और पात्रों के चित्रण में कहीं किसी मिलावट या बनावट का एहसास नहीं होता है. सब कुछ सहज व अपने आसपास का लगता है.

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें