13.1 C
Ranchi
Saturday, February 8, 2025 | 04:50 am
13.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

दक्षिण-पूर्व एशिया में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, संबंधों में नयी ऊर्जा का संचार

Advertisement

अपनी ‘एक्ट ईस्ट’ नीति को मजबूती देने के इरादे से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इंडोनेशिया, मलयेशिया और सिंगापुर की पांच दिवसीय यात्रा पर हैं. इन देशों के साथ भारत के अच्छे व्यापारिक और रणनीतिक संबंध हैं और भारतीय विदेश नीति को बहुपक्षीय आयाम देने की कोशिशों को इस दौरे से बल मिलने की उम्मीद है. इस […]

Audio Book

ऑडियो सुनें

अपनी ‘एक्ट ईस्ट’ नीति को मजबूती देने के इरादे से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इंडोनेशिया, मलयेशिया और सिंगापुर की पांच दिवसीय यात्रा पर हैं. इन देशों के साथ भारत के अच्छे व्यापारिक और रणनीतिक संबंध हैं और भारतीय विदेश नीति को बहुपक्षीय आयाम देने की कोशिशों को इस दौरे से बल मिलने की उम्मीद है. इस हिस्से में चीन की मौजूदगी के बावजूद साझेदारी बढ़ाने की काफी संभावनाएं हैं. तीनों देशों के साथ द्विपक्षीय संबंधों और इस यात्रा के महत्व के विश्लेषण के साथ प्रस्तुत है आज का इन-डेप्थ…

