16.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

मंदिर आंदोलन के निहितार्थ

Advertisement

आकार पटेल कार्यकारी निदेशक, एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया aakar.patel@gmail.com छह दिसंबर, 1992 को मेरी उम्र के 23 वर्ष पूरे होने में कुछ दिन ही कम थे. उस शाम मैं अपने दोस्त राजीव देसाई के घर पर था, जब उसने मुझसे कहा कि बाबरी मस्जिद गिरा दी गयी है. मैं यह सोचकर उत्साहित था कि कुछ नया […]

Audio Book

ऑडियो सुनें

आकार पटेल
कार्यकारी निदेशक,
एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया
aakar.patel@gmail.com
छह दिसंबर, 1992 को मेरी उम्र के 23 वर्ष पूरे होने में कुछ दिन ही कम थे. उस शाम मैं अपने दोस्त राजीव देसाई के घर पर था, जब उसने मुझसे कहा कि बाबरी मस्जिद गिरा दी गयी है. मैं यह सोचकर उत्साहित था कि कुछ नया और परिवर्तनकामी घटित हुआ है.
अगली सुबह मैं सूरत के कपड़ा बाजार स्थित अपनी छोटी सी दुकान खोलने गया, लेकिन बाजार में तो सबकुछ बंद था. मैंने अपने पिता को फोन करके पूछा कि मुझे क्या करना चाहिए. उन्होंने मुझसे कहा कि मुझे कुछ देर प्रतीक्षा करने के बाद घर वापस लौट आना चाहिए. अपनी बाइक से घर लौटते हुए पड़ोस में मुझे रोक लिया गया और मुझसे मेरा नाम पूछा गया.
मैंने अपना नाम बताया, जिसे सुनने के बाद उस आदमी ने कहा कि कृपा करके यहां वापस मत आना. आठवीं मंजिल पर स्थित अपने फ्लैट से मैं देख सकता था कि एक बजे तक सूरत में चारों तरफ धुएं के कितने गुबार उठ रहे थे. इससे पहले, मैंने यहां कभी भी सामूहिक हिंसा नहीं देखी थी. अगले कुछ दिनों के अंतराल में ही पांच सौ से ज्यादा लोग, जिसमें अधिकतर मुस्लिम तबके के थे, शहर में मार डाले गये थे.
धुएं के वे गुबार मुस्लिम आबादी के घरों से निकल रहे थे. उनके व्यवसाय योजनाबद्ध तरीके से लूटे जा रहे थे और जला दिये जा रहे थे. बेशक, तब तक मेरा उत्साह गायब हो चुका था क्योंकि मुझे यह एहसास हो चुका था कि जो नया और परिवर्तनकामी घटित हुआ, वास्तव में वह किसी भी तरह से सकारात्मक नहीं था. हम मुस्लिमों का ढांचा गिराने के बाद, उन्हें ही दंडित कर रहे थे. ऐसा क्यों हुआ? इस सवाल का जवाब देना अासान नहीं था.
लेखक वीएस नॉयपाल, जो कोई भी भारतीय भाषा नहीं जानते थे, लेकिन हमारे समाज की बेहद गहराई से निरीक्षण करने में सक्षम थे, ने महसूस किया कि मस्जिद के खिलाफ जो आंदोलन हुआ, वह सकारात्मक था.
इस संबंध में उनकी व्याख्या यह थी कि हिंदू मानस के अभी भी गुलाम बने रहने के कारण, भारतीय समाज गरीब, गंदा और अकल्पनाशील था और उसे मुक्त होने की आवश्यकता थी. नॉयपाल का यह कहना कि विध्वंस द्वारा जो हिंसा और ऊर्जा बाहर निकली, वह सकारात्मक बौद्धिक परिवर्तन लायेगी. यह बात किसी शोध पर आधारित नहीं, बल्कि खुद की धारणा पर आधारित थी. अगर गंभीरता से इस पर सोचा जाये, तो यह बेहद हास्यास्पद बात है.
अफगान, तुर्क, मुगल और फारसी आदि राजवंशों द्वारा यहां सदियों तक राज किया गया. ऐसा माना जाता है कि वे एक-दूसरे से लड़ते रहे और एेसा बहुत लंबे समय तक जारी था. ऐसा माना जाता है कि औपनिवेशिक शासक, जो मुस्लिम नहीं थे (उदाहरण के लिए बड़ौदा में मराठा गायकवाड़ या ग्वालियर में सिंधिया), वे भिन्न थे और उन्होंने अपनी प्रजा पर कर नहीं लगाया या उनका शोषण नहीं किया. यह भी माना जाता है कि भारत के सभी हिस्सों पर मुस्लिमों का शासन था. यह सत्य नहीं है.
