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International Yoga Day: गर्भधारण में ऐसे मददगार है योग, जानें

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योग आपके तन और मन को दुरुस्त करने का कामतो करता ही है, यहबातभी आप जानते होंगे किइसकेनियमित अभ्यास से बीमारियोंसे दूर रहा जा सकता है. यही नहीं, विशेषज्ञों ने कई अध्ययनों के बाद पाया है कि योगाभ्यास से बीमारियां काफी हद तक काबू में भी आती हैं. कुछ इसी तरह योग अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान […]

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योग आपके तन और मन को दुरुस्त करने का कामतो करता ही है, यहबातभी आप जानते होंगे किइसकेनियमित अभ्यास से बीमारियोंसे दूर रहा जा सकता है. यही नहीं, विशेषज्ञों ने कई अध्ययनों के बाद पाया है कि योगाभ्यास से बीमारियां काफी हद तक काबू में भी आती हैं.

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कुछ इसी तरह योग अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) के एक अध्ययन में यह पायाजाचुका है कि प्रतिदिन योग करने से शुक्राणु की गुणवत्ता उल्लेखनीय रूप से बेहतर हो जाती है.

एम्स के शरीर रचना विज्ञान विभाग के विशेषज्ञों ने यूरोलॉजी एंड ऑब्सटेट्रिक्स एंड गाइनेकोलॉजी विभाग के साथ मिलकर इस साल की शुरुआत में यह अध्ययन 200 से ज्यादा लोगों पर किया.

इस अध्ययन के नतीजे का प्रकाशन अंतरराष्ट्रीय मेडिकल जर्नल ‘नेचर रिव्यू यूरोलॉजी’ में किया गया है. इस शोध में शामिल लोगों ने नियमित 180 दिनों तक तय समय में योग किया था.

एम्स के एनाटोमी विभाग के मॉलिक्युलर रिप्रोडक्शन एेंड जेनेटिक्स की प्रभारी प्रोफेसर डॉ रीमा दादा ने कहा कि डीएनए को किसी प्रकार नुकसान पहुंचने से शुक्राणु की कार्यप्रणाली प्रभावित होती है.

डॉ रीमा के मुताबिक, स्वस्थ बच्चे के जन्म के लिए शुक्राणु में आनुवंशिक घटक की गुणवत्ता सबसे महत्वपूर्ण होती है. ऑक्सीडेटिव तनाव कीवजह से डीएनए को नुकसान पहुंचता है. ऑक्सीडेटिव तनाव ऐसी स्थिति है जब शरीर के फ्री रैडिकल लेवल और ऑक्सीजन रोधी क्षमता में असंतुलन पैदा हो जाता है.

शोधकर्ताओं की मानें, तो पर्यावरण से जुड़े प्रदूषण, कीटनाशकों, विद्युत चुंबकीय विकिरण के संपर्क में आने, संक्रमण, धूम्रपान, शराब पीने, मोटापे और फास्ट फूड जैसे कई भीतरी और बाहरी कारणों से ऑक्सीडेटिव तनाव उत्पन्न होता है, जिससे प्रोडक्टविटी घटती है. इसे नियमित योग कीमदद से रोका जा सकता है.

जीवनशैली में मामूली बदलाव के जरिये न केवल इससमस्या से बच सकते हैं,बल्कि डीएनए की गुणवत्ता कोभी बेहतर बनाया जा सकता है. डॉ रीमा बताती हैं कि नियमित तौर पर योग का अभ्यास करने से ऑक्सीडेटिव तनाव में कमी आती हैऔर डीएनए क्षति को ठीक करने में मदद मिलती है.

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