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जीएसटी में फिलहाल शामिल नहीं किये जायेंगे पेट्रोल और डीजल : सुशील मोदी

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नयी दिल्ली / पटना : वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) परिषद के प्रमुख सदस्य व बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने आज कहा कि पेट्रोल और डीजल को जब जीएसटी में लाया जायेगा तो इनको कर की 28% की सबसे ऊंची दर के तहत रखा जायेगा. इसके साथ इन वस्तुओं पर राज्य भी कुछ […]

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नयी दिल्ली / पटना : वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) परिषद के प्रमुख सदस्य व बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने आज कहा कि पेट्रोल और डीजल को जब जीएसटी में लाया जायेगा तो इनको कर की 28% की सबसे ऊंची दर के तहत रखा जायेगा. इसके साथ इन वस्तुओं पर राज्य भी कुछ कर लगा सकेंगे, ताकि इनकी खुदरा कीमतें मौजूदा स्तर के आस पास बनी रहेंगी.

मोदी ने कहा कि इस मुद्दे पर राज्यों के साथ सहमति बनाने में अभी कुछ समय लगेगा और परिषद ही इस पर अंतिम फैसला समय पर लेगी. उन्होंने कहा कि पेट्रोलियम पदार्थों को यदि 28 प्रतिशत की श्रेणी में रखा जाता है तो उसके ऊपर राज्य सरकारें भी कुछ कर लगा सकेंगी. पूरी दुनिया में यही व्यवस्था है. राज्यों के राजस्व का करीब 40 से 50 प्रतिशत हिस्सा पेट्रोलियम पदार्थों पर कर से ही मिलता है. इस प्रकार इससे इनके दाम पर ज्यादा असर नहीं होगा.

सुशील मोदी पीएचडी वाणिज्य एवं उद्योग मंडल की जीएसटी व्यवस्था के लागू होने के एक साल पूरा होने के मौके पर आयोजित समारोह में यह बातें कही. उन्होंने कहा कि पेट्रोल और डीजल को अभी फिलहाल आने वाले कुछ महीनों में जीएसटी में शामिल नहीं किया जायेगा. अभी पूरी ध्यान नयी रिटर्न व्यवस्था पर है.

जीएसटी की उच्च दर और वैट को जोड़ने के बाद पेट्रोल-डीजल की कीमत करीब उतनी ही रहेगी जो अभी केंद्र के उत्पाद शुल्क और राज्यों के वैट के बाद होती है. मौजूदा समय में केंद्र पेट्रोल पर कुल 19.48 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर 15.33 रुपये प्रति लीटर उत्पाद शुल्क लेती है. राज्यों सरकारें भी पेट्रोलियम उत्पादों पर मूल्य वर्द्धित कर (वैट) अलग से लगाती हैं.

उद्योग जगत को धैर्य बनाये रखने की सलाह देते हुए मोदी ने यह भी कहा कि जीएसटी के तहत राजस्व वसूली स्थिर हो जाने पर जीएसटी परिषद इसकी सबसे ऊंची दर में शामिल वस्तुओं की सूची को छोटा करने पर विचार कर सकती है. परिषद की बैठक में यदि निर्णय लिया जाता है और सीमेंट, रंग – रोगन, टीवी, फ्रिज जैसे उत्पादों पर जीएसटी दर कम की जाती है तो घरेलू उपयोग के यह सामान सस्ते हो सकते हैं.

उन्होंने कहा कि ऊंची दर में शामिल वस्तुओं की सूची को छोटा करने की आवश्यकता है. लेकिन इससे पहले राजस्व प्राप्ति स्थिर होने की जरूरत है. जीएसटी प्राप्ति हर महीने एक लाख करोड़ रुपये से अधिक होने पर परिषद सबसे ऊंची दर में शामिल वस्तुओं की सूची कम करने पर विचार कर सकती है. परिषद ने इससे पहले करीब 200 वस्तुओं पर जीएसटी दर को कम किया है. आने वाले समय में कुछ और वस्तुओं पर दर कम की जा सकती है.