- Advertisement -

व्यापार के लिहाज से अहम यात्रा

शशांक
पूर्व विदेश सचिव, भारत सरकार
ह मारी एक्ट इस्ट पॉलिसी के तहत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का इंडोनेशिया, मलयेशिया और सिंगापुर का दौरा कई मायने में महत्वपूर्ण है. पिछले बीस साल से कोई भी भारतीय प्रधानमंत्री इंडोनेशिया नहीं गया था. वहीं सिंगापुर में शांगरी-ला डायलॉग में मोदी जी भाग लेंगे, यानी पहली बार कोई भारतीय प्रधानमंत्री ऐसा कर रहा है. अब दुनिया को यकीन होने लगा है कि हमारी विदेश नीति हर मोर्चे पर बेहतर काम कर रही है.
इन देशों के साथ व्यापार और सुरक्षा के क्षेत्र में मजबूती लाने के लिए यह दौरा काफी अहम है. दूसरी बात यह है कि भारत-इंडोनेशिया का सांस्कृतिक इतिहास पश्चिमी औपनिवेशिक काल से भी पुराना है और इसको बनाये रखने की जिम्मेदारी है. उम्मीद है कि इस दौरे से यह रिश्ता और मजबूत होगा.
इन तीनों देशों की यात्रा में पहले स्थान पर इंडोनेशिया है. कहा जा रहा है कि भारत-इंडोनेशिया के बीच जो फिलहाल 20 बिलियन डॉलर का कारोबार है, उसे 2025 तक 50 बिलियन डॉलर तक करने का लक्ष्य है.
यह बहुत बड़ी बात है और इस दौरे से भारत-इंडोनेशिया के बीच तमाम तरह के संबंधों को एक नया आयाम मिलेगा. दूसरे स्थान पर सिंगापुर का दौरा महत्वपूर्ण है, जहां शांगरी-ला डायलॉग को पहली बार कोई भारतीय प्रधानमंत्री संबोधित करेगा. वहीं तीसरे स्थान पर मलयेशिया दौरे को रख सकते हैं, क्योंकि वहां के राष्ट्रपति से मोदी मुलाकात करेंगे. इस पूरे दौरे के एतबार से एक्ट इस्ट पॉलिसी को एक नया आयाम मिलनेवाला है.
दक्षिण एशिया में जिस तरह से चीन का दखल है, हर जगह पर वह पक्की सड़कों का निर्माण कर रहा है, जिससे चीन का दबदबा बढ़ा है. मालदीव, पाकिस्तान और श्रीलंका में जिस तरह से वह निर्माण कार्य कर रहा है, उसके मद्देनजर यह जरूरी है कि भारत भी दक्षिण एशिया में अपने रिश्तों को मजबूत करे.
इस लिहाज से यह दौरा बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है. एक दूसरे पहलू से देखें, तो जब से रूस और अमेरिका ने मिलकर इराक और सीरिया से इस्लामिक स्टेट को मार भगाया है, जिसमें मलयेशिया, मालदीव आदि देशों से आइएस में शामिल हुए थे, उसके बाद से अब वे सब वापस अपने देश में आये हैं, जिससे आंतरिक सुरक्षा के सवाल खड़े होने लगे हैं.
तो ऐसी आंतरिक सुरक्षा के नजरिये से भी माना जा रहा है कि जो सुरक्षा संबंधी समझौते होंगे, वह इन क्षेत्रों में शांति स्थापना के लिए जरूरी होंगे. हालांकि, कुछ विशेष समझौते भी हो सकते हैं, नेवल पार्टनरशिप, सामरिक समझौते और कुछ निवेश आदि की बात बन सकती है, और इन सबके सामने आने से पहले कुछ नहीं कहा जा सकता.
सिका से व्यापार व निवेश में हुई प्रगति
राजीव रंजन चतुर्वेदी
विजिटिंग फेलो, नानयांग टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी, सिंगापुर
‘भा रत-सिंगापुर सामरिक संबंध- नया उत्साह, नया जोश’ के साझी रूप-रेखा के अनुरूप द्विपक्षीय संबंध उत्तरोत्तर सुदृढ़ हो रहे हैं. दोनों देशों के विदेश मंत्रियों ने मजबूत रिश्तों के लिए कुछ मुख्य क्षेत्रों को रेखांकित किया था- व्यापार और निवेश को व्यापक प्रोत्साहन, हवाई व समुद्री संपर्क बढ़ाना, तटीय क्षेत्रों का विकास, स्मार्ट सिटी योजना तथा शहरों का कायाकल्प, कौशल विकास, क्षमता निर्माण के साथ राज्यों को केंद्र बिंदु बनाकर आपसी संबंध बेहतर करना.
व्यापक आर्थिक सहयोग समझौते (सिका) के तहत पिछले एक दशक से व्यापार और निवेश में उल्लेखनीय प्रगति हुई है. साल 2004-05 के 6.7 अरब अमेरिकी डॉलर से बढ़कर परस्पर व्यापार 2016-17 में 16.7 अरब अमेरिकी डॉलर हो गया.
माना जा रहा है कि इस समझौते को और अधिक विस्तार देने पर और सेवा क्षेत्र में इसे लागू करने पर आधिकारिक सहमति बन गयी है. सार्वजनिक प्रशासन और प्रशासनिक सुधार के क्षेत्र में उत्कृष्टता के लिए भी सहयोग पर मुहर लगने की संभावना है.
सिंगापुर स्मार्ट सिटी और शहरी नियोजन में दुनिया में अग्रणी है. राजस्थान के दो ऐतिहासिक शहरों – उदयपुर और जोधपुर- के प्रबंधन में सहयोग के लिए दोनों देशों में समझौता हुआ है. आंध्र प्रदेश की नयी राजधानी के निर्माण में भी सिंगापुर साझीदार है. इनके अलावा विमानन, आवास, विशेषज्ञता और तकनीक के क्षेत्र में बढ़ता सहयोग द्विपक्षीय आर्थिक विकास की नयी लहर को इंगित करता है.
सिंगापुर में भारतीयों और भारतीय मूल के लोगों की संख्या कुल आबादी का करीब दस फीसदी है. दोनों देशों के बीच बड़े जीवंत सांस्कृतिक संबंध हैं, जिन्हें मजबूत करने की कोशिशें हो रही हैं.
सिंगापुर ने भारत के आसियान से संबंध बेहतर करने में प्रभावकारी भूमिका निभायी है. सिंगापुर सशस्त्र बल इस समय एकमात्र ऐसी सेना है, जिसका भारतीय सेना के सभी अंगों (जल, थल, वायु) के लिए द्विपक्षीय समझौते हैं.
समुद्री क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने की व्यापक संभावनाएं हैं. सिंगापुर पूर्व में भारत का एक विश्वसनीय भागीदार रहा है और प्रधानमंत्री मोदी की यात्रा से दोनों देशों के संबंधों में नये आयाम जुड़ेंगे.
भारत- सिंगापुर संबंध
वर्ष 1965 में भारत पहला देश बना जिसने सिंगापुर को मान्यता प्रदान की थी. इसके बाद 1990 के दशक में भारत में आर्थिक सुधार के दौर में लुक इस्ट पॉलिसी के तहत सिंगापुर से रणनीतिक साझेदारी को बढ़ावा दिया गया.
39 लाख आबादी है सिंगापुर की, जिसमें 9.1 फीसदी यानी करीब 3.5 लाख भारतीय मूल के लोग बसे हुए हैं.16 लाख विदेशी नागरिक बसते हैं सिंगापुर में, जिनमें भारतीय लोगों की तादाद सर्वाधिक है और यह करीब 21 फीसदी है. इनमें से अधिकतर वहां वित्तीय सेवाओं, आइटी, विनिर्माण और मरीन सेक्टर से जुड़े हुए हैं.
1.5 लाख है भारतीय प्रवासी मजदूरों की संख्या सिंगापुर में.
4 आधिकारिक भाषाओं में से एक तमिल है सिंगापुर में.
10 वां सबसे बड़ा और आसियान देशों में दूसरा सबसे बड़ा द्विपक्षीय व्यापारिक साझेदार (2016-17) रहा है सिंगापुर.
16.7 बिलियन डॉलर का कारोबार हुआ दोनों देशों के बीच वर्ष 2016-17 के दौरान, जो वर्ष 2004-05 में महज 6.7 बिलियन डॉलर तक ही सीमित था.
7.1 बिलियन डॉलर का आयात हुआ सिंगापुर से वर्ष 2016-17 के दौरान, जबकि 9.6 बिलियन डॉलर का निर्यात हुआ, जो इसके पिछले साल के मुकाबले करीब 24 फीसदी अधिक थी.
6,000 भारतीय कंपनियां रजिस्टर्ड हैं सिंगापुर में, जबकि 440 से अधिक सिंगापुर की कंपनियां भारत में रजिस्टर्ड हैं.57.6 बिलियन डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश किया गया सिंगापुर से भारत में जून, 2017 तक, जो कुछ एफडीअाइ इनफ्लो का 16.8 फीसदी था.49.45 बिलियन डॉलर का निवेश किया गया सिंगापुर में भारत की ओर से जून, 2017 तक.
लुक इस्ट पॉलिसी
वर्ष 1991 में नरसिम्हा राव की सरकार ने लुक इस्ट पॉलिसी की शुरुआत की थी. भारत की विदेश नीति के संदर्भ में एक नयी दिशा और नये अवसरों के रूप में देखा गया. अटल बिहारी वाजपेयी और डॉ मनमोहन सिंह सरकार ने भी इसे आगे बढ़ाया. इस नीति का मकसद दक्षिण-पूर्व एशिया में चीन के महत्व को कम करना है. कई अवसरों पर अमेरिका ने इसका समर्थन किया है.
एक्ट इस्ट पॉलिसी
