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संसदीय समिति का सुझाव, मंत्रियों व सरकारी बाबुओं के लिए हो एकल रिटर्न

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नयी दिल्ली :संसद की एक समिति ने सरकारी कर्मचारियों के लिए अपनी संपत्तियों और देनदारियों का ब्योरा देने के लिए साल में सिर्फ एक रिटर्न भरने का सुझाव दिया है. लोकपाल कानून के तहत कई रिटर्न भरने की अनिवार्यता है. कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) द्वारा तैयार संशोधित मसौदे के अनुसार अब एक सरकारी कर्मचारी […]

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नयी दिल्ली :संसद की एक समिति ने सरकारी कर्मचारियों के लिए अपनी संपत्तियों और देनदारियों का ब्योरा देने के लिए साल में सिर्फ एक रिटर्न भरने का सुझाव दिया है. लोकपाल कानून के तहत कई रिटर्न भरने की अनिवार्यता है. कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) द्वारा तैयार संशोधित मसौदे के अनुसार अब एक सरकारी कर्मचारी जिनमें मंत्री भी शामिल हैं, को पद पर आने के छह महीने के भीतर ही अपनी संपत्तियों और देनदारियों की घोषणा करनी होगी. ऐसे कर्मचारी जो पहले से सरकारी पदों पर नियुक्त हैं, उन्हें यह घोषणा 31 जुलाई, 2018 या उससे पहले ही कर देनी होगी.
समिति ने यह भी कहा है कि इसके अलावा किसी सरकारी कर्मचारी को ब्योरे या पूर्व में की गयी किसघोषणा में किसी तरह का बदलाव होने पर ऐसे बदलाव के छह महीने के भीतर संशोधित घोषणा करनी होगी. ऐसे में समय-समय पर घोषणा के प्रावधान को समाप्त किया जा रहा है. चुने हुए जनप्रतिनिधियों को इसमें परेशानी हो रही थी, क्योंकि वेतन के अलावा उनकी आमदनी के अन्य स्रोत भी हो सकते हैं. ऐसे में उन्हें कई बार यह घोषणा करनी पड़ती है.
संसद की कार्मिक, लोक शिकायत, विधि और न्याय पर स्थायी समिति ने इस घोषणा को निर्धारित समय पर दाखिल करने की सिफारिश की है. समिति ने कहा कि इससे सरकारी कर्मचारी के लिए साल में एक रिटर्न भरने की जरूरत होगी, जिसमें कई लेनदेन का उल्लेख हो सकता है.

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