उद्योग जगत यह मांग कर रहा है कि जीएसटी की 28 प्रतिशत दर की श्रेणी में शामिल वस्तुओं की सूची को छोटा किया जाना चाहिए. उद्योगों का मानना है कि टेलीविजन, फ्रिज, रंग-रोगन और सीमेंट जैसी वस्तुओं को सबसे ऊंची कर श्रेणी से हटाया जाना चाहिए. केवल सिगरेट, तंबाकू और विलासिता जैसी बहुत कम वस्तुओं को ही इस श्रेणी में रहने देना चाहिए.

मोदी ने कहा कि जीएसटी परिषद इस अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था को सरल बनाने को लेकर प्रतिबद्ध है. उन्होंने उद्योग जगत को धैर्य बनाये रखने की सलाह देते हुए कहा कि हम आपकी बतायी दिशा में ही काम कर रहे हैं. जीएसटी का दूसरा साल इसके सरलीकरण के नाम रहेगा. लघु एवं छोटे उद्योगों के लिये सुविधाएं बेहतर बनायी जायेंगी.

उन्होंने कहा कि जीएसटी भरने के लिये नया रिटर्न फार्म आने वाले महीनों में जारी कर दिया जायेगा. इससे कारोबारियों को जीएसटी भरना सरल होगा. जीएसटी परिषद के एजेंडे में इसकी एक दर रखे जाने का भी विचार है, यह दर 14, 15 अथवा 16 हो सकती है लेकिन यह निर्णय कब होगा यह कहना मुश्किल है. आने वाले दिनों में इस पर विचार किया जायेगा. जीएसटी परिषद में केन्द्र और राज्य सभी के वित मंत्री शामिल हैं. जीएसटी पर निर्णय लेने वाली यह शीर्ष इकाई है.

मोदी ने जीएसटी को आजादी के बाद का सबसे बड़ा कर सुधार बताते हुए कहा कि यह राज्यों के सहयोग से ही संभव हो पाया है. उन्होंने कहा कि वह रिवर्स चार्ज प्रणाली (आरसीएम) के पक्ष में नहीं है. लेकिन इस बारे में समिति ही कोई निर्णय लेगी. पांच लोगों की समिति इस बारे में विचार करने के लिये बनायी गयी है.

इससे पहले पीएचडी उद्योग मंडल के अध्यक्ष अनिल खेतान और पीएचडी अप्रत्यक्ष कर समिति के चेयरमैन बिमल जैन ने अपनी बात रखी. उन्होंने कहा कि जीएसटी लागू होने की पिछले एक साल की यात्रा काफी उल्लेखनीय रही है. शुरुआती परेशानियों के बाद अनुपालन बेहतर हुआ है. माल की सुगम आवाजाही के लिये शुरू की गई ई-वे बिल प्रणाली भी काम करने लगी है. इसमें करीब 10 करोड़ ई-वे बिल अब तक जारी किये जा चुके हैं.

बिमल जैन ने कहा कि जीएसटी प्रणाली में नकारात्मक वस्तुओं की सूची को और छोटा किया जाना चाहिए. इसमें कई ऐसी सेवाएं शामिल हैं जिन पर उद्धोगो को क्रेडिट मिलना चाहिये. पेट्रोलियम पदार्थो को चरणबद्ध तरीके से जीएसटी में लाया जाना चाहिये. प्राकृतिक गैस को इसमें शामिल कर दिया जाना चाहिये. उसके बाद धीरे धीरे दूसरे पेट्रोलियम पदार्थों जैसे पेट्रोल, डीजल को इसके दायरे में लाया जाना चाहिये. विदित हो कि जीएसटी परिषद की अगली बैठक 21 जुलाई को होने की उम्मीद है.

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