भारत की एक्ट इस्ट पॉलिसी एशिया-प्रशांत क्षेत्र में मौजूद देशों के बीच सहभागिता को बढ़ावा देने के मकसद से लायी गयी थी. इस नीति ने पूर्व सरकारों की ओर से लुक इस्ट नीति को एक कदम आगे बढ़ाया.
इस नीति की शुरुआत को एक आर्थिक पहल के तौर पर देखा गया था, लेकिन अब इस नीति ने एक राजनीतिक, रणनीतिक और सांस्कृतिक अहमियत भी हासिल कर ली है, जिसके तहत देशों के बीच बातचीत और आपसी सहयोग को बढ़ाने के लिए एक तंत्र की शुरुआत भी कर दी गयी है. भारत ने इस नीति के तहत इंडोनेशिया, वियतनाम, मलयेशिया, जापान, रिपब्लिक ऑफ कोरिया, ऑस्ट्रेलिया, सिंगापुर और आसियान देशों व एशियाई-प्रशांत क्षेत्र में मौजूद देशों के साथ संपर्क बढ़ाया है.
क्या है इसका मकसद
इस नीति के तहत भारत-आसियान देशों के बीच मौजूद इंफ्रास्ट्रक्चर, मैन्यूफैक्चरिंग, व्यापार, स्किल डेवलपमेंट, शहरी विकास और स्मार्ट सिटी के साथ मेक इन इंडिया जैसी पहल पर जोर दिया गया है. कई देशों के साथ संपर्क परियोजनाओं, अंतरिक्ष और नागरिकों के बीच संपर्क बढ़ाना भी इसका मकसद है, ताकि क्षेत्र में विकास हो सके और लोग समृद्ध रहें. इसका मकसद आर्थिक सहयोग, सांस्कृतिक संबंधों और रणनीतिक साझेदारी को आगे बढ़ाना है.
भारत-इंडोनेशिया व्यापार संबंध
आयात
वस्तुएं 2016-17 2017-18
खनिज ईंधन, खनिज तेल 5,036.24 5,662.87
अयस्क,लावा व राख 713.51 730.29
विभिन्न रासायनिक उत्पाद 342.24 415.48
रबर व अन्य 364.70 461.03
लौह व इस्पात 235.52 276.16
निर्यात
लौह व इस्पात 300.73 429.03
ब्वॉयलर, मशीनरी व अन्य 261.83 313.59
ऑयल सीड, फल व अन्य 229.80 218.98
कार्बनिक रसायन 374.67 361.09
व्हिकल, एसेसरीज व अन्य 277.97 491.24
(नोट : मूल्य – मिलियन डॉलर में) स्रोत : वाणिज्य मंत्रालय, भारत सरकार
ऐतिहासिक संबंधों की सकारात्मक दिशा
डॉ अमित सिंह
असिस्टेंट प्रोफेसर, दिल्ली विश्वविद्यालय
सं स्कृति, सभ्यता व परंपराओं से जुड़े होने के कारण अपनी स्वतंत्रता के बाद भारत और इंडोनेशिया ने अंतरराष्ट्रीय राजनीति में पंचशील के सिद्धांत को अपनाया. वर्ष 1955 के बांडुंग सम्मेलन में भी दोनों ने अग्रणी भूमिका निभायी और गुटनिरपेक्ष आंदोलन को आगे बढ़ाने में कंधे से कंधा मिलाकर साथ चले.
प्रधानमंत्री मोदी इंडोनेशिया के अपने पहले आधिकारिक दोरे पर हैं. इस दौरान द्विपक्षीय संबंधों को संपूर्ण रणनीतिक साझेदारी के जरिये नयी ऊंचाई मिली है. क्षेत्रीय स्तर पर व्यापारिक सहयोग बढ़ाने के लिए प्रयास तेज करने की जरूरत पर भी जोर दिया गया है.
प्रधानमंत्री के इस दौरे में आतंकवाद पर अंकुश, समुद्री सुरक्षा, जुड़ाव, सतत विकास, आपदा प्रबंधन और तकनीकी सहयोग जैसे अहम मुद्दों पर भी सकारात्मक समझ बनी है. हिंद महासागर और दक्षिण चीन सागर में चीन के बढ़ते वर्चस्व के मद्देनजर और महत्वाकांक्षी ‘एक्ट इस्ट’ नीति के संदर्भ में भारत को चाहिए कि वह इंडोनेशिया के साथ प्रगाढ़ संबंध बनाये.
साथ ही, आसियान में उसकी भूमिका को भी रेखांकित करे. इंडोनेशिया ने हमेशा से ही आसियान को एकजुट रखने का काम किया है, पर कुछ समय में उसकी धार कुछ कम हुई है. यदि दृढ़ राजनीतिक इच्छाशक्ति हो, तो दोनों देश विश्व राजनीति को नयी दिशा दे सकते हैं.
मलयेशिया के साथ व्यापारिक संबंध
आयात
वस्तुएं 2016-17 2017-18
मशीनरी व उपकरण 1,354.93 1,427.65
खनिज ईंधन, खनिज तेल 2,103.73 1,511.83
कार्बनिक रसायन 296.50 319.03
तांबा व अन्य 380.92 494.93
निर्यात
खनिज ईंधन, खनिज तेल 915.44 1,480.41
लौह व इस्पात 281.73 291.67
तांबा व अन्य 283.83 279.99
एलयुमीनियम व अन्य 267.99 685.28
(नोट : मूल्य – मिलियन डॉलर में) स्रोत : वाणिज्य मंत्रालय, भारत सरकार

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें