16.1 C
Ranchi
Saturday, February 8, 2025 | 12:29 am
16.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

शिवलिंग की पूजा का महत्व और सुखानुभूति, जानें शिव के 15 शुभ मंत्र

Advertisement

चराचर जगत में देवताओं की पूजा आदि काल से चली आ रही है. पूजा का एक साधक रूप कांवर लाने व बाबा बैद्यनाथ स्थित शिवलिंग पर अर्पित करने की परंपरा का विशद रूप श्रावणी मेला है. जब भक्त कांवर लेकर जलाभिषेक के संकल्प के साथ चलते हैं तो एक प्रश्न हमेशा उनके मन में झकझोरते […]

Audio Book

ऑडियो सुनें

चराचर जगत में देवताओं की पूजा आदि काल से चली आ रही है. पूजा का एक साधक रूप कांवर लाने व बाबा बैद्यनाथ स्थित शिवलिंग पर अर्पित करने की परंपरा का विशद रूप श्रावणी मेला है. जब भक्त कांवर लेकर जलाभिषेक के संकल्प के साथ चलते हैं तो एक प्रश्न हमेशा उनके मन में झकझोरते रहता है- आखिर हम शिवलिंग की अर्चना क्यों करते हैं. क्या पूजा आदि करने से मानव मात्र को सुखानुभूति मिलती है. दैहिक, दैविक व भौतिक तापों से कैसे हमें निजात मिले. मन में सुगबुगाहट तो प्रश्नों की होती है, लेकिन शायद यह अनुत्तरित रह जाता है.
वाकई में जब हम किसी भी देव को पूजते हैं तो उनकी महिमा की जानकारी रखनी आवश्यक हो जाती है, नहीं तो पूजा अधूरी मानी जा सकती है. पूजा का अर्थ मन को एकाग्रचित्तता है. कांवर लेकर आते हैं और बोल बम मंत्र का उच्चारण कर जल अर्पित कर आत्मतुष्टि भले ही पा जाने का दंभ करते हैं, लेकिन वस्तुस्थिति से यह कोसों दूर रहता है. शिवलिंग की पूजा अनादि काल से चलती आ रही है.
पौराणिक ग्रंथों में लिंगार्चन को अतीव प्रमुखता दी गयी है. हालांकि शिवलिंग को निराकार परब्रह्म कहा गया है. इनका कोई मूर्त रूप नहीं है, लेकिन ऋषियों ने जो आकृति दी है वह करोड़ों वर्ष साधना की परिणति है. ग्रंथों में कहा गया है- न तस्य प्रतिमा अस्ति.
इतना ही नहीं भगवान रुद्र को सर्वशक्तिशाली कहा गया है- एको रुद्रो न द्वितीयाय तस्यु:. कहने का तात्पर्य है कि एक ही रुद्र है, जो शिवलिंग की आकृति में समाविष्ट है. भगवान शिव के लिंगरूप में प्रकट होने या प्रादुर्भाव के कारणों को लिंगपुराण में आख्यायित है.
मूले बह्मा तथा मध्ये विष्णु्त्रिरभुवनेश्वर: ।
रूद्रोपरि महादेव: प्रणवाख्या: सदाशिवा: ।।
सर्वे लिङ्गमाया लोका सर्वे लिङ्गे प्रतिष्ठिता ।
तस्मादभ्यर्चयेल्लिंग यदिच्छेच्छाश्वतं पदम्।।
( -लिङ्गपुराण)
अर्थात शिवलिंग के मूल में ब्रह्मा, मध्य में महेश्वर तथा उर्ध्वभाग में प्रणवाख्य शिव का वास है. लिंग की वेदी को उमा तथा लिंग को महेश्वर की संज्ञा दी गयी है. परब्रह्म में लीन होना चराचर लोक के जीवों की शाश्वत प्रक्रिया है.
इस शाश्वत प्रक्रिया से सबों का गुजरना पड़ता है. सकल ब्रह्मांड की संरचना इसी से होती है और इसका लय भी इसी में सन्निहित है. तभी तो मैथिली के महाकवि विद्यापति ने अपने उद्गार में- तोहि जनामि, पुनि तोहि समाओत का बखान किये हैं. उपनिषदों में ततो जातस्य विश्वस्य तत्रैव विलयोत: कहा गया है. संपूर्ण विश्व,ब्रह्मांड का आलय होने के चलते ये लिंगरूपी हैं. अब स्कंदपुराणा के इस मंत्र को देखें तो महिमा का बखान स्पष्ट है.