नॉयपाल कोई अकादमिक व्यक्ति नहीं थे और इसलिए उनकी इस धारणा काे सही तरीके से चुनौती नहीं दी गयी. कोई भी शोधार्थी इस तरह के अधूरे तर्क नहीं देगा और न ही किसी ने दिया है. यहां प्रश्न उठता है कि क्या छह दिसंबर, 1992 के दिन सामूहिक हिंदू चेतना ने मुक्ति हासिल की? नहीं, ऐसा नहीं हुआ. इससे देश के भीतर कोई बदलाव नहीं आया है. हमारी सामूहिक सोच में बड़ा बदलाव मनमोहन सिंह द्वारा वर्ष 1991 में उदारवादी नीति लाने से आया, न कि 1992 की बर्बरता से.
संभवत: नॉयपाल का अर्थ लंबी अवधि से था. लेकिन, एक चौथाई सदी का समय लंबा समय होता है और पहले से ही हम ऐसे समय में जी रहे हैं, जहां ज्यादातर भारतीयों का जन्म ढांचा गिराये जाने के बाद हुआ है. निश्चित तौर पर इससे उन पर कोई असर नहींपड़ा है. कोई मुक्ति नहीं आयी है. जो एक बदलाव आया है, वह यह कि एक राष्ट्र के तौर पर हम अपनी अभिव्यक्ति में ज्यादा सांप्रदायिक हो गये हैं. वर्ष 1992 के पहले शायद जिन बातों को बोलते हुए हिचक होती थी, आज राजनीतिक दल व मुख्यधारा का मीडिया उन बेकार बातों को आसानी बोल सकता है.
अभी विश्व हिंदू परिषद और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकताओं एवं समर्थकोें की भारी भीड़ अयोध्या में एकत्रित हुई थी. उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में कुछ पांच हजार शिवसैनिक और उद्धव के बेटे भी अयोध्या पहुंचे हुए थे.
उन्होंने घोषणा की थी कि अयोध्या में यह अंतिम ‘धर्म सभा’ होगी. उन्होंने यह जुटान इसलिए की, ताकि चुनाव से पहले अयोध्या में मंदिर निर्माण शुरू कराने के लिए भाजपा सरकार पर दबाव डाला जा सके. मानो कि ऐसा करने के लिए भारतीय जनता पार्टी को प्रोत्साहन की आवश्यकता है. यह पार्टी आज अगर सत्ता में है, तो इसका बड़ा कारण 1992 में उसके द्वारा की गयी गतिविधियां हैं.
उस अवधि में जिस सोच के कारण भाजपा लोकप्रिय बनी, वह नकारात्मक थी. कहने का अर्थ है कि वह सोच सांप्रदायिकता से प्रेरित थी. वह राम मंदिर के पक्ष में होने की बजाय, मस्जिद के विरोध में थी. यही कारण है कि ढांचा ढहाये जाने के बाद राम जन्मभूमि आंदाेलन खत्म हो गया और उस कारण हिंसा उत्पन्न हुई. आज भी यह सोच नकारात्मक बनी हुई है और इसका इरादा अन्य भारतीयों को दंडित करना है.
अयोध्या में लोगों का एकत्रित होना भक्ति या पवित्र भावना से प्रेरित नहीं है. यह मुख्यत: घृणा की भावना से प्रेरित है. इनके नारों व वाक्चातुर्य को सुनने से यह तुरंत ही स्पष्ट हो जाता है. इस कड़वाहट और घृणा से कुछ भी सकारात्मक और लाभदायक प्राप्त नहीं हो सकता है.
वीएस नॉयपाल ने इस बात को नहीं समझा. लेकिन तब उनके लिए चुनौतियां कम थीं. वे हमारे समाज पर अपनी औपचारिक राय दे सकते थे और हवाई जहाज पकड़कर अपने घर इंग्लैंड लौट सकते थे. हमें इस देश में दूसरे भारतीयों के साथ रहना है. जब हम सामूहिक हिंदू चेतना को मुक्त करने की बात करते हैं, तो हमें उन राक्षसों से सावधान रहना होगा, जिन्हें हम बचकर निकलने देते हैं.

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें