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डीआईपीपी ने कहा, ई-कॉमर्स के नये नियमों में बहु-ब्रांड खुदरा में विदेशी निवेश की अनुमति नहीं

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नयी दिल्ली : औद्योगिक नीति एवं संवर्धन विभाग (डीआईपीपी) ने गुरुवार को साफ किया कि ई-कॉमर्स से जुड़े प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के नये संशोधित नियम भंडारण आधारित प्रारूप या बहु-ब्रांड खुदरा क्षेत्र में विदेशी निवेश की अनुमति नहीं देते हैं. विभाग ने कहा कि नये प्रावधान उपभोक्ताओं के हितों के खिलाफ भी नहीं हैं. […]

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नयी दिल्ली : औद्योगिक नीति एवं संवर्धन विभाग (डीआईपीपी) ने गुरुवार को साफ किया कि ई-कॉमर्स से जुड़े प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के नये संशोधित नियम भंडारण आधारित प्रारूप या बहु-ब्रांड खुदरा क्षेत्र में विदेशी निवेश की अनुमति नहीं देते हैं. विभाग ने कहा कि नये प्रावधान उपभोक्ताओं के हितों के खिलाफ भी नहीं हैं. उन्होंने कहा कि खरीदारों के लिए निष्पक्ष, प्रतिस्पर्धी और पारदर्शी व्यापार गतिविधियां लाभकारी होंगी. डीआईपीपी की ओर से यह स्पष्टीकरण ऐसे समय आया है, जब पिछले महीने उसने ई-कॉमर्स क्षेत्र में एफडीआई से जुड़े नियमों में बदलाव की घोषणा की है.

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डीआईपीपी ने नोट जारी करके कहा कि कुछ लोगों का कहना है कि प्रेस नोट 3/2016 गुप्त रूप से बहु-ब्रांड खुदरा कारोबार की अनुमति देता है. इस तरह के विचार प्रेस नोट 3/2016 के विशेष प्रावधानों के पूरी तरह से विरुद्ध है. प्रेस नोट 2016 में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि ई-कॉमर्स के भंडारण आधारित प्रारूप में एफडीआई की मंजूरी नहीं है. जिसे बहु-ब्रांड खुदरा क्षेत्र की तरह माना जाता है.

सरकार ने प्रेस नोट 3/2016 में ई-कामर्स क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के लिए प्रावधानों को सूचीबद्ध किया है. डीआईपीपी ने यह भी कहा कि सरकार को लगातार शिकायतें मिलती रही है कि कुछ ई-कॉमर्स कंपनियां उत्पादों की कीमतों को प्रभावित करके नीतियों का उल्लंघन कर रही हैं और अप्रत्यक्ष रूप से भंडारण आधारित प्रारूप में काम कर रही हैं. सरकार ने हाल ही में ई-कॉमर्स में एफडीआई के बारे में जो प्रावधान जारी किये हैं, उनसे यह सुनिश्चित करने का प्रयास किया गया है कि नियमों का उल्लंघन नहीं हो.

सरकार ने ई-कॉमर्स प्लेटफार्म को उन कंपनियों के उतपाद बेचने से रोका है, जिनमें वह खुद हिस्सेदार हैं. नियमों के मुताबिक, ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म किसी भी उत्पाद के विशेषतौर पर बिक्री करने के लिए समझौता नहीं कर सकतीं हैं.

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