चराचरं जगत्सर्वं यतोलीनं सदात्र च।
तस्माल्लिङ्गमिति प्रोक्तं दैवे: रुद्रस्यधीमत:।।
जो भी हो इश्वर का यह सगुन साकार रूप है -लिंग. यह जगत का उपादान कारण है, मूल प्रकृति है, अनंत माया है. इसी से संपूर्ण चराचर जगत की उत्पत्ति होती है व सृष्टिचक्र प्रवाहित होती है. अगर इसे मानवीय पहलू से या चराचर जगत के जीवों से इतर कर दिया जाये, तो उनकी सार्थकता पर सवालिया निशान उठने लगता है. जिनमें यह सन्निहित नहीं है,वह जगत में ग्राह्य कतई नहीं है, तिरस्कृत है जिसमें उत्पादकता रूपी प्रतीक लक्षित नहीं होता है.
यही कारण है कि जगत में शिवलिंग की आराधना भक्त करते हैं और सांसारिक जीवन से सुखानुभूति की परिकल्पना ही नहीं साक्षात याचना किया करते हैं. पौराणिक मुनियों ने जिस परंपरा अपने तपोबल से देदीप्यमान किया उसे मानव प्राणी कतई बिसार नहीं सकते. सांसारिक सुख के अलावा आध्यात्मिक सुखानुभूति के लिए भगवान शिव रूपी शिवलिंग की अर्चना करनी चाहिए.
तस्मात्तस्यार्चयेल्लिङ्गं भुक्ति भुक्ती य इच्छति …(स्कंदपुराण).
अब इन्हें शिवपुराण के आइने में झांक कर देखें, तो आकाश को लिंग व वसुधा को वेदी कह कर आख्यायित है. एक साथ युक्त होने से धार्मिक महत्व की पराकाष्ठा हो जाती है. ग्रंथों के अनुसार वसुधा पर बारह ज्योतिर्लिंग हैं, जिनमें से बैद्यनाथधाम देवघर स्थित बैद्यनाथ का नौवां स्थान दिया गया है.
प्रसंगों में आया है कि इस वसुंधरा पर तीन बैद्यनाथ विराजमान है जहां पर सालों भर भक्तों का प्रवाह होते रहता है. विशेष कर सावन मास में तो कारोड़ों नर नारी आते हैं ओर जल अर्पित कर मन्नतें मांगते हैं. धर्मग्रंथों के अनुसार, एक बैद्यनाथ बाबाधाम देवघर में है जो द्वादश ज्योतिर्लिंगों की प्रसिद्धि में है. दूसरा बैद्यनाथ उत्तरांचल के अल्मोड़ा में है जहां पर भक्तों का प्रवाह बारहों मास हुआ करता है.
तीसरा बैद्यनाथ हिमाचल प्रदेश के चंबा कांगड़ा में है. यहां पर भी भक्तों का प्रवाह हर माह होते रहता है. हर जगह लोग पूजा करते हैं और अपनी आस्था जताते हैं. शिवलिंग की पूजा से मोक्ष सा फल मन को प्राप्त होता है. सारे कष्ट दूर हो जाते हैं- बैद्यनाथात्परं तीर्थं सर्व सिद्धिप्रदायकम् . ये सारे उपाख्यान तो धार्मिक ग्रंथों में है जो लोक में संचरित है. हर जगह आदि शक्ति शिव की आराधना करने का सिलसिला प्रवाहमान है.
शिव के 15 शुभ मंत्र
1 . ॐ शिवाय नम:
2. ॐ सर्वात्मने नम:
3. ॐ त्रिनेत्राय नम:
4. ॐ हराय नम:
5. ॐ इन्द्रमुखाय नम:
6. ॐ श्रीकंठाय नम:
7. ॐ वामदेवाय नम:
8. ॐ तत्पुरुषाय नम:
9. ॐ ईशानाय नम:
10. ॐ अनंतधर्माय नम:
11. ॐ ज्ञानभूताय नम:
12.ॐ अनंतवैराग्यसिंघाय नम:
13. ॐ प्रधानाय नम:
14. ॐ व्योमात्मने नम:
15. ॐ युक्तकेशात्मरूपाय नम:

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें